दुमका(DUMKA): वर्ष 1999 में बॉलीवुड में एक फ़िल्म आयी थी सूर्यवंशम. अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ने खूब सुर्खियां बटोरी, जिसमें निरक्षर हीरा ने अपनी पत्नी राधा को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और लाख चुनौतियों के बाबजूद गौरी कलेक्टर बन कर हीरा के सपनों को पूरा किया. रील लाइफ की यह कहानी रियल लाइफ में दुमका में देखने को मिल रही है. शहर के श्री राम पड़ा निवासी मो. सलीम उर्फ लिली मिस्त्री खुद तीसरी पास होने के बाबजूद पत्नी नाज परवीन को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और आज नाज सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल कर डॉ नाज परवीन बन गयी.
नाज परवीन ने साबित किया हौसलों से उड़ान होती है
शहर के श्रीराम पाड़ा की रहनेवाली नाज परवीन ने साबित कर दिया है कि पंख से नहीं बल्कि हौसलों से उड़ान होती है. उसके पति प्राइवेट बिजली मिस्त्री और वह अपने एसपी कॉलेज में दैनिक वेतन भोगी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी है. एक छोटे से घर में रहनेवाली नाज ने जब बड़ा सपना देखा तो उसमें उसके पति ने भी उसका खुब साथ दिया. वह पढ़ना चाहती थी तो उसे एमए तक की पढ़ाई की खुली छूट दी. एक समय ऐसा भी आया जब उसने हालातबस पोषण सखी पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन पति ने उसे आगे की पढ़ाई करने की सलाह दी. पति की आशाओं पर खरा उतरते हुए नाज परवीन ने 2017 में जहां नेट 2017 की परीक्षा में सफलता हासिल की थी वहीं अब उसने पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली है.उसका विषय है. ‘‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड क्षेत्र की महिलाओं का योगदान’’. उनके गाइड रहे हैं एसपी कॉलेज के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ संजीव कुमार. नाज फिलहाल एसकेएम यूनिवर्सिटी में दैनिक वेतन भत्ते पर एक कर्मचारी के रूप में काम कर रही हैं,लेकिन उसका सपना है कि वह व्याख्याता के रूप में कॉलेज के छात्र छात्राओं को पढ़ाएं.
पत्नी को इंग्लिश में मिले पीएचडी सर्टिफिकेट को नहीं पढ़ पाने का पति को है मलाल
नाज के पति दुमका शहर के श्रीरामपाड़ा निवासी मो. सलाम उर्फ लीली मिस्त्री अपने जानने वालों को अपनी पत्नी के उस पीएचडी सर्टिफिकेट को दिखाते हैं, जिसे दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने जारी किया है. इस सर्टिफिकेट में लिली के लिए खुशी और मलाल दोनों का समिश्रण है, क्योंकि वह अंग्रेजी में दिए गए अपनी पत्नी के इस सर्टिफिकेट को पढ़ नहीं सकता. लिली ने सिर्फ तीसरी कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त की है.लिली एक बिजली मिस्त्री हैं, जो जनरेटर, मोटर, पंखा, पंपसेट आदि की मरम्मत कर अपने परिवार चलाते हैं.लिली कहते हैं कि 25 साल पहले जब उनकी शादी नाज परवीन से हुई थी तब वह कक्षा नौ तक पढ़ी थी. फिर हम लोगों से यह तय किया कि पत्नी को उच्च शिक्षा दिलानी है. नाज परवीन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लिली ने घर की जरूरतों के साथ अपनी पत्नी को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. नाज ने माध्यमिक स्तर की शिक्षा शिकारीपाड़ा के सरकारी स्कूल से पूरा की है. नाज ने कहा कि गरीबी के बावजूद उसने ठान लिया है कि उसे आगे पढ़ाई करना है और दुनिया को कुछ बन कर दिखाना है. एसपी कॉलेज दुमका से वर्ष 2012-13 में इतिहास विषय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2017 में उसने नेट क्वालिफाई किया और फिर पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया.अब वह डॉक्टर नाज परवीन बन गयी है.
आर्थिक तंगी में पढ़ाई छोड़ने वालों के लिए प्रेरणास्रोत है डॉ नाज
डॉ नाज परवीन की कहानी प्रेरणा स्रोत है वैसे छात्रों के लिए जो आर्थिक तंगी को पढ़ाई में बाधक मानते हैं. डॉ नाज ने साबित किया है कि अगर दिल मे लगन हो तो लाख मुसीबतों का बाबजूद सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी.तभी तो आज डॉ नाज पर सभी नाज कर रहे हैं.
रिपोर्ट-पंचम झा
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