झारखंड में कोयला "हीरा" और बालू क्यों हो गया है "सोना", पढ़िए झारखंड में एक हईवा बालू की कीमत क्या है !
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धनबाद (DHANBAD) : बिहार से जब झारखंड अलग हो रहा था तो बिहार के लोग कहते थे कि सभी खनिज संपदा झारखंड के हिस्से में चली जाएगी, तो क्या बिहार के लोग बालू बेचकर खाएंगे? देखिए परिस्थिति कैसे बदली है. बिहार में भी बालू अब "सोना" हो गया है. एक से एक माफिया पैदा हो गए हैं तो झारखंड में भी बालू "सोना" हो गया है. बिहार के लोग बालू बेचकर धनपशु बन गए है. झारखंड की हालत यह है कि पैसा खर्च करने के बाद भी "पीला सोना" समय पर उपलब्ध नहीं होता. झारखंड का कोयला तो पहले से ही "हीरा "बन गया था. लेकिन अब बालू भी "सोना" हो गया है. आरोप के मुताबिक बिहार का बालू झारखंड में बाजार तैयार कर लिया है.
विपक्ष के नेताओं ने सदन में सरकार को घेरा
मंगलवार को झारखंड विधानसभा बजट सत्र के दूसरे दिन बालू के मुद्दे पर विपक्ष के नेताओं ने सदन में सरकार को घेरा. जमकर नोक-झोंक भी हुई. हालांकि बालू पर पूछे गए भाजपा विधायकों के सवाल का जवाब मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने दिया. लेकिन मंत्री के जवाब पर विपक्ष के विधायक संतुष्ट नहीं थे. भाजपा विधायकों का कहना था कि बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं होने से बालू की कालाबाजारी हो रही है. एक हाईवे बालू की कीमत झारखंड में 44,000 हो गई है. थाना-पुलिस की मिलीभगत है. विधायकों ने यह भी सरकार से पूछा कि बालू की कीमत क्या है?
सदन में बालू के सवाल पर मंत्री ने क्या कहा
इस पर मंत्री का जवाब था कि प्रत्येक लाभुक को बालू मिल रहा है. प्रधानमंत्री आवास हो या अबुआ आवास या टैक्स फ्री श्रेणी में आने वाले राज्य के लोगों को मुफ्त बालू उपलब्ध कराया जा रहा है. इस पर विधायक सीपी सिंह ने कहा कि उन्हें दो हाईवा बालू की जरूरत है. सरकार बताएं कि कहां पैसा जमा करवा दे. बरही के विधायक मनोज यादव ने कहा कि चोरी-छिपे बालू की बिक्री हो रही है. बिहार से बालू आ रहा है. उन्हें खुद बालू की जरूरत है. मंत्री ही बालू उपलब्ध करा दे. विधायक सीपी सिंह ने भी कहा कि जब उन्हें बालू की जरूरत हुई तो बिहार का ही बालू मिला. सदन में मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि राज्य में 1,63,000 सीएफटी बालू जनता को मुफ्त उपलब्ध कराया गया है. अगर भाजपा विधायकों के आरोप सही मान लिया जाये तो इसका मतलब हुआ कि बिहार का बालू झारखंड के बाजार पर भी कब्जा जमा लिया है. सूत्र बताते हैं कि झारखंड में कोयला तो "हीरा" बना हुआ ही है.
कोयलांचल में कोयला का काला खेल चल रहा
कोयलांचल में कोयला का काला खेल चल रहा है और यह वर्षों-वर्ष से चल रहा है. बालू भी अब माफिया के कब्जे में है. सवाल उठता है कि चोरी छिपे बालू लाने वाले लोग कौन हैं? धनबाद में तो बालू के खिलाफ छापेमारी करने गई टीम पर हाल के महीनों में हमला तक कर दिया गया था. मतलब साफ है कि बालू माफिया आर्थिक रूप से इतने मजबूत हो गए हैं कि वह प्रशासन से भी टकराने की ताकत जुटा लिए है. बिहार में भी बालू माफिया को कंट्रोल करने के लिए सरकार कई नियम बनाए, लेकिन इन नियमों का बहुत असर हुआ नहीं है. झारखंड में भी बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं होने की वजह से बालू आपूर्ति के धंधे में माफिया का कब्जा हो गया है. कहा जा सकता है कि बालू बिहार के साथ-साथ झारखंड के माफिया को आर्थिक ताकत दे रहा है. झारखंड में कोयला तो पहले से ही माफिया को ताकत दे रहा था लेकिन अब बालू भी इसमें शामिल हो गया है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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