धनबाद(DHANBAD) : कतरास के वेस्ट मोदीडीह की बी एस माइनिंग में गुरुवार को कोयले के अवैध खनन के दौरान हादसे की प्रशासनिक जांच शुरू हो गई है. घटना गुरुवार को हुई है और जांच की कार्रवाई दो दिन बाद शुरू हुई है. संभव है कोई साक्ष्य नहीं मिले लेकिन अवैध उत्खनन में लोग दब मरे हैं, इसके सबूत तो चीख चीख कर प्रमाण दे रहे है. इधर, धनबाद के अखबारों में छपी खबर पर भरोसा करें तो अब कोयला तस्कर बाइकर्स गैंग तैयार कर लिए है. गैंग के सदस्यों को सपोर्ट करने के लिए हथियारबंद दस्ता भी तैयार कर लिया गया है. यह तो और भी खतरनाक बात है कि चोरी भी करेंगे और सीनाजोरी भी करेंगे. पुटकी में बीच सड़क पर अधिकारी की पिटाई हो गई थी. आखिर किस बल पर यह सब हो रहा है. केवल पैसे की ताकत है या और कोई संरक्षण. कोयला तस्कर लगातार अपना ठिकाना बदल- बदल कर काम कर रहे है.
केवल पैसे की ताकत है या और कोई संरक्षण
सूत्र बताते हैं कि इस काम के लिए जो पासिंग कोड दिया जाता है, वह बहुत दिनों के लिए नहीं मिलता, हर एक इलाके में कोयला चोरी में लगे गिरोह को बहुत दिनों तक काम करने की अनुमति भी नहीं दी जाती. यह अनुमति कौन देता है, उन्हें कैसे मिलता है, इसके लिए कौन-कौन से बिचौलिए काम करते हैं, यह अलग ही एक जांच का विषय है. इतना तो तय है कि एक इलाके में कुछ दिनों के लिए ही कोयला तस्करों को काम करने की अनुमति दी जाती है. फिर उस जगह पर अवैध उत्खनन तो रुकता नहीं है लेकिन आदमी बदल जाता है. इसका फायदा यह होता है कि साहिबगंज के यादव ब्रदर्स की तरह कोई लाइमलाइट में नहीं आता और धंधा कभी मंदा भी नहीं होता. धनबाद के प्रभात खबर में छपी खबरों की यहां चर्चा करें तो हथियारों के साथ बाइक से तस्करों को सिंडिकेट एस्कॉर्ट कर निर्दिष्ट स्थान तक पहुंचाता है. गिरिडीह, बोकारो, जामताड़ा और टुंडी से मजदुर से बुलाये जाते है कोयला काटने वाले मजदूर रिपोर्ट के अनुसार निरसा , झरिया की बात छोड़ दी जाए तो कतरास, बाघमारा में अवैध कोयला ₹10000 प्रति टन बिक रहा है.
बाघमारा कोयलांचल से करीब 300 ट्रक अवैध कोयला रोजाना भेजा जाता
बाघमारा कोयलांचल से करीब 300 ट्रक अवैध कोयला रोजाना भेजा जाता है. कहा जा सकता है कि पूरे जिले में कोयले का अवैध धंधा कभी मंदा नहीं होता. बीसीसीएल के बस्ता कोला एरिया में तो रात तो रात, दिन के उजाले में भी पूरी ढिठाई के साथ कोयले की चोरी की जा रही है. बाइकर्स गैंग यहां कोयले की तस्करी कर रहा है. गैंग के लोग सीधे खदान में प्रवेश कर बिना किसी डर -भय के कोयला निकाल रहे हैं और अवैध डिपो तक पहुंचा रहे है. इस कार्य में एक सशक्त सिंडिकेट सक्रिय है. इस सिंडिकेट में 100 से 150 से अधिक मोटरसाइकिल सवार शामिल है. जब वह चलते हैं तो ट्रांसपोर्टिंग के लिए जाने वाली गाड़ियां भी रुक जाती है. कोयला चोरी अथवा काटने वाले मजदूरों को महज ढाई से ₹300 प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाता है, जबकि डिपो संचालक उस कोयले को 450 से ₹600 प्रति क्विंटल तस्करों को बेचते है. बाहर जो कोयला भेजा जाता है, वह तो जाता ही है.
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