रांची(RANCHI): बड़े ही उम्मीद के साथ एक अलग राज्य झारखंड का गठन हुआ था. उम्मीद की जा रही थी कि राज्य बनने के बाद विकास की नई नींव गढ़ी जाएगी. मगर, यहां विकास के नाम पर जनता को क्या मिला, ये तो जनता बेहतर बताएगी. पूरी दुनिया आज स्पेस प्रोग्राम की बात करती है. भारत चांद पर मानव को भेजने वाला है. अभी तो इसकी शुरूआत हो रही है. मगर, जब भविष्य में चांद पर आना-जाना सामान्य हो जाएगा, तब भी शायद झारखंड की राजधानी रांची के लोग आपको यहीं मिलेंगे. वजह आम है, वे निकलेंगे तो चांद पर जाने के लिए, मगर, वे रह जाएंगे रांची की सड़कों पर बीच ट्रैफिक में फंसे.
महानगरों की लिस्ट में शुमार होने चला रांची
आमतौर पर जब भी देश में खराब और व्यस्त ट्रैफिक का जिक्र आता है, तो लोगों को महानगरों की बिजी ट्रैफिक की याद आती है. इनमें बेंगलुरू, मुंबई, दिल्ली की ट्रैफिक को याद किया जाता है, इसके बारे में कई तरह के जोक भी बनाए जाते हैं. मगर, यही लोग रांची की सड़कों पर निकल जाएं तो शायद रांची की गिनती भी इन्हीं शहरों में होने लगे.
मान लीजिए आप ऑफिस जाने के लिए समय पर घर से निकलते हैं. आपके घर से ऑफिस के बीच की दूरी तय करने में आधे घंटे का समय लगता है. लेकिन यहां की ट्रैफिक इतनी अच्छी है कि वो आपको जल्दबाजी करने ही नहीं देती, आपको आधे घंटे की दूरी तय करने में करीब डेढ़ से दो घंटे लग जाते हैं. आपको इस ट्रैफिक में इतना समय मिलता है कि आप चलते ऑटो या कार या बाइक से उतरकर शॉपिंग कर सकते हैं. यह ट्रैफिक इतनी अच्छी है कि आपको शिकायत करने का मौका नहीं मिलता कि आपके पास समय नहीं है, भले चाहे इस समय के चक्कर में आपकी नौकरी चले जाए, या एम्बुलेंस में इलाज के लिए जा रहे मरीज की जान चली जाए या और भी बहुत कुछ.
रांची के इन सड़कों पर बहुत समय है तभी निकलें
अब जान लीजिए कि रांची में इतनी बढ़िया ट्रैफिक कहां-कहां है. वैसे तो रांची की लगभग सड़कों का यही हाल है. रांची के कांटा टोली चौक, सुजाता चौक, हरमू रोड से भारत माता चौक, किशोरगंज, करम टोली चौक, नागा बाबा खटाल से कचहरी चौक और अरगोड़ा चौक से कटहल मोड़ तक गाड़ियां हर दिन चलती नहीं रेंगती रहती है. कुछ ऐसा ही हाल जेल चौक से कचहरी चौक और लालपुर चौक से डिस्टलरी पुल तक का भी बना रहता है.
रांची में सबसे खराब ट्रैफिक व्यवस्था का आपको पता लगाना है तो आप दिन में कभी भी रातू रोड या कांटा टोली चौक पर जा सकते हैं. रातू रोड के पिस्का मोड़ से अगर आपको रातू रोड चौक, कचहरी चौक, लालपुर या कहीं जाना है तो आपको अपने समय से लगभग एक से डेढ़ घंटे पहले निकलना पड़ेगा. नहीं तो आप इस ट्रैफिक जाम में इस कदर फंसेंगे कि आपका काम तो नहीं होगा, मगर आप खुद को जरूर कोसने लगेंगे कि आपने ये रास्ता क्यों लिया. इस रास्ते में गाड़ियां चलती नहीं रेंगती हैं. आप पैदल चलकर इन गाड़ियों से पहले अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. यही हाल कांटा टोली चौक का है. और आज कल यही हाल अरगोड़ा से कटहल मोड़ वाले रास्ते का है. बाकि जगह तो गाड़ियां रेंगती भी हैं, मगर, इस रास्ते में तो गाड़ियां रुक जाती हैं.
प्रशासन की जवाबदेही कब होगी तय?
इस बदत्तर ट्रैफिक व्यवस्था के लिए प्रशासन कभी ऑटो चलाने वालों को जिम्मेवार मानती है, तो कभी किसी और को. मगर, अपनी जिम्मेदारी प्रशासन कभी तय नहीं कर पाई है. हर बार यही बोला जाता है कि इस पर काम हो रहा है, जल्द ही इस समस्या से निजात पा ली जाएगी. मगर, होता कुछ नहीं है. इस ट्रैफिक के कारण एक तो लोगों की परेशानी बढ़ रही है, उन्हें देर होती है. वहीं दूसरी ओर प्रदूषण भी बढ़ रहा है. रांची जिसे कभी हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता था, वह आज एक गैस चैंबर बनने की ओर अग्रसर है. मगर, मजाल है कि आज तक प्रशासन ने अपनी जवाबदेही तय की हो. इसलिए तो अभी ये हाल है तो आने वाले दिनों में तो गाड़ियां इन सड़कों पर रेंग भी नहीं पायेंगी. इसलिए तो कहा जा रहा है कि दुनिया चांद पर पहुंच जाएगी, मगर, रांची के लोग इस ट्रैफिक जाम में ही फंसे मिलेंगे.
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