गोड्डा(GODDA):केंद्र सरकार के कई ऐसे संस्थान हैं जो केंद्र को राजस्व का मुनाफा कराती है, लेकिन सरकारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मियों की कार्यशैली की वजह से इन केन्द्रीय प्रतिष्ठानों से आम लोगों का मोह भंग होता जा रहा है. उन्हीं में से एक है पोस्ट एंड टेलीग्राफ डिपार्टमेंट यानी P&T. इंडिया पोस्ट के नाम से जिस डाक विभाग को लोग सुदूरवर्ती गांवों तक जानते हैं और उनपर विश्वास करते थे, अब यहां के कर्मियों की वजह से दोबारा लोग और उपभोक्ता बैंक का रुख करने को विवश हो रहे हैं.
मुख्य डाकघर गोड्डा में छोटे छोटे स्टेशनरी की वजह से लोग यहाँ रहते हैं परेशान
लोग डाक विभाग पर इसलिए आंख बंदकर के विश्वास करते हैं क्योंकि ये केंद्र सरकार की सीधी प्रतिष्ठान हैं. उदहारण के तौर पर गोड्डा मुख्य डाकघर जिले का एकमात्र डाकघर है, जिसके अन्दर 35 ब्रांच डाकघर, 6 सब ऑफिस आते हैं, लेकिन दुर्भाग्य ये कि कि यहां छोटे छोटे स्टेशनरी तक का अभाव बना रहता है. रजिस्ट्री कराने को बार कोड हो या फिर पोस्टल आर्डर या फिर जमा निकासी का फॉर्म तक कई कई दिनों तक उपलब्ध नहीं रहता. जमा निकासी फॉर्म तक ग्राहकों को अपने पैसे से फ़ोटोस्टेट कराना पड़ता है.
महीनो से पास बुक नही है उपलब्ध ,ग्राहक और अभिकर्ता हैं परेशान
डाक विभाग में सभी काम पासबुक यानि खाता पर ही निर्भर रहता है. अब ग्राहक महीने दो महीने पहले खाता तो खुलवा लेते हैं लेकिन पासबुक नहीं होने की वजह से रोजाना चक्कर काटने को मजबूर हैं. यहां से संबंध डाक घर अभिकर्ता जो भी निवेश लोगों का कराते हैं वो भी महीनों से पासबुक के लिए परेशान हैं .उपभोक्ता या निवेशकर्ता पासबुक के लिए चक्कर काटते हुए नजर आते हैं .
विभाग कर्मियों की गलतियों से वजह से भी उपभोक्ता परेशान हैं
स्टेशनरी के अलावा मुख्य डाकघर के कर्मियों की भूल की वजह से भी डाकघर के उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तो पासबुक की अनुपलब्धता की वजह से कर्मी खाता खोलने से ही इनकार कर रहे हैं और जिनका खाता खुल भी गया उन्हें पासबुक नही मिल रहा. इसके अलावा खाता खुलवाते वक्त ही खाता धारकों से KYC लिया जाता है, लेकिन उसे सिस्टम में अपलोड नही किया जाता है. जिससे खाता धारकों को जमा निकासी के वक्त परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं जिनका खाता वर्षों पुराना है उन्हें भी परेशान किया जाता है जिससे दूर दराज से आये गरीब लोग परेशान हो रहे हैं.
छोटे कामो में भी लग जाता है महीनों का वक्त
गोड्डा मुख्य डाकघर में किसी कारणवश उपभोक्ता का खाता फ्रीज हो गया तो फिर भगवान ही उसका मालिक है. अमूमन तीन वर्षों में आपने कोई लेनदेन खाता में नहीं किया है तो आपका खाता फ्रीज़ हो जाएगा और एक बार फ्रीज़ हुआ तो उसको अनफ्रीज़ करवाने में महीनों का वक्त लग जाता है. इस बारे में मुख्य डाकघर के उप डाकपाल रामलाल सोरेन का कहना है कि अनफ्रीज़ करने को दो सुपरवाइजर का सिग्नेचर चाहिए, लेकिन यहां सिर्फ एक उपलब्ध है. दूसरे के लिए दुमका प्रधान डाकघर भेजना पड़ता है और वहीं से विलंब होता है.
10 वर्षीय NSC का भुगतान लेने को दौड़ना पड़ रहा दुमका
दस वर्ष पूर्व डाक विभाग द्वारा 10 वर्षीय NSC योजना शुरू की गयी थी और उस वक्त किया गया निवेश अब परिपक्व होने लगा है, लेकिन विभागीय लापरवाही देखिये जिस वक्त निवेश हुआ उस वक्त मैन्युअल खुला फिर सभी डाकघरों को कोर बैंकिंग से जोड़ा गया और सभी खाता को ऑनलाइन अपग्रेड किया गया, लेकिन दस वर्षीय NSC को छोड़ दिया गया . जिसका खामियाजा आज निवेशक उठा रहे हैं. लोगों को भुगतान के लिए दुमका प्रधान डाकघर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं .
अभिकर्ताओं से कटते हैं टीडीएस लेकिन कई वर्षों से उन्हें नहीं मिल रहा वापसी
डाक विभाग के सभी डाकघरों में निवेश कराने को केंद्र सरकार द्वारा अभिकर्ता (एजेंट ) नियुक्त किये हुए हैं जो उपभोक्ताओं के निवेश डाकघर में कराते हैं, जिसमें जो उनका कमीशन बनता है उसका टीडीएस काटा जाता है. जो वित्तीय वर्ष के अंत में वापस होता है, लेकिन यहां भी डाकघर कर्मियों की लापरवाही की वजह से टीडीएस उनके पैन कार्ड में जमा ही नहीं किया जाता है. जिससे अभिकर्ताओं में भी रोष व्याप्त है. वरिष्ठ अभिकर्ता सह अभिकर्ता संघ सचिव करमचंद मुर्मू के अनुसार पिछले चार वित्तीय वर्षों से टीडीएस में काफी विसंगतियां हैं जिसकी जांच कराई जाय तो कई डाक घर के डाकपाल पर गाज गिर सकती है .
पढें डाकघर अभिकर्ता संघ के जिला सचिव ने क्या कहा
बहरहाल डाकघर अभिकर्ता संघ के जिला सचिव करमचंद मुर्मू ने कहा कि इन सबसे न सिर्फ निवेशकर्ता या अभिकर्ता परेशान है, बल्कि केंद्र सरकार को सीधे तौर पर राजस्व की हानि सिर्फ गोड्डा डाकघर से करोड़ों की हो रही है. समय रहते इन सभी विसंगतियों को सुधारा नही गया तो आनेवाले समय में इसका भी हाल बीएसएनएल की तरह होगा और इसका भी निजीकरण हो जायेगा.
रिपोर्ट-अजित कुमार सिंह
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