धनबाद(DHANBAD) | तस्वीर जारी हुई दिल्ली से , चर्चा शुरू हो गई धनबाद में. आखिर हो भी क्या नहीं ,चुनाव को ले सक्रियता जो शुरू हो गई है. धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह के दिल्ली स्थित 12, विंडसर प्लेस आवास पर शुक्रवार को कोडरमा के पूर्व सांसद व पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र राय और धनबाद के विधायक राज सिंह ने मुलाकात की. सबसे पहले सोशल मीडिया पर यह तस्वीर सांसद के ऑफिशियल हैंडल से शेयर की गई. उसके बाद तो सोशल मीडिया पर झड़ी लग गई. कहा जाने लगा कि कुछ तो बात है, मानो दोनों नेता कह रहे हो कि आशीर्वाद बनाए रखियेगा. वैसे पशुपतिनाथ सिंह 2024 के चुनाव में भी धनबाद संसदीय सीट से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार है. लेकिन कुछ लोगों को ऐसा महसूस होता है की बढ़ती उम्र के कारण पार्टी उन्हें टिकट नहीं दे सकती है.
पशुपति नाथ सिंह धनबाद से तीसरी बार सांसद है
लगातार पशुपति नाथ सिंह धनबाद संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार सांसद है. ऐसे में कई लोग टिकट पाने की रेस में है. रविंद्र राय कोडरमा से सांसद रह चुके है. वह RSS से जुड़े रहे है. 2019 के चुनाव में उनकी जगह पर राजद से आई अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा से भाजपा ने टिकट दिया और वह जीत गई. रविंद्र राय को बनारस बुलाकर अमित शाह ने भरोसा दिया कि आप धैर्य रखिए और उचित अवसर की तलाश कीजिये. भाजपा और आरएसएस से बंधे होने के कारण रविंद्र राय भी चुपचाप वनवास झेल रहे है. हालांकि उनकी नजर कोडरमा, गिरिडीह अथवा धनबाद लोकसभा सीट पर टिकी हुई है. इसी तरह 2019 के चुनाव में गिरिडीह का लोकसभा सीट आजसू के खाते में चला गया और रविंद्र पांडे का टिकट कट गया. उन्हें भी उचित मौके की तलाश में रहने का भरोसा दिया गया. इधर, राज सिन्हा के मन में भी धनबाद से सांसद का चुनाव लड़ने की इक्छा है. कई मौके पर उन्होंने कहा भी है कि अगर पार्टी चाहेगी तो वह जरूर चुनाव लड़ेंगे, वैसे धनबाद सीट पर कई लोगों की नजर है.
जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय भी धनबाद में सक्रिय
जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय भी धनबाद में सक्रिय है. लगातार धनबाद का दौरा कर रहे है. धनबाद की समस्याओं पर अधिकारियों से मिल रहे है. उनका धनबाद दौरा और सक्रियता के भी राजनीतिक माने -मतलब निकाले जाते है. वैसे आज पशुपतिनाथ सिंह से मिलने वाले रवींद्र राय और राज सिंह को लेकर राजनीतिक पंडित अपने-अपने ढंग से इसकी विवेचना कर रहे है. यह तो कहा ही जा सकता है कि धनबाद जिले में बिना सांसद की अनुमति के भाजपा में पत्ता भी नहीं खड़कता है. वैसे रविंद्र राय ,बाबूलाल मरांडी के साथ ही भाजपा से अलग हुए थे लेकिन जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह भाजपा में वापस आ गए. बाबूलाल मरांडी बाद में भाजपा में लौटे. बहरहाल ,जो भी हो आज के इस मुलाकात की चर्चा धनबाद के राजनीतिक महकमे में खूब हो रही है. इसका क्या माने मतलब हो सकता है, इसके कयास लगाए जाने शुरू हो गए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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