टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड में नगर निकाय चुनाव फिलहाल टलता हुआ दिखाई दे रहा है और इसके पीछे की बड़ी वजह बुधवार को हुई TAC की बैठक है. इस बैठक में पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में एकल पद आरक्षण को लेकर चर्चा की गई और जारी नए आरक्षण रोस्टर में एसटी आरक्षित क्षेत्रों में बदलाव का विरोध किया गया. इस बैठक में TAC सदस्यों ने नगर निकाय चुनाव को लेकर कई सुझाव सरकार को दिए. इसके बाद सरकार आरक्षण रोस्टर में बदलाव के लिए एक प्रस्ताव कैबिनेट से पास करने पर विचार कर रही है. जो केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. इस परताव पर केंद्र सरकार की सहमति के बाद ही फिर से आरक्षण रोस्टर में संशोधन किया जा सकेगा. इस पूरे वाक्ये में TAC एक अहम रोल निभाता हुआ नजर आ रहा है. आप सोच रहे होंगे कि TAC आखिर है क्या, जिसकी अनुशंसा पर चुनाव को स्थगित किया जा रहा है. तो हम आपको इसके बारे में पूरा डिटेल बताएंगे.
क्या है TAC?
TAC यानि कि ट्राइबल एड्वाइज़री काउन्सिल, हिन्दी में जनजाति सलाहकार परिषद, ये वो आयोग या संवैधानिक संस्था है जिसे राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित ऐसे मामलों पर सलाह देने के लिए गठन किया गया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 4 के प्रावधानों के अनुसार भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244 (1) के तहत, अनुसूचित क्षेत्रों वाले प्रत्येक राज्य में जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी) की स्थापना की जाएगी. वहीं संविधान के अनुच्छेद 4, भाग बी, उप-अनुच्छेद (2) के प्रावधान में प्रावधान है कि राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित ऐसे मामलों पर सलाह देना जनजाति सलाहकार परिषद का कर्तव्य होगा.
TAC के सदस्य
TAC के सदस्यों की बात करें तो जनजाति सलाहकार परिषद में 20 से अधिक सदस्य नहीं होंगे. जिनमें से लगभग, जैसा कि हो सकता है, तीन-चौथाई राज्य विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधि होंगे. बशर्ते कि राज्य विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों की संख्या सीटों की संख्या से कम हो, ऐसे प्रतिनिधियों द्वारा भरी जाने वाली टीएसी में शेष सीटें उन जनजातियों के अन्य सदस्यों द्वारा भरी जाएंगी.
इसके अनुसार आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान जैसे अनुसूचित क्षेत्रों वाले 10 राज्यों में जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी) का गठन किया गया है. इसके अलावा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तराखंड राज्यों में कोई अधिसूचित अनुसूचित क्षेत्र नहीं होने के कारण भी वहां जनजाति सलाहकार परिषद का गठन किया गया है.
TAC की बैठक में लिया गया फैसला
टीएसी की बैठक में खासकर पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में एकल पद आरक्षण को लेकर चर्चा की गई. इस बारे में कहा गया कि इस मामले में कानूनी सलाह ली जाएगी. कहा गया कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में अभी तक पंचायतों में पेसा कानून के तहत ही चुनाव हो रहे हैं. पेसा कानून में अभी तक कोई संसोधन नहीं किया गया. ऐसे में आरक्षण को लेकर भी कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. इस बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने एकल पद पर एसटी का आरक्षण समाप्त करने का विरोध किया. सदस्यों ने सुझाव दिया कि इसे लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाए और इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाए. इसे लेकर ही नगर निकाय चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने का सुझाव दिया गया. इस बैठक में TAC के अध्यक्ष हेमंत सोरेन के साथ उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन, विधायक-सह-टीएसी सदस्य स्टीफन मरांडी, दीपक बिरुआ, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, नमन बिक्सल कोनगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की, मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा शामिल थे.
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