डाक पार्सल लिखे कंटेनर में ठूंस-ठूंस कर रखी गई थी गाय, गौ रक्षा दल ने पकड़ा, फिर क्या हुआ आप भी जानिए


धनबाद (DHANBAD): कहावत है कि सौ राजा के बराबर एक चोर की बुद्धि होती है. ऐसा ही मामला बुधवार को तड़के धनबाद के बरववड्डा होकर गुजरने वाले जीटी रोड पर पकड़ में आया है. जी हां, कोई विश्वास भी नहीं कर सकता है कि पशु तस्कर ऐसा भी कुछ कर सकते हैं. जानकारी के अनुसार बुधवार को तड़के गौ रक्षा दल के सदस्यों ने डाक पार्सल लिखे कंटेनर में पशुधन ले जाते पकड़ा है. गायों को कतरास गौशाला भेज दिया गया है और तस्करो पर केस करने की तैयारी की जा रही है. कंटेनर में गायों को इस तरह ठूंस ठूंस कर भरा गया था कि देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं.
निर्दयता के साथ कंटेनर में गायों को ठूस कर रखा गया था
पशु तस्कर कंटेनर में बाहर में बड़े-बड़े अक्षरों में डाक पार्सल लिखकर उसमें पशुधन ले जा रहे थे. इसकी सूचना मिलने पर बरववड्डा के किसान चौक पर गौ रक्षा दल के सदस्यों ने तड़के कंटेनर का पीछा कर उसे पकड़ा. कंटेनर का दरवाजा खोलते ही सभी दंग रह गए. बड़ी ही ही निर्दयता के साथ कंटेनर में गायों को ठूस कर रखा गया था. आश्चर्यजनक बात है कि पुलिस को सूचना देने के बाद भी सक्रियता नहीं दिखाई गई. पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी पहुंची और कह कर चली गई कि बड़ा बाबू आएंगे तो मामले को देखेंगे. इधर पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय वन अमर कुमार पांडे ने कहा कि गौ तस्करों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे दिया गया है.
कोयला तस्करी की तरह ही जारी होता है पासिंग कोड
आपको बता दें कि कोयला तस्करी की तरह ही पशु तस्करी जीटी रोड से बेधड़क होती है. जिस प्रकार चोरी का कोयला लदा ट्रकों को पार कराने के लिए पासिंग कोर्ट का प्रयोग होता है, ठीक उसी प्रकार पशु तस्करी के लिए वाहनों को पासिंग कोड दिया जाता है. यह पासिंग कोड सिंडिकेट के लोग देते हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि जिन जिन थाना क्षेत्र होकर गाड़िया गुजरती है, सभी थानों निर्धारित राशि मिलाती है. जानकारी के अनुसार सिंडिकेट और पशु तस्करो के तार बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के विभिन्न जिलों से जुड़े हुए है. झारखंड होकर बंगाल जाने के रास्ते कई हैं, लिहाजा सिंडिकेट भी कई तरह से काम करते हैं और सबका अपना अपना इलाका होता है. जानकारी के अनुसार बिहार, उत्तर प्रदेश से आने वाली गाड़ियों को धनबाद के बॉर्डर पर जीटी रोड के किनारे एक जगह रोक लिया जाता है और फिर शाम होने का इंतजार किया जाता है. रात होने के बाद गाड़ियां निकलती हैं, साथ में सिंडिकेट के लोग आगे पीछे चलते हैं और गाड़ियों को सुरक्षित बंगाल बॉर्डर तक पहुंचा देते है. बंगाल में गाड़िया प्रवेश करती हैं और फिर पशुओं को बांग्लादेश भेज दिया जाता है.
रिपोर्ट : प्रकाश
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