नौकरी की दौड़ तो हो गई पूरी लेकिन हार गया जिंदगी की रेस! "घर में कोई नहीं है बाबू बोल रो रहे मां-बाप”

झारखंड में उत्पाद सिपाही कि दौड़ भले ही खत्म हो गई लेकिन यह दौड़ कई परिवार को गहरा जख्म देकर गई है. जो अब किसी भी मरहम से भरा नहीं जा सकेगा.हर दिन युवा अस्पताल में दम तोड़ रहे है. एक और अभ्यर्थी ने रिम्स में इलाज के दौरान शनिवार की सुबह दम तोड़ दिया.जमशेदपुर के रहने वाले मुरमुला सूर्या 12 तारीख को रांची स्मार्ट सिटी सेंटर में उत्पाद सिपाही की दौड़ में शामिल होने पहुंचे थे. 52 मिनट में दौड़ पूरी भी कर लिया. लेकिन उसके बाद ज़िंदगी की रेस में नौकरी से पीछे रह गए.

नौकरी की दौड़ तो हो गई पूरी लेकिन हार गया जिंदगी की रेस! "घर में कोई नहीं है बाबू बोल रो रहे मां-बाप”