GANGS OF WASEPUR नामक फिल्म कुछ यूं ही नहीं बनी, पढ़िए गैंगवार की पूरी कहानी


धनबाद(DHANBAD): अच्छे काम करने वालों को पुरस्कार और कामचोर लोगों को पनिशमेंट तो मिलना ही चाहिए. अमन सिंह और गैंगस्टर प्रिंस खान के शूटरों को पकड़ने वाले पुलिस अधिकारी रिवार्ड से सम्मानित किए जाएंगे. एसएसपी संजीव कुमार ने रिवार्ड देने की घोषणा की है. इतना ही नहीं, प्रिंस खान के आर्थिक तंत्र को किसी प्रोफेशनल कंपनी की तरह संचालित करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी सम्मानित होंगे. शुक्रवार को एसएसपी संजीव कुमार ने घोषणा की कि पिछले दिनों अमन सिंह गिरोह के 9 हार्डकोर अपराधियों को पकड़ कर पुलिस ने जेल भेजा था. इन अपराधियों में उत्तर प्रदेश के कई कुख्यात अपराधी शामिल थे. इनकी गिरफ्तारी बोकारो के हरला थाना क्षेत्र से हुई थी.
गैंग को बेनकाब करने वाले पुलिस अधिकारी होंगे सम्मानित
पुलिस ने जब इस गैंग को खंगालना शुरू किया तो एक से एक जानकारी निकली. इस गैंग में एक महिला भी थी, जिसे गिरोह के लोग "भाभी" के नाम से पुकारते थे. अमन सिंह की वह गर्लफ्रेंड बताई जाती है. इस वजह से गैंग पर उसका सीधा वर्चस्व था. इसके अलावा पुलिस ने प्रिंस खान के "अर्थ तंत्र' में शामिल कारोबारी सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है. इस गिरफ्तारी ने इसलिए सबको चौंकाया कि पुलिस ने पहली बार "अर्थतंत्र" को खंगालने के क्रम में कई सफेदपोश के चेहरे को बेनकाब किया . फिलहाल सभी अभी जेल में है. ऐसे सभी पुलिस अधिकारियों को रिवॉर्ड देने की घोषणा एसएसपी ने की है. धनबाद का वासेपुर .इस वासेपुर पर फिल्म भी बनी .फिल्म बनने के बाद पूरे देश में वासेपुर का नाम चर्चित हो गया. दशकों पूर्व से यहां गैंग चलता है .यह अलग बात है कि गैंग की लड़ाई कभी किसी के साथ होती है तो कभी किसी के साथ.
गैंगवार में मरने वालों की सूची लम्बी है
गैंगवार की शुरुआत 1983 में हुई ,जब फहीम खान के पिता सफी खान की बरवाअड्डा में हत्या कर दी गई थी. उसके बाद से तो यह सिलसिला चल निकला और 50 साल बाद भी चल ही रहा है. सफी खान की हत्या के बाद 1984 में नया बाजार में असगर की हत्या कर दी गई. फिर 1985 में अंजार की जान गई. फहीम खान के भाई समीम खान की 1989 में धनबाद कोर्ट परिसर में बम मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद फहीम खान के एक और भाई छोटन खान की 1989 में नया बाजार रेलवे लाइन पर हत्या कर दी गई थी. यह सब यहीं नहीं थमा बल्कि 1998 में हिल कॉलोनी मजार के पास मोहम्मद नजीर और महबूब की हत्या कर दी गई. इसके बाद 2000 में घर में घुसकर जफर अली की जान ले ली गई. डायमंड क्रॉसिंग के पास 2001 में फहीम की मां और मौसी की जान गई थी. उसके बाद 2009 में रांची में वाहिद आलम की हत्या हो गई. 2011 में डीआरएम कार्यालय परिसर में इरफान खान को शूट कर दिया गया. 2014 में फहीम खान के साला टुना खान की हत्या कर दी गई. 2017 में पप्पू पाचक की हत्या हुई. 2021 में वासेपुर में लाला खान की जान ले ली गई. महताब आलम उर्फ़ नन्हे की हत्या 2021 में हुई. गैंगवार में मारे गए लोगों की फेहरिस्त लंबी है. अभी तक यह गैंगवार फहीम खान और अन्य लोगों के बीच चलता था लेकिन अब फहीम खान के परिवार को उन्हीं के संबंधियों से चुनौती मिल रही है. प्रिंस खान तो फहीम खान का भगिना है और फिलहाल वह फहीम खान के परिवार को ललकार रहा है. यहां तक की सफी खान के बेटे पर भी अभी हाल के दिनों में हमला हुआ था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+