रांची(RANCHI): ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य सरकार की कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर कर एक्ट के तहत एजेंसी के अधिकार की जानकारी दी है. राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसी ईडी के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. झारखंड सरकार की आईएएस अधिकारी वंदना दादेल के बीच पत्र संवाद से स्पष्ट होता है कि जांच एजेंसी ईडी और बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने ईडी से यह पूछा था कि किसी भी अधिकारी को समन जारी करने के क्या कारण हैं. इस पर प्रवर्तन निदेशालय ने लंबा और कड़ा जवाब दिया है और कहा है कि उसे यह बताने की जरूरत नहीं है कि उसे क्यों बुलाया गया है. कैबिनेट विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल को दिए पत्र में कहा गया है कि ईडी पीएमएलए एक्ट के तहत किसी को भी समन देकर बुला सकती है और बुलाए गए व्यक्ति को आना ही होगा.यह एक्ट के तहत अनिवार्य है.
ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पीएमएलए एक्ट की धारा 50 (2) कहता है कि ऐसे किसी व्यक्ति को अनुसंधान में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है जो इससे जुड़ा हुआ नहीं हो. किसी भी जांच अधिकारी से कैबिनेट या अन्य विभाग के सचिव को जानकारी लेने का कोई अधिकार नहीं है.निदेशालय ने साफ तौर पर कहा है कि वंदना दादेल ने जिस तरह से अनुसंधान कर्ता से जानकारी मांगी है, यह बनी बनाई सोच का हिस्सा है. इसलिए ईडी के पत्र में यह भी कहा गया है कि किसी भी प्रकार से जांच को प्रभावित करने का प्रयास होता है तो इसे आपराधिक कृत्य माना जाएगा.इस संबंध में विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसी के बीच टकराव की स्थिति
इस प्रकार से देखा जाए तो झारखंड सरकार के द्वारा कैबिनेट सचिव के माध्यम से जो पत्राचार ईडी से किया गया है,वह गंभीर होता दिख रहा है. केंद्रीय जांच एजेंसी इस हस्तक्षेप को अनावश्यक और इरादतन मान कर चल रही है. केंद्रीय एजेंसी ने वंदना दादेल को यह भी कहा है कि किसके कहने पर इस प्रकार का पत्र लिखा गया, उस व्यक्ति या अधिकारी के बारे में भी जानकारी दें. इस प्रकार देखा जाए तो राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसी के बीच टकराव की स्थिति है. इधर 20 जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को अपने आवास पर पूछताछ के लिए बुलाया है.
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