कृषि मंत्री के क्षेत्र में शोभा की वस्तु बना टिशू कल्चर लैब, किसान बहा रहे अपनी बदहाली का आंसू


दुमका (DUMKA): संथाल परगना प्रमंडल में उद्योग धंधे नगण्य है. प्रमंडल के साहेबगंज, पाकुड़ और दुमका जिला में कुछ स्थानों पर पत्थर का उत्खनन होता है, जहाँ से स्टोन चिप्स विभिन्न प्रान्तों में भेजा जाता है. पत्थर उद्योग को छोड़ दें तो यहां के लोगों की जीविका का मुख्य आधार कृषि ही है. केंद्र से लेकर राज्य सरकार द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि कृषि के माध्यम से किसानों की आय को दुगुनी किया जाय. लेकिन यह तभी संभव है जब किसान परंपरागत कृषि के बदले आधुनिकतम तकनीक का उपयोग करते हुए कृषि का कार्य करें.
शोभा की वस्तु बन कर रह गई टिशू कल्चर लैूब
दुमका के खूंटा बांध में स्थित है क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, जो बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित है. क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र परिसर में किसानों के लिए आधुनिक तकनीक से टिशू कल्चर लैब बनाया गया. उद्देश्य था कि किसान केला, बांस और गन्ना की खेती कर अपनी आय को दुगुनी कर सके. लगभग एक करोड़ रुपए की लागत से निर्मित टिशू कल्चर लैब शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. यह संथाल परगना प्रमंडल का इकलौता लैब है, लेकिन कई कमियों के कारण किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. 2010 में इस लैब का निर्माण कराया गया. लैब के अंदर कई आधुनिक उपकरण, प्रयोगशाला और मशीनें लगाई गई, लेकिन बिजली के साथ कई समानों की कमी के कारण लैब में केला, बांस और गन्ना का कल्चर नहीं हो पा रहा है. बता दें कि चार कर्मचारियों के स्थान और इस लैब में मात्र एक कर्मचारी टेक्नीशियन को ही कार्यरत किया गया हैं, जिनका काम समय पर लैब का ताला खोलना और बंद करना रह गया है. लैब में टिशू कल्चर से जुड़ी मशीनों के खराब होने और प्रयोगशाला में लगने वाले केमिकल के अभाव में सिर्फ डियूटी कर रहे है.
जल्द शुरू होगा लैब
कुछ दिन पूर्व दुमका स्थित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र का निरीक्षण करने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह दुमका आए थे. उन्होंने टिशू कल्चर लैब का निरीक्षण किया. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने जल्द इसकी कमियां दूर करते हुए लैब शुरू करने की बात कही. उन्होंने कहा कि लैब के चालू होने से यहां के किसान उन्नत केला, बांस और गन्ना का पौधे प्राप्त कर पाएंगे. कुलपति ने कहा कि कर्मियों के खाली पद को जल्द भरा जाएगा. कुलपति के आश्वासन से एक बार फिर किसानों की उम्मीद जगेगी की कृषि कार्य के माध्यम से वो अपनी आय को दुगुना करेंगे. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि टिशू कल्चर लैब कब चालू होता है. कहीं ऐसा ना हो कि कुलपति का आश्वासन भी कोरा आश्वासन साबित हो और कॄषि मंत्री के क्षेत्र के किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहाते रहे.
रिपोर्ट. पंचम झा
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