धनबाद(DHANBAD) : झारखंड बीजेपी में अभी दो सवाल चर्चे में है. क्या प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष बनेंगे? क्या डॉ रविंद्र राय को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी मिलेगी? हालांकि बाबूलाल मरांडी इससे पहले भाजपा विधायक दल के नेता रह चुके है. लेकिन अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ने की वजह से उन्हें नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिल पाई. 2024 में बाबूलाल मरांडी भाजपा के टिकट पर धनवार सीट से चुनाव जीते है. इस बार के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अमर कुमार बाउरी चुनाव हार गए है. भाजपा के सचेतक रहे बिरंची नारायण भी चुनाव हार गए है. भाजपा को अपने 21 विधायकों में से नेता प्रतिपक्ष चुनना होगा. अब सवाल उठता हैं कि भाजपा विधानसभा में हेमंत सोरेन के सामने क्या किसी आदिवासी नेता को ही नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहेगी? अगर ऐसा होता है तो बाबूलाल मरांडी इस पद के प्बल दावेदार हो सकते है.
इसके अलावे चंपई सोरेन भी दावेदार हो सकते है. चंपाई सोरेन चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हो गए और उसके बाद तो झामुमो पर हमलावर रहे. अगर आदिवासी चेहरे की बात नहीं हो, सामान्य जाति से नेता प्रतिपक्ष बनाने की बात सामने आए, तो इसमें सबसे पहला नाम सीपी सिंह का आ सकता है. ओबीसी में डॉ नीरा यादव का भी नाम लिया जा सकता है. नीरा यादव भी तीसरी बार विधायक चुनी गई है. अगर ओबीसी महिला को कमान देने की बात आई तो डॉ नीरा यादव नेता प्रतिपक्ष बन सकती है.
हालांकि यह सब अभी कयास है. वैसे, चुनाव के पहले नाराज चल रहे डॉक्टर रविंद्र राय को, सूत्रों के अनुसार इस भरोसे पर कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया कि चुनाव के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान दे दी जाएगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर क्या डॉक्टर रविंद्र राय बैठ पाते है. अगर प्रदेश अध्यक्ष पर सामान्य जाति के डॉक्टर रविंद्र राय बैठते हैं, तो इतना तो तय माना जाना चाहिए कि नेता प्रतिपक्ष का पद आदिवासी नेता के खाते में जा सकता है. सचेतक का पद किसी ओबीसी के पास जा सकता है. भाजपा की इस विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई है. पार्टी में अब हार के कारणों को ढूंढने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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