टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-झारखंड के पलामू में मौजूद झारखंड का पहला टाइगर रिजर्व इन दिनों काफी सुर्खियों में है. इसकी वजह है कि बाघों के बिना सूना ये जंगल में अब तीन बाघों के दिखने से गुलजार हो गया है. सैलानियों की भीड़ भी इस सर्दी के मौसम में आने लगी हैं. बाघों की चहलकदमी से दहशत भी लोगों में हैं. लेकिन, खुशी इससे कही ज्यादा है कि इस टाइगर रिजर्व में बाघ की दस्तक काफी दिनों के बाद हुई. ऐसा लगता है कि यह फोरेस्ट रिजर्व बाघों के लिए एक मुफीद जगह एकबार फिर बनेगा और उनका घर बसेगा. पलामू टाइगर रिजर्व का मैनेजमेंट भी इन पर लगातार निगेहबानी किए हुए हैं. ताकि इनका आशियाना हमेशा के लिए यहीं बना रहें.
तीन बाघ देखे गए
पलामू टाइगर रिजर्व में इन तीन नर बाघों को देखा गया है. एक वक्त ये जंगल बाघों के बिना बेजार और सन्नाटे से भरा था. लेकिन, तीन बाघों की आमद से फिर इस वीरान जंगल के दिन बदल गये हैं. तीनों बाघ काफी युवा है और उनकी उम्र पांच से छह साल बताई जा रही है. कैमरा ट्रैप और स्कैट के बाद तीनों की पुष्टि की गई है. पहला बाघ मार्च के महीने में दिखा था, दूसरा औऱ तीसरा नवंबर महीने में दिखा. मालूम हो कि 2018 में पलामू टाइगर्स रिजर्व में बाघों की गिनती हुई थी, तो एक भी बाघ की पुष्टी नहीं हुई थी.
बाघिनों की जरुरत
तीन बाघों के आने से पलामू टाइगर रिजर्व में सभी तरफ खुशी बनी हुई है. साथ ही फिक्र भी है कि आखिर फिर यह जंगल बाघों के बिना खाली न हो जाए. यहां विभाग भी जानता है कि इन्हें रोके रखने के लिए बाघिनों की जरुरत होगी. तब ही इनका परिवार बसेगा और इनकी संख्या में भी इजाफा होगा . एकबार अगर ये मुक्कमल इंतजाम हो गये तो फिर पुराने दिनों की तरह ही पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की अच्छी-खासी तादाद होगी. पीटीआर के अधिकारी इस लेकर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. अन्य अभ्यारण्यों से बाघिनों को लाने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से संपर्क करने पर भी विचार किया जा रहा है.
पीटीआर के उप निदेशक कुमार आशीष की माने तो टाइघर रिजर्व में जो बाघ अभी घूम रहे हैं. वो प्रवासी है और यहां की आबोहवा यहां अच्छी लग रही है. इन्हें बसाने के लिए पर्याप्त भोजन, उपयुक्त आवास और बाघिनों की जरुरत होगी. अगर इसका इंतजाम नहीं किया गया, तो फिर यहां से दूसरे जगह जा सकते हैं.
1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है टाइगर रिजर्व
पलामू टाइगर रिजर्व काफी लंबे भूभाग में फैला हुआ, जो 1129 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र लिए हुए हैं. ध्यान रहे कि बाघों के संरक्षण के लिए 1971-72 में देशभर में 9 टाइगर रिजर्व बनाए गये थे. उसी दौरान पलामू टाइगर रिजर्व में 50 बाघों के मौजूद होने की पुष्टी हुई थी. 2005 में बाघों की संख्या 38, 2007 में 17, 2009 में 6 और 2017 में 1 बाघ की पुष्टि की गई थी. वही, 2018 में एक भी बाघ नहीं थे.
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