जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) : एक तरफ देश में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है वहीं दूसरी तरफ इस अभियान का कचड़ा होते हुए साफ नजर आ रहा है. जिस तरह का दृश्य जमशेदपुर से सामने आया है ऐसे में ये साफ है कि इस अभियान का कोई खास असर नहीं पड़ा है. अपना वोट बैंक बनाने के लिए नेता कई दावे करते हैं. चुनाव लड़ने से पहले शहर को स्वच्छ करना नदियों को साफ रखना महंगाई - जैसी कई वादे लोगों से किए जाते हैं. मगर इन वादों को शायद ही पूरा किया गया होगा. वहीं आम नागरिक भी इसे गंदा रखने में बराबर के जिम्मेवार है. गंगा बचाओ के साथ-साथ अन्य नदियों को बचाने के लिए कई योजनाएं लाए गए हैं और लोगों से भी साफ रखने की अपील भी की कई है. मगर किसी के कान में जु तक नहीं रेंग रहे हैं. जमशेदपुर शहर की दोनों नदियों को यहां के नागरिक यहां की कंपनियां और नगर निगम नदियों को काला पानी में तब्दील कर रहे है.
खतरे में है नदियों का अस्तित्व
जमशेदपुर शहर के चारों तरफ यह दोनों नदियां फैली हुई है जो की नाले में तब्दील होती जा रही है. शहर में नदियों को देखने वाला कोई नहीं है. ऐसे में आनेवाले समय में नदियों का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है. इस शहर के लगभग 40 बड़े नाले और डेनिस का पानी सीधे नदी में गिरता है जिससे नदी का पानी नाली में तब्दील हो गया है और दोनों नदी का पानी काला होता जा रहा है, नदियों के पानी में ना तो स्थानीय लोग नहा सकते हैं और ना ही जानवर इस पानी का उपयोग कर पा रहे हैं नदी का पानी दूषित हो चुका है.
पानी ट्रीटमेंट करने का दावा
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सह झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने काला पानी से नदियों को बचाने के लिए एक कदम बढ़ाया था, और लाखों रुपए खर्च कर नदी में तीन बड़े-बड़े गड्ढे बनाकर शहर के नाले का पानी ट्रीटमेंट करने का दावा किया था, मगर यह दावा सपने में तब्दील हो गया, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का ड्रीम प्रोजेक्ट खुद ट्रीटमेंट होता दिख रहा है, मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस कदम के बाद खुद कहा था कि अब इसी तरह नदी में और जगहों पर गड्ढे बनाकर शहर के गंदे पानी नदी में ना जाकर यहां ट्रीटमेंट कर उस पानी को पेड़ पौधों में डाला जाएगा, और उन्होंने ट्रीटमेंट होता पानी भी लोगों को दिखाकर खूब सुर्खियां बटोरी थी, मगर इस पहल को किसी की नजर लग गई.
इन दावों की हकीकत
जमशेदपुर शहर को पूरी तरह से दोनों नदियों के बीचो-बीच है जिसमें तीन नगर निकाय आते हैं और कई बड़ी कंपनियां भी इस के बीच आती है जहां एक तरफ नगर निकाय स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, तो वहीं दूसरी तरफ बड़ी-बड़ी कंपनियां सीएसआर के तहत करोड़ों रुपए शहर पर खर्च करने का दावा करती है मगर शहर की लाइफ लाइन को देख इन दावों की हकीकत समझी जा सकती है. तीनों नगर निकाय क्षेत्र में लगभग 40 बड़े बड़े नाले जो सीधे नदियों में गिरते हैं, मगर अब नगर निकाय का दावा है कि करोड़ों की योजना बनाई जा रही है, जिससे शहर का पानी बिना ट्रीटमेंट हुए नदियों में नहीं जाएगा.
30 करोड़ की लागत से बनाई गई योजना
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति का कहना है कि 30 करोड़ की लागत से इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा और हमारे क्षेत्र में आने वाले 19 बड़े नालों के पानी को ट्रीटमेंट कर नदियों में गिराया जाएगा तो, वहीं दूसरी तरफ मानगो नगर निगम के अधिकारी का कहना है कि हमारे यहां भी आठ ना ले जो सीधे नदियों में रहते हैं और कई नदियों में हमने जाली लगाया है. जिससे कपड़ों को रोका जाता है मगर गंदा पानी नदी में गिरता है जिसकी वजह से नदी का पानी काला होता जा रहा है. विभाग जमीन चिन्हित कर रही है जिस पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए और शहर के तमाम ड्रेनेज और नालों के पानी को रीसाइक्लिंग किया जाएगा.
सरयू राय का मंत्री बन्ना गुप्ता के पहल पर सवाल
इन दोनों नदियों से जहां पूरे शहर को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है तो वहीं आसपास के 40 गांव इस नदी पर डिपेंड है और पानी इतना गंदा हो गया है कि विभाग को लोगों तक पानी पहुंचाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ लगातार नदी सुरक्षा को लेकर आवाज उठाते सरयू राय ने इन सभी दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है, और इस पर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को भी इन दोनों नदियों को बचाने के लिए एक ठोस कदम उठाने की मांग की है, वहीं सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता के पहल पर सवाल खड़ा किया और दूसरी तरफ नगर निकाय के अधिकारियों द्वारा किए गए दावों पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस पर अब सरकार और हाई कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए जिससे हर साल करोड़ों रुपए खर्च हो जा रहे हैं मगर नदी अपना अस्तित्व होते जा रही है .
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