सरकार ने 15000 करोड़ के राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य के लिए कोयला और लोह अयस्क पर लगाया उपकर, जानिए

रांची : झारखंड सरकार अपने खजाना को भरने के लिए नया तरीका निकाली है. वैसे यह कोई नई चीज नहीं है. परंतु जिस तरह से राजस्व उगाही का फार्मूला तैयार किया गया है,उससे तो यही लगता है कि सरकार अपने खर्च को पूरा करने के लिए ऐसा निर्णय ली है . कैबिनेट की बैठक के एक निर्णय को जानना जरूरी है.
कोयला और लोह अयस्क के संबंध में क्या लिया गया निर्णय
हेमंत कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. 12 मार्च को कैबिनेट की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है. यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि झारखंड में कोयला और लोह अयस्क दोनों बहुतायत में पाए जाते हैं. इससे झारखंड सरकार को रॉयल्टी तो मिलती ही है अब एक और रास्ता निकाला गया है. कोयला धारित क्षेत्र से कोयले की आपूर्ति पर लगने वाले उपकर की दर को बढ़ा दिया गया है.
कैबिनेट के प्रस्ताव में कोयला डिस्पैच पर उपकार को 100 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 250 रुपए कर दिया गया है. इसके अलावा लोह अयस्क पर उपकर को चार गुना बढ़कर 100 से इसे 400 मीट्रिक टन कर दिया गया है. निर्णय सरकार ने राजस्व प्राप्ति के लिए लिया है. मोटे तौर पर यह अनुमान लगाया रहा है कि सरकार ने अपने बजट में 15000 करोड रुपए राजस्व उगाही का जो लक्ष्य रखा है, उसे प्राप्त करने के लिए यह बड़ा निर्णय लिया है. सरकार ने 2025-26 वित्तीय वर्ष में 15000 करोड रुपए अतिरिक्त राजस्व उगाही का लक्ष्य निर्धारित किया है. मालूम हो कि झारखंड में देश का 40% कोयला भंडार है. सरकार ने बॉक्साइट पर 20 रुपए उपकर बढ़ा दिया है. लाइम स्टोन पर उपकार को 50 से बढ़कर 100 मीट्रिक टन कर दिया है.
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