धनबाद के "धनपशुओं" के लिए क्यों और कैसे अशुभ रहा 2025 का नवंबर महीना,अब आगे क्या


धनबाद(DHANBAD) | धनबाद के "धनपशुओं" के लिए 2025 का नवंबर महीना अपशकुन लेकर आया है. पहले तो 12 और 14 नवंबर को आयकर विभाग ने धनबाद और गोविंदपुर के अवर निबंधन कार्यालय का सर्वे किया और पाया कि बिना पैन नंबर के ही संपत्ति की रजिस्ट्री कराई गई है. वैसे लोगो ने भी फॉर्म -60 का प्रयोग किया है ,जिनके पास पैन नंबर था. आयकर विभाग की अभी जांच चल रही है. लगभग 1000 संपत्ति की डीड आयकर विभाग की जांच के दायरे में है. इधर, कोयला उद्योग के इतिहास में पहली बार ईडी ने झारखंड और बंगाल में बड़े पैमाने पर कोयला चोरी और तस्करी के खिलाफ छापेमारी कर दी. इस छापेमारी में भी टीम कई "धनपशुओं" के ठिकानों पर पहुंची. जांच -पड़ताल हुई, कागजात जब्त हुए, नगदी और सोना जब्त हुआ.
"धनपशुओं" के हार्ड कोक भट्ठे में स्टॉक से अधिक कोयला पाया गया है
"धनपशुओं" के हार्ड कोक भट्ठे में स्टॉक से अधिक कोयला पाया गया. बता दे कि बीसीसीएल और ईसीएल की कुछ कोलियरिया पूरी तरह से कोकिंग कोल् बहुल क्षेत्र में है. ईडी की रेड के बाद स्थानीय प्रशासन पर सवाल से कोयला कंपनियों में भी भय का माहौल है. हो सकता है कि कोयला कम्पनिया बहुत जल्द अवैध खनन के मुहानों को बंद करने की कार्रवाई को शुरू करे. यह भी उल्लेखनीय है कि हार्ड कोके भट्ठों का लिंकेज (कोयला) लगभग 5 साल पहले ही बंद हो गया है. लिंकेज कोयला अधिसूचित दर पर मिलता था. अब उन्हें ई -ऑक्शन से कोयला खरीदना पड़ता है. यह कोयला महंगा भी होता है और जरूरत के हिसाब से उपलब्ध भी नहीं होता है. फिर तो मुनाफा घटने लगा,लगत बढने लगी , फिर चोरी का बाजार बढ़ने लगा. फिर तो संगठित गिरोह बहती गंगा में डुबकी लगाने लगे.
सोशल मीडिया एक्स पर क्या कहा है बाबू लाल मरांडी ने
इस बीच झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा है कि झारखंड में अब अपराध छिपाने के लिए नया अपराध गढ़ना सरकार और सिस्टम की आदत बन चुकी है. धनबाद के कोयले के काले साम्राज्य में ED की हालिया कार्रवाई ने कई चौंकाने वाले सबूत उजागर किए है. लेकिन सबसे खतरनाक बात यह है कि कोयले की काली कमाई से लाल हो रहे कुछ “शीर्ष पुलिस अधिकारी” द्वारा कोयला माफियाओं को उनके कुछ जमीनी गुर्गों को “हमेशा के लिए खत्म” करने का “टारगेट” दिया गया है. स्पष्ट जानकारी मिल रही हैं कि ED जिन लोगों से पूछताछ कर रही है, उन्हीं की हत्या की साजिश रची जा रही है, ताकि सच बाहर न आ सके.
यह भी कहा है -“सबूतों का एनकाउंटर” कराने का खेल पहले भी खेला गया है
अपराधियों को पकड़ने के नाम पर “सबूतों का एनकाउंटर” कराने का खेल पहले भी इस राज्य में खेला गया है. झारखंड एक ऐसे डीजीपी को देख चुका है, जिस पर सुपारी लेकर एनकाउंटर तक करवाने और झारखंड में उससे भ्रष्ट डीजीपी आजतक कभी नहीं बनने के साथ ही भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ देने का आरोप सत्ताधारी दल तक के लोगों ने भी लगाया है. ED को बेहद सतर्क रहना चाहिए. यहाँ सच बोलने वाले का नहीं, सच दबाने वाले का राज चलता है. और जब सत्ता, सिस्टम और माफिया एक ही धुरी पर घूमने लगें, तो न्याय का गला घोंटना महज औपचारिकता रह जाती है.
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