धनबाद(DHANBAD): जीते जी, धनबाद कोयलांचल के लोग कई तरह की परेशानियां में उलझे होते हैं, लेकिन अब लगता है कि मरणोपरांत अत्याधुनिक विद्युत शवदाह की सुविधा भी उनसे छिन जाएगी. हालांकि तत्कालीन बिहार सरकार के कार्यकाल में भी धनबाद से यह सुविधा छीन ली गई थी .इस बार भी लगता है कि सुविधा बंद हो जाएगी. झरिया मोहलबनी स्थित विद्युत शवदाह गृह 2 माह से बंद पड़ा है. अभी तक मात्र इसमें 18 का ही अंतिम संस्कार हो पाया है .
एक करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से बना है विद्युत शवदाह गृह
जानकारी के अनुसार इस विद्युत शवदाहगृह का इलेक्ट्रिकल क्रिमेटोरियम मशीन खराब हो गई है. इसे बनाने के लिए दिल्ली की कंपनी को कहा गया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि कंपनी के कर्मी जांच के लिए आएंगे. जांच के बाद ही पता चलेगा की असली गड़बड़ी क्या है और इसके उपाय क्या है. एक करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से यह विद्युत शवदाह गृह बना है. अप्रैल 2023 में इसका उद्घाटन हुआ. उसके बाद केवल 18 शवो का ही अंतिम संस्कार यह मशीन कर पाई कि उसकी अस्थि पंजर हिलने लगे.उसके बाद खराब हो गई.
तकनीकी खराबी के कारण कई महीनों से बंद है शवदाह गृह
शव जलाने के लिए प्रति लाश ₹1500 शुल्क भी निश्चित है. जुलाई माह के अंतिम सप्ताह से यह मशीन काम करना बंद कर दी है. बंद हो जाने के बाद इसकी शिकायत निगम के अधिकारियों से की गई. ठेकेदार पर दबाव बढ़ाया गया. ठेकेदार ने कंपनी को इसकी सूचना दी. कंपनी का कहना है कि इंजीनियर को भेज कर इसकी जांच कराई जाएगी और जरूर हुई तो इसकी मरम्मत होगी .अन्यथा इसे बदल दिया जाएगा. लेकिन शवदाह गृह के चालू होने में कुछ वक्त लग सकता है .
योजनाओं पर पैसे तो खर्च होते हैं लेकिन रखरखाव नहीं हो पाता
तत्कालीन बिहार सरकार के कार्यकाल में भी यहां 35 लाख की लागत से विद्युत शवदाह गृह बना था. जिसमें मात्र तीन दर्जन शवो का ही अंतिम संस्कार हो पाया था. आश्चर्य जनक बात थी कि उस शवदाह गृह का तीन बार उद्घाटन हुआ था. फिर बिजली के अभाव में यह बंद हो गया. उसके बाद मशीन के कई पार्ट्स की चोरी हो गई. कोरोना जब उफान पर था तो नया विद्युत शवदाह गृह बनाने की योजना बनी और तैयार हुआ. लेकिन यह भी 3 महीने से अधिक नहीं चल पाया और फिलहाल बंद है. धनबाद का यह भी एक दुर्भाग्य है कि पैसे खर्च कर योजनाओं को मूर्त रूप तो दिया जाता है लेकिन रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं होता. नतीजा होता है कि या तो योजनाएं सफेद हाथी बनकर रह जाती हैं या फिर दम तोड़ देती हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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