रांची(RANCHI): झारखंड में विधानसभा का चुनाव खत्म हो गया. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडी गठबंधन को जनादेश मिला है. हालांकि इस चुनाव में कई रिकार्ड भी टूटे है. लेकिन चर्चा उत्पाद विभाग के मंत्री के हारने की हो रही है. राज्य गठन के बाद जितने भी मंत्री ने उत्पाद विभाग का काम संभाला है.उनमें अधिकतर को अगले चुनाव में हार मिली है. यह कोई एक मामला नहीं है. बल्कि ऐसे आधा दर्जन उदाहरण है. जिसमें उत्पाद विभाग संभालने के बाद वह चुनाव में रिपिट नहीं हो पाए है.इस बार तो ऐसे तीन मंत्री चुनाव हार गए जिन्होंने उत्पाद विभाग की जिम्मेवारी संभाली थी.
अगर देखे तो यह एक संयोग है लेकिन झारखंड में इस विभाग को लोग अशुभ मानने लगे है. चर्चा है कि यह विभाग नेता जी लोग को सूट नहीं करता है. तभी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ जाता है. सबसे पहले बात डुमरी सीट की करते है. यहाँ से स्व जगरनाथ महतो के निधन के बाद बेबी देवी उपचुनाव में जीत कर विधायक बनी. बेबी देवी हेमंत कैबिनेट में मंत्री बनी. शुरू में इन्हे उत्पाद विभाग का जिम्मा मिला. हालांकि बाद में जब चंपई सोरेन सरकार बनी तो इनका विभाग बदल दिया गया. और फिर हेमंत सोरेन की सरकार में बाल विकास विभाग के मंत्रालय को संभाल रही थी.लेकिन जब पहली बार मंत्री बनी तो उत्पाद ही विभाग रहा. जब 2024 में चुनाव हुआ तो जगरनाथ महतो के गढ़ कहे जाने वाले डुमरी सीट से इनकी हार हो गई.
दूसरे मंत्री मिथलेश ठाकुर है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपाई सोरेन कैबिनेट में उत्पाद विभाग भी इन्हे मिला. हालांकि बाद में जब फिर हेमंत सीएम बने तो विभाग बदल गया. लेकिन चुनाव में इनकी भी हार हुई है. जबकि झारखंड के सबसे कद्दावर नेता और मंत्री में इनका नाम सबसे ऊपर रहता था. हेमंत के सबसे भरोसेमंद साथी में से एक रहे है. साथ ही गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में खूब काम किया है. जिससे चुनाव में जीत निश्चित मानी जा रही थी. लेकिन जब परिणाम सामने आया तो उलट ही रहा. मिथलेश ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा.
तीसरे मंत्री बैद्यनाथ राम को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. बैद्यनाथ राम हेमंत सोरेन सरकार में शिक्षा के साथ साथ उत्पाद विभाग का जिम्मा संभाला. लेकिन इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.इसके अलावा पूर्व की अलग अलग सरकार में उत्पाद मंत्री रहे जेपी पटेल,कमलेश सिंह,गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर भी चुनाव हार गए है. ऐसे में अब झारखंड में चर्चा तेज है कि आखिर इस विभाग में ऐसा क्या है कि चुनाव में हार का सामना करना पड़ता है.
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