चतरा(CHATRA): तीन दिवसीय राजकीय इटखोरी महोत्सव का उद्घाटन रविवार को धूमधाम के साथ हुआ. डॉ. विपिन कुमार मिश्रा के स्तोत्र गायन के बीच झारखंड सरकार के श्रम नियोजन प्रशिक्षण मंत्री सत्यानंद भोक्ता, सासंद सुनील कुमार सिंह व सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि चतरा के पावन धरती इटखोरी में पिछले आठ वर्षों से इटखोरी महोत्सव आयोजित किया जा रहा है. पिछले दो वर्ष कोविड-19 कारण सांकेतिक रूप से इटखोरी महोत्सव आयोजित किया गया. लेकिन इस बार फिर से भव्य रूप में इटखोरी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
मंत्री ने कहा कि इटखोरी महोत्सव के आयोजन से इटखोरी स्थित भद्रकाली मंदिर का देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ख्याति प्राप्त हुआ है. अब जिले के लोगों को पूरे एक साल तक इटखोरी महोत्सव का इंतजार रहता है. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के सभी धार्मिक व पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए संकल्पित है. चतरा जिले के पर्यटन स्थलों का भी विकास किया जा रहा है. जिले के धार्मिक व पर्यटन स्थलों के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गई है. चतरा जिले में इटखोरी के साथ-साथ माता कौलेश्वरी, चूंदरू धाम, महादेव मठ, बल बल गर्म कुंड, बरूरा शरीफ के साथ-साथ तमासिन जलप्रपात, गोवा, खैयवा जलप्रपात के विकास के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं. आने वाले दिनों में जिले के सभी धार्मिक व पर्यटन स्थल का विकास होगा.
उन्होंने कहा कि जल्द ही वे सांसद सुनील कुमार सिंह व सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास के साथ मिलकर एक बैठक करेंगे और जिले के धार्मिक व पर्यटक स्थलों को और कैसे विकसित किया जा सकता है, उसका रूपरेखा तैयार करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं को गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में जुटी है. ताकि गांव के लोग सुख व शांति से अपना जीवन व्यतीत कर सकें.
राजनीति बांटती है, लेकिन संस्कृति जोड़ने का काम करती है : सांसद
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद सुनील कुमार सिंह ने कहा कि कोविड के कारण दो साल तक संकेतिक रूप से इटखोरी महोत्सव का आयोजन किया गया. लेकिन इस वर्ष फिर से इटखोरी महोत्सव पुराने वैभव में लौट गया है. उन्होंने कहा कि हिंदू जैन व बौद्ध धर्म की संगम स्थली इटखोरी में महोत्सव के आयोजन से जिले का परिदृश्य बदला है. 2014 के पूर्व जिले की पहचान रक्तरंजित व्यव्स्था के लिए होती है. लेकिन माता भद्रकाली की कृपा से अब इस जिले की पहचान धार्मिक व पर्यटन के रूप में हो रही है. उन्होंने कहा कि इटखोरी महोत्सव अब किसी व्यक्ति व संस्थान का नहीं रहा. बल्कि यह महोत्सव अब सरकार का हो गया है. अब चाहे कोई भी विधायक व सांसद रहे, इटखोरी महोत्सव होता रहेगा. जब वह 2015 में इटखोरी महोत्सव की शुरुआत की थी तो उनकी कल्पना थी कि माता के दरबार में प्रत्येक वर्ष महोत्सव का आयोजन हो. अब यह सपना पूरा होता दिखाई पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीति भले ही लोगों को बांटने का काम करती है, लेकिन संस्कृति एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को जोड़ने का काम करती है. उन्होंने कहा कि जिले के पर्यटन स्थलों को सर्किट के तौर पर श्रृंखला खड़ा कर जिले को विकसित किया जा सकता है. पर्यटन सिर्फ रोजगार ही नहीं उपलब्ध कराता है बल्कि लोगों को संस्कृति का बोध भी कराता है.
तीन धर्मों का संगम स्थल है इटखोरी : विधायक
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास ने कहा कि जिले का इटखोरी तीन धर्मों का संगम स्थल है. हिंदू जैन व बौद्ध धर्म के लिए अनुयायियों के लिए यह आस्था का केंद्र है. कार्यक्रम में कम उपस्थिति को लेकर विधायक ने जिला प्रशासन को खरी-खोटी भी सुनाया. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में खाली कुर्सियां चिंता का विषय है. जिला प्रशासन को इसके लिए चिंतन करने की आवश्यकता है. आज इटखोरी महोत्सव किसी ख्याति का मोहताज नहीं है. इसके बावजूद कार्यक्रम में उपस्थिति कम होना चिंता जाहिर करता है. तीन धर्मों के संगम स्थली भद्रकाली का ख्याति और भी कैसे बढ़े, इसके लिए हम सभी को सोचना पड़ेगा.
जिले के सभी धार्मिक व पर्यटन स्थलों के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार : डीसी
इटखोरी महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीसी अबू इमरान ने कहा कि जिला प्रशासन जिले के सभी धार्मिक व पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए कार्य योजना तैयार की है. कई धार्मिक व पर्यटन स्थलों पर विकास के कार्य किए भी जा रहे हैं. तीन धर्मों के संगम स्थल इटखोरी में जिला प्रशासन की ओर से भव्य डाक बंगला बनाया गया है. बल बल गर्म कुंड में भी 50 लाख रुपए से अधिक लागत से विकास के कार्यों की स्वीकृति दी गई है. जिले के कौलेश्वरी, चूंदरू धाम, खैयवा, बरूरा शरीफ, गोवा जलप्रपात, तमासिन जलप्रपात में भी विकास के कार्य किए जा रहे हैं. जिला प्रशासन का यह प्रयास है कि जिले के सभी पर्यटन स्थलों का समुचित विकास किया जा सके. इस दौरान उन्होंने झारखंड सरकार के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन का संदेश भी पढ़ कर सुनाया.
दुल्हन की तरह सज गई है भद्रकाली नगरी
महोत्सव को लेकर भद्रकाली नगरी को दुल्हन की तरह सजाई गई है. इटखोरी-चतरा रोड स्थित भद्रकाली द्वार से मां के मंदिर तक की सड़क चमचमा उठी है. मुख्य सड़क से भद्रकाली मंदिर की दूरी करीब एक किमी है. ये पूरी सड़क महोत्सव के खूबसूरत फ्लैशबोर्ड और दूधिया रोशनी से जगमगा उठी है. मां भद्रकाली मंदिर सहित नगरी के सभी मंदिर और मठ खूबसूरत रंगबिरंगी रोशनी से जगमगा उठी हैं.
खाली पड़ी रही कुर्सियां
मुख्यमंत्री का कार्यक्रम स्थगित हो जाने के कारण महोत्सव का उद्घाटन फीका पड़ गया. उद्घाटन कार्यक्रम में बहुत कम लोग शामिल हुए. कार्यक्रम में लगाई गई एक चौथई कुर्सियां भी दर्शकों से नही भर पाई. पिछले आठ वर्षों में यह पहला मौका है जब लोगों में महोत्सव को लेकर उत्साह व उमंग नहीं देखा गया. इससे पूर्व महोत्सव के उद्घाटन पर जिले के विभिन्न प्रखंडो व जिले के बाहर से भी लोग पहुंचते थे. आलम यह होता था कि परिसर में पांव रखने की जगह नहीं होती थी. लेकिन इस बार वो बात नहीं दिखी. कार्यक्रम स्थल पर दस हजार खुशियां लगाई गई है. इनमें से ज्यादातर कुर्सियां खाली पड़ी रही. महोत्सव के अवसर पर लगने वाले मेले में भी भीड़ नहीं देखी गई .
रिपोर्ट: संतोष कुमार, चतरा
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