धनबाद(DHANBAD): आत्मनिर्भर भारत अभियान में बोकारो स्टील प्लांट की बड़ी भूमिका है. यह भूमिका आगे और बढ़ेगी. उच्च गुणवत्ता वाली डीएमआर प्लेट्स का उत्पादन इसका उदाहरण है. यह प्लेट्स भारतीय नौसेना सहित रक्षा के क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. यह कहना है केंद्रीय इस्पात मंत्री का. बता दें कि केंद्रीय इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी एवं केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा सोमवार को बोकारो पहुंचे. बोकारो स्टील प्लांट का निरीक्षण किया. सेल के अध्यक्ष भी साथ थे. यह दौरा पूर्व निर्धारित था. केंद्रीय इस्पात मंत्री ने स्पष्ट कह दिया कि बोकारो स्टील प्लांट में 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील का उत्पादन शुरू हो जाएगा.
आत्मनिर्भर भारत अभियान को बड़ी मजबूती मिलेगी
इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को बड़ी मजबूती मिलेगी. केंद्रीय इस्पात मंत्री का आज का दौरा और उत्पादन बढ़ाने की घोषणा को रक्षा एवं बुनियादी ढांचे के विकास के रूप में देखा जा रहा है. इस्पात मंत्री के दौरे से अब यह भरोसा बढ़ गया है कि देश के स्टील उत्पादन में बोकारो स्टील प्लांट की भूमिका बढ़ेगी. केंद्रीय इस्पात मंत्री का यह पहला बोकारो दौरा है. वह 28 जनवरी को भी बोकारो में रहेंगे. बताया जाता है कि इस्पात मंत्री बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारियों से प्लांट के विस्तारीकरण सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे. बोकारो स्टील प्लांट का विस्तारीकरण होना है. उत्पादन बढ़ाना है. उत्पादन बढ़ाने को लेकर लंबे समय से ब्लूप्रिंट तैयार है. लेकिन विस्थापन की समस्या इसमें अड़ंगा डाल रही है.
मजदूर नेताओं से भी मिल सकते है केंद्रीय इस्पात मंत्री
मजदूर समस्याओं को लेकर भी केंद्रीय गृह मंत्री से मजदूर नेताओं से बात हो सकती है. उलेखनीय है कि बोकारो इस्पात कारखान सार्वजनिक क्षेत्र में चौथा इस्पात कारखाना है. यह सोवियत संघ के सहयोग से 1965 में शुरू हुआ. शुरू में इसे 29 जनवरी, 1964 को एक लिमिटेड कम्पनी के तौर पर निगमित किया गया और बाद में सेल के साथ इसका विलय हुआ. पहले यह सेल की एक सहायक कम्पनी और बाद में सार्वजनिक क्षेत्र लोहा और इस्पात कम्पनियां (पुनर्गठन एवं विविध प्रावधान) अधिनियम 1978 के अंतर्गत एक यूनिट बनाई गई. यह कारखाना देश के पहले स्वदेशी इस्पात कारखाने के नाम से विख्यात है. इसमें अधिकतर उपकरण, साज-सामान तथा तकनीकी कौशल स्वदेशी ही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+