धनबाद(DHANBAD): यूनिवर्सिटी और कॉलेज के बीच "पावर" की लड़ाई की गवाह तो नहीं बन रही है धनबाद की सड़के. इस लड़ाई में कौन जीतेगा और कौन हथियार डालेगा, इसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन महिला कॉलेज के प्राचार्य ने यूनिवर्सिटी से खुद को विरमित करने का अनुरोध कर दिया है. मतलब अब उनके पास कॉलेज छोड़ने के सिवा कोई दूसरा विकल्प बचा नहीं होगा. अथवा इस तनावपूर्ण माहौल में वह धनबाद में रहना नहीं चाहती होंगी. फिर वही सवाल कि इसके लिए सबको थोड़ा इंतजार करना होगा और अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा करनी होगी. पिछले कुछ दिनों से धनबाद का एसएसएलएनटी महिला कॉलेज सुर्खियों में है.
प्राचार्य के स्थानांतरण से ही शुरू हुआ था विवाद
चर्चे की शुरुआत तब हुई ,जब कॉलेज की प्राचार्य का स्थानांतरण कॉलेज से कर लिया गया और उनकी जगह दूसरे प्राचार्य ने आकर स्वतः कार्यभार ग्रहण कर लिया. प्राचार्य डॉ शर्मिला रानी ने कार्यभार हैंडोवर नहीं किया और इस मामले की शिकायत कुलाधिपति से कर दी. उसके बाद तो धनबाद के बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय की जांच शुरू हो गई और राजभवन ने डॉक्टर शर्मिला रानी के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी. उसके बाद से ही कॉलेज की चर्चा धनबाद से लेकर रांची तक होने लगी थी. 2 दिन पहले शनिवार को कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर बीना झा शर्मा ने प्राचार्य पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए फांसी लगाने की कोशिश की. दरवाजा तोड़कर उन्हें बचाया गया. इस घटना के बाद से ही कॉलेज का माहौल पढ़ाई का कम, बल्कि चर्चा का अधिक हो गया है.
प्राचार्य ने विरमित करने का कर दिया है अनुरोध
इस बीच सूचना आई है कि कॉलेज की प्राचार्य शर्मिला रानी ने कुलपति को पत्र लिखकर विरमित करने का अनुरोध किया है. कुलपति अगर उन्हें विरमित करते हैं तो वह रांची के किसी कॉलेज में योगदान दे सकती है. इधर, कॉलेज की सहायक प्रोफेसर के फांसी लगाने की कोशिश के मामले में धनबाद थाने में सनहा दर्ज किया गया है. उन्होंने प्राचार्य पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. इधर, महिला कॉलेज के मुद्दे को लेकर छात्र संगठन भी गुटों में बंट गए है. एक ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्राचार्य का विरोध कर रही है, वहीं छात्र आजसू ने इस मामले की जांच की मांग करते हुए कहा है कि षड्यंत्र के तहत प्राचार्य को फसाने की कोशिश की जा रही है. वैसे, सहायक प्रोफेसर के कॉलेज में ही फांसी लगाने की कोशिश की घटना को लोग समझ नहीं पा रहे है.
फांसी लगाने की कोशिश के निकले जा रहे माने -मतलब
अपने-अपने ढंग से इसका माने मतलब निकाल रहे है. कोई कह रहा है कि फांसी लगाने की कोशिश की घटना के पीछे कोई मजबूत हाथ है तो कोई कह रहा है कि आखिर प्राचार्य ने क्या कह दिया की फांसी लगाने की नौबत आ गई. अगर किसी को नौकरी पसंद नहीं है तो तबादला ले सकता है, इस्तीफा दे सकता है, अधिकारियों को शिकायत कर सकता है,मुक़दमा कर सकता है , लेकिन कॉलेज परिसर में ही सुसाइड की कोशिश कर कॉलेज के माहौल को विषाक्त करना कहां तक सही है. वैसे धनबाद के कोयलांचल विश्वविद्यालय सहित अन्य यूनिवर्सिटी में लगातार मिल रही गड़बड़ियों को आधार बनाकर राजभवन में सभी कॉलेजों को निर्देश दिया है कि वह हर महीने के 5 तारीख को आय -खर्च का डिटेल्स राजभवन को भेजे. इसके लिए फॉर्मेट भी जारी किया गया है. बहरहाल धनबाद का शैक्षणिक माहौल अभी विषाक्त हो गया है. कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों की जुबान पर भी यही सब चर्चा है. देखना है आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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