देवघर( DEOGHAR):देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर की कई ऐसी खास विशेषताएं है, जो इस शिवधाम को एक अलग पहचान देती है. यहां शिव और शक्ति के साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मीनारायण के विग्रह का मौजूद होना. इस तरह सनातन धर्म की शैव,शाक्तय और वैष्णव तीनों धाराओं और मान्यताओं का समिश्रण यहां विद्यमान है.
देश का ऐसा मंदिर जहां शैव,शाक्तय और वैष्णव एक साथ विद्यमान है
जानकारों के अनुसार बैद्यनाथ मंदिर परिसर की बनावट श्रीयंत्र पर आधारित है. इस परिसर में मुख्य मंदिर में शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं.यही वजह है कि देवघर के बैद्यनाथ मंदिर की पहचान पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ देश के पवित्र शक्तिपीठ के रुप मे भी की जाती है. इतना ही नहीं मंदिर परिसर के ईशान कोन में लक्ष्मीनारायण
मंदिर है,जहां भगवान विष्णु का विग्रह स्थापित है. जहां वैष्णव रीति-रिवाज से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस तरह यहां शैव शाक्तय और वैष्णव तीनों ही मान्यताओं का समिश्रण है, जो इसे बांकी धर्मस्थल की तुलना में एक विलक्षण सनातन धर्मस्थल की पहचान देता है.
विष्णु विग्रह के साथ चार देवियों का विग्रह भी है मौजूद
आपको बताएं कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु के विग्रह के साथ चार देवियों-तिरोमती,वसोमती, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती का विग्रह भी यहां स्थापित है, जिनमें वैष्णव मान्यताओं की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है. इतना ही नहीं भगवान विष्णु के विग्रह के ऊपरी हिस्से में स्वर्ग को दर्शाया गया है, जबकि श्रीचरण के नीचे के हिस्से को पाताल लोक बताया गया है.जानकारों की मानें तो पूरी सृष्टि को एक विग्रह के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है. यह विशेषता इस स्थल की वैष्णव मान्यताओं को दर्शाती है.
सनातनधर्मी अपने आराध्य की पूजा-अर्चना एक ही जगह कर सकते हैं.
वहीं देश के किसी भी धर्मस्थल में सनातन धर्म की तीनों मान्यताएँ शैव,शाक्तय और वैष्णव एक साथ विद्यमान नही हैं.यहां आनेवाले तीनों मान्यताओं के सनातनधर्मी अपने आराध्य की पूजा-अर्चना एक ही जगह कर सकते हैं. यही वजह है कि देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर अपनी एक अलग पहचान रखता है.
रिपोर्ट रितुराज सिन्हा
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