धनबाद(DHANBAD): धनबाद कोयलांचल में कोयला तस्करी बेधड़क जारी है. जब -जब अधिकारी जांच को सड़क पर निकलते हैं, इसका खुलासा हो जाता है. अधिकारी भी f.i.r. कर निश्चिंत हो जाते है. अगर धनबाद के सभी थानों की बात की जाये तो फाइल जरूर मोटी हो गई होगी लेकिन मुकदमे और पुलिस की कार्रवाई का मिलान हो तो मुकदमों की संख्या अधिक मिलेगी. कोयला तस्करी में लगे "किंगपिन" की गिरफ्तारी नहीं होने का नतीजा होता है कि धंधा चलता रहता है. खनन विभाग ने इसी तरह के एक मामले का खुलासा किया है. फिलहाल धनबाद का राजगंज अवैध कोयला लदे वाहनों को कागजात देने और बाहर के तय जगहों पर भेजने का एक बहुत बड़ा केंद्र बन गया है. फिर बिना दस्तावेज और चालान के तीन ट्रक पर लदे कोयले को पकड़ा गया है. 2 ड्राइवर को राजगंज थाने के हवाले कर दिया गया है. खान निरीक्षक राहुल कुमार के नेतृत्व में छापामारी के बाद यह सब मामला पकड़ में आया है. थाने में एफ आई आर दर्ज करा दी गई है.
कोयला बिहार के डेहरी ले जाया जा रहा था
कोयला बिहार के डेहरी ले जाया जा रहा था. पकड़ाए लोगों ने झरिया के किसी का नाम लिया है ,जो कोयला बिहार भेज रहा था. सवाल यह नहीं है कि मामला पकड़ में आ गया है, सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर तमाम प्रयासों के बावजूद कोयला चोरी रुक क्यों नहीं रही है. क्या प्रयास केवल दिखावे के लिए किया जाता. सूत्रों के अनुसार जीटी रोड से गुजरने वाले कोयला लोड वाहनों की अगर जांच करा दी जाए तो अधिकांश वाहन पर या तो पेपर मिलेंगे ही नहीं और मिलेंगे भी तो वह सही नहीं हो सकते. धनबाद कोयलांचल में कोयला चोरी तो कुटीर उद्योग बन गया है. आश्चर्य तो तब होता है कि लोग मरते हैं, जान देते हैं फिर भी कोयला चोरी करते और करवाते है. यह सब इसलिए होता है कि कोयला चोरी कराने के जो "मास्टरमाइंड" है, वह कार्रवाई से बचे रहते है. नतीजा होता है कि बाहर के मजदूरों को बुलाकर अवैध ढंग से कोयला कटवाया जाता है. दुर्घटना हो जाने के बाद लाश तक को गायब करा दिया जाता है. इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि घटनाएं होती है तो विरोध की आवाज नहीं उठती.
कुछ आर्थिक लाभ पाकर गरीब कर लेते है मुँह बंद
परिवार जनों को कुछ आर्थिक लाभ देकर उनका मुंह बंद कर दिया जाता है. झरिया के भौरा में अभी हाल ही में घटित घटना का वीडियो वायरल हुआ, लोग कंधों पर लाश लेकर भाग रहे थे. एक नाबालिग की भी जान चली गई. पहले तो बिना पोस्टमार्टम के दफना दिया गया लेकिन जब सवाल उठा तो पुलिस ने लाश को निकालकर पोस्टमार्टम करवाया और फिर दफना दिया. और भी लोग मरे थे और लाश परिवार वाले पुलिस के सामने लेकर चले गए. फिर भी लाश जब्त नहीं की गई और बिना पोस्टमार्टम कराए उनका दाह संस्कार करा दिया गया. घटना के महीनों बीत जाने के बाद भी इस सनसनीखेज मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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