केंद्रीय कोयला मंत्री के बयान से क्यों खफा हैं कोल पेंशनर्श , पढ़िए पूरी खबर


धनबाद(DHANBAD) - राज्यसभा में कोयला मंत्री का यह कहना कि कोयला उद्योग के पेंशनर्स की पेंशन में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. इसका कोयलांचल में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. कोल् पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामानुज प्रसाद का कहना है कि यह सरकार का अव्यावहारिक फैसला है. सरकार का दायित्व होता है कि सभी की हित रक्षा करें और उसी में कोयला उद्योग के पेंशनर्स भी आते है. उन्हीं के परिश्रम से कोयला उद्योग मुनाफा कमाता है. ऐसे में कोल् पेंशनर्स के साथ सरकार का यह व्यवहार कतई उचित नहीं है.
उन्होंने कहा है कि पेंशन फंड की दुर्गति के अन्य कई कारण है ,इसके लिए पेंशनरों को बलि का बकरा क्यों बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ईपीएफओ को ₹200 प्रति अनुदान कर्मी देती है जबकि सीएमपीएफ को ₹26. 56 पैसे प्रति कर्मी मिलता है, और यह 1971 के सोलह सौ के बेसिक पर मिलता आ रहा है. पेंशन कोष का निवेश निजी बैंक या अन्य प्रतिष्ठानों में किया गया, जो राशि डूब गई.
आगे कहा है कि पेंशन योजना 1998 में लागू हुई थी, उस समय श्रम शक्ति 8 लाख थी जो कालांतर में घटकर 2 लाख से भी कम हो गई है ,जबकि कोयला का उत्पादन कई सौ गुना बढ़ गया है और कोयला उद्योग मुनाफा कमा रहा है. बड़ी वजह यह है कि नियमित कर्मियो को हटाकर आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए काम कराया जा रहा है और उसका अंशदान सीएमपीएफ में नहीं आता है. रामानुज प्रसाद ने कहा है कि यह सारी बातें तब से हो रही है जब सीएमपीएफ को श्रम मंत्रालय से हटाकर कोयला मंत्रालय को दे दिया गया. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि बुजुर्ग गरीब पेंशनर्स के प्रति ऐसी निष्ठुरता नहीं दिखावे.
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