दुमका(DUMKA): 24 फरवरी से दुमका के ऐतिहासिक हिजला मेला का आयोजन होना है. वर्ष 1890 से मयूराक्षी नदी के तट पर हिजला में लगने वाले इस मेला को राजकीय जनजातीय हिजला मेला का दर्जा प्राप्त है. 2 वर्षों तक कोरोना के कारण हिजला मेला का आयोजन नहीं हो पाया. इस वर्ष हिजला मेला को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोर-शोर से चल रही है.
पूरी तरह आदिवासी सभ्यता और संस्कृति पर आधारित इस मेले में अब आधुनिकता की झलक भी देखने को मिल रही है. कोरोना काल के पहले से ही मेला में आकर्षण का केंद्र बिंदु आदिवासी बालाओं द्वारा रैंप वाक रहा है. इस वर्ष भी जनजातीय फैशन शो का आयोजन होना है. जहां आदिवासी बाला रैंप वॉक करती नजर आएंगी. फैशन शो को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कमेटी भी गठित की गई है. प्रतिभागियों का चयन किया गया है.
कन्वेंशन सेंटर में जनजातीय फैशन शो का लिया गया ग्रूमिंग क्लास
आज रविवार को दुमका के कन्वेंशन सेंटर में जनजातीय फैशन शो का ग्रूमिंग क्लास लिया गया. इसमें विभिन्न आयु वर्ग के 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया. प्रतिभागियों को रैंप वॉक का प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें उनके चाल, भाव-भंगिमा एवं आत्मविश्वास बढ़ने के टिप्स दिए गए. प्रशिक्षण देने के लिए रांची एवं दुमका के पेशेवर महिला मॉडल मौजूद थी. प्रशिक्षण में मुख्यतः स्टेज पर रैंप वॉक एवं परंपरागत परिधानों की जानकारी दी गई. जहां रैंप पर आदिवासी बाला कैटवॉक करती नजर आई. आत्मविश्वास से लवरेज प्रतिभागी राजकीय जनजाति हिजला मेला के दौरान अपनी प्रतिभा और जलवा बिखेरने के लिए बेताब नजर आयी.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका
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