गोड्डा/दुमका (GODDA\DUMKA) : कहा जाता है पुत्र कुपुत्र हो सकता है, माता कुमाता नहीं. इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है गोड्डा के एक वृद्ध दंपति की कहानी. जिंदगी के 75 बसंत देख चुके इस वृद्ध दंपत्ति की आंखों में आंसू है. ये आंसू खुशी के नहीं बल्कि गम के हैं. गम कोई गैर नहीं बल्कि अपनों ने दिया है और जब गम अपनों से मिलता है तो दिल जरा बेजार होकर रोता है. बहुत कुछ यही हकीकत है इस दंपत्ति की. इनके जीवन में दीपक और प्रकाश है फिर भी जिंदगी अमावस की रात की तरह स्याह अंधकार है. चलिए आपको बताते है इस वृद्ध माता-पिता की दर्द भरी दास्तान.
प्रशासनिक अधिकारी के पास मदद की लगा रहे गुहार
एक दूसरे का सहारा बनकर जीवन के कठिन डगर पर आगे कदम बढ़ते ये हैं शीला देवी और मुरारी लाल अग्रवाल. वैसे तो ये मूल रूप से बिहार के अभयपुर के रहने वाले हैं, लेकिन कुछ दिनों से गोड्डा जिला में थाना से लेकर प्रशासनिक अधिकारी के पास मदद की आस में चक्कर लगा रहे हैं. दंपति के दो बेटे हैं. नाम है दीपक और प्रकाश. जरा कल्पना कीजिए, जब बच्चों का जन्म हुआ होगा तो कितने अरमान से नामकरण किया गया होगा दीपक और प्रकाश. लेकिन यह क्या? जीवन में दीपक औऱ प्रकाश होने के बाबजूद इसकी जिंदगी अमावस की काली रात बन कर रह गयी है.
जानिए क्या है पूरा मामला
दंपत्ति के अभयपुर से गोड्डा के महगामा आने की कहानी भी कम रोचक नहीं. दंपति का छोटा बेटा प्रकाश पंजाब में रहता है जबकि बड़े बेटे दीपक ने गोड्डा के महगामा में व्यापार के सिलसिले में अपना बसेरा डाला. मुरारी लाल अपनी पत्नी शीला के साथ अभयपुर में रहकर हंसी खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे. जब तक शरीर ने साथ दिया दोनों का जीवन खुशहाली में बीता. बीमार पड़ते ही जीवन पहाड़ सी लगने लगी. हर माता पिता की चाहत होती है कि जब शरीर साथ ना दे तो उस स्थिति में सहारा बनकर बेटा साथ रहे. लेकिन आज की इस भाग दौड़ भरी जीवन मे ऐसा नहीं हो पाता है. बड़े बेटे दीपक ने माता-पिता को महगामा आकर रहने का अनुरोध किया. हर तरह की सुख सुविधा और सेवा सत्कार का भरोशा दिया. कुछ मजबूरी तो कुछ पुत्र मोह में दंपत्ति अभयपुर से महगामा पहुंच गए. शुरुवाती दिनों में सब कुछ ठीक-ठाक रहा. वृद्ध माता पिता को लगा कि दीपक उनके जीवन मे खुशियों का प्रकाश बिखेर रहा है. इस बीच दीपक के कहने पर माता पिता ने अभयपुर की संपत्ति को बेच दिया. हवाला दिया कि आखिर कब तक महगामा में किराए के घर में रहेंगे. पैतृक संपत्ति बेच कर जो रुपया मिला उससे दीपक से महगामा में एक घर खरीदा. वृद्ध दंपत्ति की माने तो घर खरीदते ही दीपक, उसकी पत्नी और बेटे ने बेघर कर दिया. 12 लाख रुपये रखने के साथ साथ एटीएम से 3 लाख 60 हजार रुपये की निकासी कर ली. दंपत्ति ने जब रुपया मांगा तो मारपीट कर घर से निकाल दिया. ना केवल बेटा बल्कि मारने में पोता भी पीछे नहीं रहा. पुतहु तो उससे भी एक कदम आगे बढ़ कर जीते जी बृद्ध दंपत्ति को मरने के लिए गंगाजल और तुलसी दे दिया. सुनिए बुजुर्ग दंपत्ति की जुबानी उनकी दुख की कहानी.
लिखित शिकायत करने पर थाना से मिला चौकाने वाला जवाब
अपनों द्वारा ठुकराए जाने के बाद दंपत्ति मदद की आस में हाकिम के दर पर फरियाद लगा रहे हैं. लिखित शिकायत महगामा थाना में करने पर जो जवाब मिला वो कम चौकाने वाला नहीं. इनकी माने तो थाना के मुंसी ने कहा कि राम नाम जपिए, क्या कीजियेगा केस करके. थाना से किसी तरह की मदद नहीं मिलने पर दंपत्ति महगामा के अनुमंडल पदाधिकारी के पास पहुचे. दंपत्ति का कहना है एसडीओ कार्यालय से इन्हें जिला मुख्यालय जाने की सलाह दी गयी. दंपत्ति डीसी ने मिलने गोड्डा पहुंचे. डीसी के जनता दरबार में पहुच कर मदद की गुहार लगाई. डीसी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया.
पारिवारिक स्तर पर समझौता का किया जा रहा प्रयास
महगामा एसडीओ राजीव कुमार ने बताया कि सीओ और मजिस्ट्रेट को दीपक के घर भेजा गया था. पारिवारिक स्तर पर समझौता का प्रयास किया जा रहा है. अगर पिता पुत्र में सहमति नहीं बनी तो कानूनी कार्यवाई के तहत वृद्ध दंपति को प्रावधान के अनुरूप मदद किया जाएगा. जब बात डीसी तक पहुंच गयी है तो उम्मीद है कि दंपति को देर सवेर न्याय जरूर मिलेगा. लेकिन यह घटना कई सवालों को जन्म देता है. सोशल मीडिया पर माता पिता के प्रति सहानुभूति रखने वालों की कमी नहीं. लेकिन वास्तविक जीवन में श्रवण कुमार बिरले ही मिलते है. आज के समय रुपया के सामने रिश्ते नाते की कोई अहमियत नहीं रह गयी है. माता पिता को प्रताड़ित करने वाले संतान शायद यह भूल जाते है कि वो भी किसी के माता पिता हैं और समय के साथ वृद्धावस्था उनकी भी आएगी.
रिपोर्ट. अजित\पंचम झा
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