धनबाद (DHANBAD) : जिस बेलगडिया में भूमिगत आग से प्रभावित परिवारो को बसाया गया है, वह बेलगडिया आज की तारीख में झरिया विधायक रागिनी सिंह और सिंदरी विधायक बबलू महतो के साथ-साथ बीसीसीएल के लिए बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है. दोनों विधायकों की अब परीक्षा शुरू हो गई है. जनता से किए गए वादों को निभाने का समय आ गया है. जानकारी के अनुसार पुनर्वास स्थल बेलगडिया में बसाए गए 28 00 परिवारों के बीच बीसीसीएल ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल से सर्वे कराया था. इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि बेलगडिया की आधी आबादी की महीने की कमाई मात्र 5 से 10,000 के बीच है. सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिसंख्य जनसंख्या 5,000 से 10,000 आमदनी की है. इसके बाद 10,000 से 15, 000 के बीच आमदनी वाली भी आबादी है. यह आंकड़े यह बताते हैं कि आखिर इस आमदनी ग्रुप के लोग इस बेलगडिया में कैसे रहते होंगे.
आमदनी कम होने से सूदखोर भी रहते है सक्रिय
इस सर्वे में एक तथ्य और भी उभर कर सामने आया है कि कर्ज से संबंधित सरकारी या बैंकिंग सुविधा का लाभ, बहुत अधिक कागजी कार्रवाई के कारण वह के लोग नहीं ले पाते है. इस वजह से अभी भी सूदखोर सक्रिय है. सूद लेने के लिए तो लोग ले लेते हैं, लेकिन चुकाना एक बड़ी समस्या होती है. आंकड़े में यह भी बताया गया है कि एक परिवार में चार से पांच सदस्य है. अधिकतर लोग 18 वर्ष से कम है अथवा 18 से 30 वर्ष के बीच के है. लगभग 80% घरों के मुखिया पुरुष हैं, जबकि 20% घरो की मुखिया महिला है. जो भी हो लेकिन रोजगार नहीं होने की वजह से लोग बेलगडिया में रहना नहीं चाहते. इसका खुलासा तो पहले भी कई बार हो चुका है.
झरिया में गुमटी लगाकर भी कमा लेते है
अग्नि प्रभावित इलाका झरिया एक ऐसा शहर है, जहां रोजगार के साधन है. एक गुमटी चलाकर भी लोग प्रतिदिन 2-4 हज़ार कमा लेते है. ठेला लगाने वाले भी पैसे कमा लेते हैं और शायद यही वजह है कि जान जोखिम में डालकर भी लोग अग्नि प्रभावित इलाका छोड़कर जाना पसंद नहीं करते है. बेलगडिया में गए अधिकांश लोग झरिया विधानसभा क्षेत्र के हैं, जबकि बेलगडिया सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में आता है. ऐसे में झरिया विधायक रागिनी सिंह और सिंदरी विधायक बबलू महतो के साथ-साथ बीसीसीएल के त्रिकोण में बेलगडिया के लोग फंसे हुए हैं और किसी तरह जीवन की गाड़ी चला रहे है. सर्वे का यह आंकड़ा बहुत कुछ बता रहा है. पूछ रहा है कि आश्वासनों का दौर कब तक चलता रहेगा? कब तक लोग महीने में 5000 की आमदनी में परिवार चलाते रहेंगे?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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