टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- बंदूक पकड़कर जंगलो में भटक रहे उग्रवादियों की तकीदर राज्य सरकार संवारने के लिए आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति लायी है. इसके लिए राज्य सरकार खूब जोर-शोर से काम भी कर रही है. सरकार की इस योजना का असर भी देखने को मिल रहा है. दरअसल, चतरा में इसी के तहत नौ उग्रवादियों को चार-चार डिसमिल जमीन मुहैया कराया गया है. योजना से लाभान्वित होने वालों में कुछ ने साल 2015 में आत्मसमर्पण किया था.
9 उग्रवादियों को जमीन का पट्टा
दरअसल, लंबी प्रतीक्षा के बाद बंदुक को किनारे कर आत्मसमर्पण करने वाले नौ उग्रवादियों को जमीन का पट्टा दिया गया. राज्य सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत हर किसी को चार-चार डिसमिल जमीन दी गई . सरेंडर करने वाले उग्रवादियों को जिले में पहली बार इल नीति के तहत जमीन मुहैया कराई गई. आत्मसमर्पण करने के बाद से सभी जमीन के लिए भटक रहे थे. लेकिन पट्टा मुहैया नहीं कराया जा रहा था. हालांकि, योजना के तहत दूसरा लाभ मिल चुका था. लेकिन जमीन नहीं दी जा रही थी. इसके पीछे वजह कुछ तकनीकी अड़चन आ रही थी. इस दौरान उपायुक्त अबु इमरान से मिलकर फरियाद किया. जिसके बाद मामले पर संज्ञान लेते हुए तेजी से काम हुआ, संबंधित अंचल अधिकारी इस पर पहल की और जमीन मुहैया कराया.
पुलिस अधीक्षक ने की अपील
जिले के एसपी राकेश रंजन ने कहा कि राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत यह फायदा दिया गया है. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि समाज से भटके हुए लोग मुख्यधारा में शामिल होकर सरकार की नीति का लाभ उठाए
जिन उग्रवादियों को जमीन का पट्टा मिला. उसमें 29 जुलाई 2015 को हथियार डालने वाले शंकर पासवान, 21 दिसंबर 2015 को आत्मसमर्पण करने वाले नरेंद्र यादव , संजय पासवान, मन्नु यादव को जोगियारा गांव में चार-चार डिसमिल जमीन दी गई.
जबकि संतोष भुइयां, अशोक बैगा, कमलेश यादव, विशाल यादव और लखन उर्फ मेगनाथ यादव को प्रतापपुर प्रखंड के बभने गांव में जमीन मुहैया कराई गई.
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