धनबाद(DHANBAD): पिछले 40 घंटे से भी अधिक समय से धनबाद में एक चप्पल चर्चा में है. यह चप्पल विशेष है ,इसलिए इसकी चर्चा भी विशेष ढंग से ही हो रही है. इस चप्पल ने 27 सालों से धनबाद के रेलवे अस्पताल में पदस्थापित अस्पताल के सहायक बसंत उपाध्याय को अस्पताल पहुंचा दिया है. फिलहाल धनबाद के अशर्फी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. मामला बहुत साधारण है लेकिन यह इतना बड़ा बन गया है कि रेल के सारे बड़े बड़े अधिकारी आरोपों के घेरे में है.
पूरा मामला
अगर कर्मियों की बात पर भरोसा करें तो रेल अधिकारियों को ऐसा करने के पहले सौ बार सोचना चाहिए था. रेल के बड़े अधिकारी तो न्याय की कुर्सी पर बैठे हैं. लोगों को उनसे न्याय की अपेक्षा है. लेकिन अगर खुद वही अन्याय पर उतर आए तो फिर धनबाद रेल मंडल के भारी कर्मियों की फौज को न्याय कौन देगा. मामला कुछ ऐसा है कि गुरुवार को डीआरएम की पत्नी दांत का इलाज कराने रेलवे अस्पताल में डॉक्टर निशा अग्रवाल के चेंबर में पहुंची. वहां तैनात सहायक बसंत उपाध्याय ने मैडम को नहीं पहचाना और कह दिया कि चप्पल खोल कर चेंबर में प्रवेश करें. बस यही से बात बिगड़नी शुरू हुई और इतनी बिगड़ी की कर्मी हड़ताल पर चले गए. आरोप के मुताबिक घटना गुरुवार को हुई. शुक्रवार की सुबह बसंत उपाध्याय के परिवार के लोग अस्पताल पहुंचे और घटना की जानकारी दी. यह भी बताया कि वह अवसाद में चले गए हैं. पूरी कहानी सुनकर रेलवे अस्पताल के कर्मचारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी. इसके बाद तो रेल अधिकारी भागे भागे अस्पताल पहुंचे. बड़े अधिकारियों को अस्पताल भेजा गया, कर्मचारियों को समझाने के लिए लेकिन कर्मचारियों के सवालों का जवाब अधिकारियों के पास नहीं था. आरोप के मुताबिक डीआरएम की पत्नी के लौटने के बाद अस्पताल के सीएमएस को फोन आया की बसंत उपाध्याय को लेकर डीआरएम ऑफिस पहुंचे. कहते हैं कि वहां डीआरएम ने बसंत उपाध्याय के कपड़े उतरवाने की बात कही. उसके बाद कुछ लोगों ने कोरिडोर में बसंत उपाध्याय का शर्ट उतरवा लिया और खरी-खोटी सुनाई. इसके बाद से ही बसंत उपाध्याय अवसाद में चले गए. पहले तो उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया फिर अस्पताल भेजा गया.
रेलवे अधिकारी कह रहे हैं कि जो भी हुआ, वह गलत हुआ. नहीं होना चाहिए था. एक सूत्र ने यह भी बताया कि गुस्से में डीआरएम ने कपड़े खुलवाने के आदेश जरूर दिए लेकिन फिर उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. हालांकि दूसरे सूत्र का यह भी दावा है कि सीसीटीवी कैमरे में कपड़ा उतरवा ते तस्वीर कैद हो गई है. जांच की बात कही जा रही है. बसंत उपाध्याय का कहना है कि वह मैडम को पहचानते नहीं थे और वहां पहुंचने वाले सारे मरीजों से अनुरोध करते है कि चप्पल जूता खोलकर अंदर प्रवेश करें .इसी क्रम में मैडम को भी उन्होंने यह बात कह दी. बस इतनी सी उनकी गलती है और उस गलती के लिए इतनी बड़ी सजा उन्हें दी गई है.
आरोपों की होगी जांच
बहरहाल धनबाद रेल मंडल कार्यालय में हुई इस घटना की निंदा सभी लोग कर रहे हैं. चटखारे लेकर बता, सुना भी रहे हैं. मामला अभी पूरी तरह से सुलझा नहीं है. देखना है बसंत उपाध्याय अस्पताल से रिलीज होने के बाद उनपर आगे क्या कार्रवाई होती है या रेल प्रबंधन इस मामले को खत्म कराने का कोई और तरीका निकालता है. बसंत उपाध्याय 27 सालों से रेलवे अस्पताल में नौकरी कर रहे हैं लेकिन इन 27 सालों में गुरुवार को जो जिल्लत उन्हें झेलनी पड़ी, उसका बखान वह शब्दों में नहीं कर पा रहे हैं. चर्चा करते ही आंखों में आंसू आ जाते हैं. उधर रेल के अधिकारी कहते हैं कि बसंत उपाध्याय का आरोप निराधार है. ऐसा क्यों आरोप लगाया इसकी जांच होगी. हालांकि शुक्रवार को रेल अस्पताल के कर्मचारी जितने आक्रोश में थे और जो जो सवाल दाग रहे थे, उसे ऐसा नहीं लगता की घटना पूरी तरह से झूठी है. रेल में सशक्त यूनियन भी है. देखना है इस मामले का पटाक्षेप कब और कैसे होता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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