धनबाद(DHANBAD): सोमवार को परिवार दिवस था और धनबाद में 6 घंटे के भीतर आत्महत्या की दो घटनाएं हुई. सराय ढेला के बापू नगर के 20 साल के विजय कुमार ने भेलाटांड़ जंगल में जाकर फांसी लगाकर जान दे दी, वही बलियापुर के 62 साल के पटल मंडल ने भी जंगल में फांसी लगा ली. 20 वर्षीय विजय कुमार जब फांसी लगाया, उस समय उसके घर में तिलक समारोह चल रहा था. रात 12 बजे तक विजय के घर नहीं आने पर उसकी खोजबीन शुरू हुई. इसके बाद उसके मोबाइल पर फोन किया गया तो उसने रिसीव नहीं किया. परिजनों ने विजय के दोस्तों को भी फोन कर पता किया लेकिन कुछ भी पता नहीं चला. इसके बाद मृतक के भाई उसे खोजने के लिए जंगल की ओर गए तो पेड़ से लटका हुआ उसकी लाश मिली. सूचना पर पुलिस पहुंची और उसे लेकर अस्पताल गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृतक के पिता की माने तो वह दवाई सप्लाई का काम करता था. रविवार की रात घर में तिलक समारोह चल रहा था. रात 10 बजे घर से निकला और 12 बजे तक वापस नहीं आने पर खोजबीन की गई तो उसकी लाश जंगल में फंदे से लटकती हुई मिली. इस घटना को लोग प्रेम संबंध से जोड़कर भी देख रहे हैं. जो भी हो लेकिन आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार धनबाद सहित देश में बढ़ रही है.
आत्महत्या का कारण क्या है ?
एक आंकड़े के अनुसार बिगड़ते सामाजिक ताना-बाना का असर धनबाद पर भी दिखने लगा है. पिछले 104 दिन में 40 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की है. इनमें 5 को तो बचा लिया गया लेकिन 35 ने दम तोड़ दिया. विशेष बात यह है कि इनमें से 20 मरने वालों की उम्र 16 से 26 वर्ष के बीच थी. 10 लोग 27 से 35 वर्ष के बीच के थे. इसके पीछे कई वजह हो सकती है, लेकिन सबसे बड़ा कारण सहनशीलता का अभाव, बिना मेहनत कुछ पाने की तमन्ना और भावुकता की पराकाष्ठा भी है .दरअसल जीवन की परेशानियों को लेकर संयुक्त परिवार की अवधारणा खत्म हो रही है. ऊपर से कोढ़ में खाज यह मोबाइल व सोशल मीडिया ने एक अलग दुनिया बसा ली है. इसके बीच में फंसे नौजवान मानसिक व शारीरिक रूप से तो नहीं लेकिन भावनात्मक रूप से कुछ ज्यादा ही बड़े हो जा रहे हैं और इस वजह से अधिकांश घटनाएं हो रही है. संयुक्त परिवार का ताना-बाना टूटना इसका एक बहुत बड़ा कारण सामने आ रहा है. एकल परिवार होने के कारण अब घर में दादा-दादी या नाना-नानी की उपस्थिति नहीं के बराबर रह गई है. माता-पिता कमाने में व्यस्त हैं. इस वजह से परिवार का कोई सदस्य तनावग्रस्त है या नहीं, यह भी पता नहीं चल पाता है.
मनोचिकित्सक क्या कहते हैं
मनोचिकित्सक कहते हैं कि आज के युवा हीन भावना से अधिक ग्रस्त हो रहे हैं. यह किसी भी कारण से हो सकता है. बार-बार की असफलता या फिर किसी के मित्र की उसे अच्छा कर लेने का तनाव भी हो सकता है. इसे आत्मविश्वास गिरने लगता है. अब ऐसा करने वालों को यह कौन समझाए कि हर दुख का अंत होता है. परिस्थितियां कैसी भी क्यों ना हो, हौसला कभी टूटने नहीं देना चाहिए. एक न एक दिन स्थिति जरूर अनुकूल होगी अगर कोई तकलीफ है तो अपनों के साथ साझा करें. उलझन अगर जटिल है तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें. इसकी दवा भी है. सबको सोचना होगा कि जीवन अनमोल है और इसे बेकार में नहीं गवाएं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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