दुमका (DUMKA) : अर्थी को कंधा देकर अंतिम संस्कार के लिए स्मशान की ओर ले जाते हुए नज़ारे को अगर आप भी देखते, तो कहते वाह दुमका पुलिस वाह. दरअसल, शिकारीपाड़ा थाना के धनबाद गांव के एक युवक मनसा राय ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उसके मां-बाप नहीं है. तीन शादीशुदा बहनें है, लेकिन बाहर रहती है. मृतक के अरर्थी को कंधा देने के लिए लोग कम पड़े. गांव वालों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने से मना कर दिया. सूचना पर दुमका एसडीपीओ मो नूर मुस्तफा अंसारी सामने आए. और उनके साथ शिकारीपाड़ा थाना प्रभारी संजय सुमन और उनकी टीम ने साथ अरर्थी को श्मशान तक पहुंचाया.
क्या है पूरा मामला
मामला शिकारीपाड़ा थाना के धनबाद गांव की. दरअसल गांव के एक युवक मनसा राय के माता पिता नहीं हैं. तीन बहनों में दो की शादी उत्तर प्रदेश में हुई है. एक बहन छोटी है. 2 नवंबर को मनसा राय ने जंगल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सूचना पर पुलिस पहुंची. शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौप दिया. उत्तर प्रदेश में रहने वाली बहन के आने के इंतजार में शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया. 5 नवंबर को जब बहन गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने शव के अंतिम संस्कार में साथ नहीं दिया. जब शव को कंधा देने के लिए 4 आदमी नहीं मिले तो बहन ने इसकी सूचना पुलिस को दी. सूचना मिलते ही एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी और शिकारीपाड़ा थाना प्रभारी संजय सुमन दल बल के साथ गांव पहुंचे. ग्रामीणों को समझाने का अथक प्रयास किया. इसके बाबजूद जब ग्रामीण तैयार नहीं हुए तो पुलिस ने वो कारनामा कर दिखाया जिसकी आज हर तरफ तारीफ हो रही है. एसडीपीओ और थाना प्रभारी के साथ पुलिस के जवानों ने शव को कंधा दिया. धर्म के बंधन को तोड़ते हुए एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी पुलिस बल के साथ शव को कंधा देकर श्मशान घाट पहुंचाया. इस तरह एक बेसहारा शव का अंतिम संस्कार हुआ. मृतक की बहनों ने इसके लिए दुमका पुलिस को धन्यवाद दिया.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका
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