धनबाद(DHANBAD): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल दिल्ली में है. वह एक-दो दिन तक दिल्ली में रहेंगे. इंडिया गठबंधन के नेताओं से मुलाकात कर सकते है. हवा का रुख भांप सकते है कि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देना चाहिए ,आप को देना चाहिए या तथस्त रहना चाहिए. इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सामने दिल्ली विधानसभा के चुनाव को लेकर पूरी तरह से दुविधा की स्थिति बन गई है. झारखंड में फिलहाल इंडिया गठबंधन की सरकार है. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ बेहतर संबंध है.
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस और आप पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रही है. ऐसे में झामुमो कांग्रेस या आप में से किसे समर्थन दे, यह एक बड़ा सवाल बनकर सामने आया है. झारखंड में इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का रुख दिल्ली चुनाव को लेकर क्या होगा ,स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है. इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्रों का कहना है कि झामुमो दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे कांग्रेस या आप में किसी को समर्थन पर, कोई निर्णय नहीं लिया है. परिस्थितियों के मुताबिक फैसला लिया जाएगा. दिल्ली चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्टैंड क्या होगा? झामुमो के नेता कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करेंगे अथवा आप के साथ रहेंगे, यह सवाल बड़ा हो चला है. राजनीतिक पंडित भी इसे समझ नहीं पा रहे है.
वैसे, झारखंड मुक्ति मोर्चा को अपना स्टैंड क्लियर करना भी बहुत आसान नहीं होगा. झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक पूरी तरह से एकजुट रहा. लेकिन दिल्ली में एकजुटता तार -तार हो गई है. आप और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में है. झारखंड के चुनाव की बात की जाए, तो कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक इंडिया ब्लॉक के पक्ष में झारखंड में चुनाव प्रचार करने आए थे. ऐसे में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्टैंड क्या होगा, किसके पक्ष में चुनाव प्रचार करेगा. यह देखने वाली बात होगी.
राजनीतिक पंडित भी इस पर नजर गड़ाए हुए है. वैसे भी झारखंड चुनाव की तरह ही दिल्ली विधानसभा चुनाव भी महत्वपूर्ण हो गया है. इन सब के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा को दिल्ली के चुनाव में कोई न कोई स्टैंड तो लेना ही पड़ेगा. यह अलग बात है कि स्टैंड लेना बहुत आसान नहीं होगा. कोई बीच का रास्ता झारखंड मुक्ति मोर्चा को खोजना पड़ सकता है. बता दे कि झारखंड विधानसभा में इंडिया ब्लॉक का प्रदर्शन बेहतर रहा. गठबंधन को 56 सीट मिली. इसके साथ ही झारखंड में एनडीए का सफाया हो गया. हेमंत सरकार ने बड़ी चतुराई से चुनाव का एजेंडा तैयार किया था. उसका प्रतिफल भी सामने आया और गठबंधन को प्रचंड बहुमत हाथ लगा. यह बात भी सच है कि झारखंड के अजेंडे की तरह ही दिल्ली के चुनाव में एजेंडा सेट किया गया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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