दुमका(DUMKA): आज सावन महीने की 5वीं और पुरुषोत्तम मास की तीसरी सोमवारी है. सावन का पावन महीना शिव उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है. खासकर सोमवार को शिवलिंग पर जलार्पण करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि सावन के महीने में सुल्तानगंज के उत्तरवाहिनी गंगा से जल भर कर लाखों श्रद्धालु देवघर के बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण के बाद दुमका के बाबा बासुकीनाथ पर जलार्पण करते है.
12 से 15 घंटे में बासुकीनाथ पर जलार्पण
बासुकीनाथ में सावन के प्रत्येक सोमवारी को हजारों श्रद्धालु डाक बम के रूप में पहुँचते है. बासुकीनाथ आने वाले डाक बम सुल्तानगंज के बजाय भागलपुर के बरारी घाट से जल भरते हैं और 12 से 15 घंटे में बासुकीनाथ पर जलार्पण करते है. भक्ति में कितनी शक्ति होती है यह देखने को मिलता है. बासुकीनाथ मंदिर प्रांगण में घंटो पैदल चल कर आने वाले डाक बम बाबा पर जलार्पण के बाद भक्ति भाव मे झूमने लगते है. उन्हें लगता है साक्षात अपने आराध्य के दर्शन हो गए.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
बासुकीनाथ आने वाले शिव भक्तों को कोई परेशनी ना हो इसका विशेष ख्याल रखा जाता है. बरारी से जल उठाने वाले श्रद्धालु जब दुमका जिला में प्रवेश करते है तो हंसडीहा थाना के सामने डाक बम को टोकन दिया जाता है ताकि डाक बम को बाबा बासुकीनाथ पर जलार्पण के लिए कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार ना करना पड़े. साथ ही दुमका जिला प्रशासन हर वक्त देवघर प्रसासन के संपर्क में रहता है. देवघर में भीड़ के आकलन के अनुरूप दुमका जिला प्रशासन मुस्तैद रहती है. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते है. वैसे तो भगवान की भक्ति के लिए कोई दिन और तिथि निर्धारित नहीं होता. इसके बाबजूद सावन का महीना खास कर सोमवार को शिवलिंग पर जलार्पण का विशेष महत्व होता है.
अर्घा के माध्यम से जलार्पण
सोमवार के कारण आज बासुकीनाथ धाम में अन्य दिनों के वनिस्पत भीड़ कुछ ज्यादा ही है. पूरा बासुकीनाथ धाम केसरिया रंग से रंगा हुआ है। हर तरफ ॐ नमः शिवाय और बोल बम के नारे गूंज रहा है. प्रसासनिक व्यवस्था मुकम्मल होने के कारण श्रद्धालु आसानी से अर्घा के माध्यम से जलार्पण कर रहे है. यह भीड़ आने वाले समय मे और बढ़ेगी. प्रसासन को उसके लिए भी तैयार रहने की जरूरत है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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