गोमिया :- बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों माइक्रोफाइनांस कम्पनियों का मकड़जाल फैला हुआ है. इसके जाल में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं धीरे-धीरे फंसते ही जा रही है. माली हालत ठीक नहीं रहने के चलते गांव की गरीब महिलाएं अपनी रोजी-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए या अपनी आमदनी को मजबूत करने के लिए माइक्रोफाइनांस कंपनियों से कर्ज लेती है. इसके एवज में उसे सप्ताह, 15 दिन या एक महीने के छोटे छोटे किस्तों में ब्याज के साथ कर्ज के पैसे को चुकाना होता है.
कर्ज के दलदल में फंसती महलिाएं
महिलाएं कर्ज लिए हुए पैसे से छोटा-मोटा व्यापार या कुटीर उद्योग लगाती है, कभी- कभी उनका कारोबार चल निकलता है, तो कभी-कभी इसमे नुकसान उठाना भी पड़ता है. कारोबार डूबने की सूरत में महिलाएं कर्ज लिए हुए पैसे को चुका पाने में असमर्थ हो जाती है. ऐसी हालत में माइक्रोफाइनांस कम्पनियों का दबाव महिलाओं पर बढ़ता जाता है. दबाव और लाचारगी के चलते महिलाएं एक माइक्रोफाइनांस कम्पनी से कर्ज लिए हुए पैसे चुकाने के लिए दूसरे माइक्रोफाइनांस कम्पनी से कर्ज ले लेती है. यही से उसके दिन खराब होने शुरु होते हैं और इसके मकड़जाल में खुद को फंसा लेती है. एक को कर्ज चुकाने के चक्कर में दूसरे और फिर तीसरे माइक्रोफाइनंस कंपनी से कर्ज लेती है. जो एक सिलसिला सा चलता रहता है. अंत में एक वक्त ऐसा होता कि कर्ज के दलदल से निकल ही नहीं पाती.
रिकवरी एजेंट करते हैं बदतमीजी
उधर माइक्रोफाइनांस कम्पनियों के लोन रिकवरी एजेंट दिए हुए कर्ज के पैसे वसूलने के लिए लगातार दबाव डालते है. महिलाओं के घर आकर पैसे चुकाने के लिए बदतमीजी से भी पेश आते हैं. कभी-कभी अभद्रता इतनी बढ़ जाती है कि महिलाएं इससे अजीज हो जाती है. दूसरी तरफ इस अभ्रदता के खिलाफ थाने जाने से भी घबरती है. ऐसी हालत में उसकी जिंदगी नरक जैसी हो जाती है.
बीते साल गोमिया के होसिर लरैयाटांड़ की महिला पूर्णिमा देवी कर्ज के अंधेरे में ऐसे डूबी कि उसने अपना जीवन खत्म करने के लिए कीटनाशक दवा पी ली . इसके बाद महिला कई दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच मे झूलती रही, और अंततः वह अपने जिंदगी की जंग को हार गई. ये सच है कि माइक्रोफाइनांस कम्पनियों से कर्ज लेकर कई महिलाएं समय और पैसे का सदुपयोग करके व्यापार के जरिए अपने आय के स्रोत को बढ़ा भी रही है. उन्हें इसका फायदा भी मिलता है.
प्रशासन है बेखबर
इधर प्रशासन की माने तो उन्हें मामले की जानकारी नहीं है. माइक्रोफाइनांस कम्पनियों के विरुद्ध आवेदन आने पर कड़ी कार्यवाही का भरोसा दिलाया. वहीं क्षेत्र के कई बुद्धिजीवियों ने कहा कि यदि कोई महिला कम्पनियों से लिये गए कर्ज के पैसे को नही लौटाती है तो संबंधित कम्पनी के द्वारा महिला को लीगल नोटिस भेजनी चाहिए, और इसके बावजूद भी वह कर्ज के पैसे नही लौटाती है तो उसपर कानूनी कार्यवाही करने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए. न की एजेंट के जरिए महिला को जलील किया जाए या फिर अभद्रता से पेश आया जाए .
रिपोर्ट- संजय कुमार
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