दुमका (DUMKA) : झारखंड विधान सभा चुनाव परिणाम घोषित हो चुका है. झामुमो द्वारा दिया गया नारा हेमंत दुबारा पर जनता ने मोहर लगा दिया है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडी गठबंधन द्वारा सरकार बनाने की कवायद चल रही है. इस सब के बीच चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया है कि संताल परगना प्रमंडल आज भी झामुमो का गढ़ है. झामुमो के इस अभेद्य किला को भेदने में एक बार फिर भाजपा नाकाम साबित हुई. दुमका जिला का जरमुंडी विधान सभा ने भाजपा की लाज बचा ली, अन्यथा प्रमंडल में भाजपा शून्य पर क्लीन बोल्ड हो जाती.
प्रमंडल के 18 में से 17 सीट पर इंडी गठबंधन का कब्जा
संताल परगना प्रमंडल में लोकसभा के 3 जबकि विधान सभा के 18 सीट है. 2 लोक सभा सीट पर झामुमो का कब्जा है जबकि एक सीट भाजपा के पास है. विधान सभा चुनाव के परिणाम को देखे तो 18 में से 17 सीट इंडी गठबंधन के खाते में गया. इसमें से 11 सीट पर झामुमो ने जीत का झंडा बुलंद कर एक बार फिर साबित किया कि संताल परगना झामुमो का गढ़ है. वर्ष 2019 के चुनाव में 9 सीट पर झामुमो, 5 सीट कांग्रेस और 4 सीट भाजपा के खाते में गया था.
2019 में भाजपा को मिली थी 4 सीट, इस बार 1 सीट से करना पड़ा संतोष
भाजपा को 2019 में जिस चार सीट पर जीत हुई थी, 2024 में उस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. गोड्डा और देवघर सीट भाजपा से राजद ने छीन लिया तो राजमहल और सारठ सीट झामुमो ने. जरमुंडी सीट कांग्रेस से छीनने में भाजपा सफल रही. यहां से देवेंद्र कुंवर विधायक निर्वाचित होकर भाजपा की प्रतिष्ठा बचा ली.
चुनाव परिणाम ने साबित किया झामुमो के सिंबल का है महत्व
विधान सभा चुनाव परिणाम ने एक तरफ यह साबित किया कि संताल परगना प्रमंडल झामुमो का गढ़ है तो दूसरी तरह यह भी बता दिया कि यहां तीर धनुष सिंबल की जीत होती है. लिट्टीपाड़ा में सिटिंग एमएलए दिनेश विलियम का टिकट काट कर झामुमो ने हेमलाल मुर्मू को प्रत्याशी बनाया और हेमलाल विधायक निर्वाचित हुए. चंद दिनों पूर्व भाजपा छोड़ झामुमो का दामन थामने वाली डॉ लुईस मरांडी को जामा की जनता ने तीर धनुष के साथ स्वीकार्य कर लिया. तीर धनुष के सहारे सारठ में चून्ना सिंह ने रणधीर सिंह को जबकि एमटी राजा ने राजमहल में अनंत ओझा को पराजित कर दिया. वहीं झामुमो छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले लेविन हेंब्रम और सीता सोरेन को पराजय का सामना करना पड़ा. तभी तो झामुमो छोड़ने वाले साइमन मरांडी, स्टीफन मरांडी, हेमलाल मुर्मू सरीखे नेताओं को देर सबेर घर वापसी करनी पड़ी.
रिपोर्ट-पंचम झा
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