कोयलांचल में हार्ड कोक इंडस्ट्री का हाल-बदहाल - क्षमता का 25 परसेंट ही हो रहा उत्पादन, जानिये इसकी वजह


धनबाद (DHANBAD): अंग्रेजों के जमाने में कोयलांचल में शुरू हुआ रिफ्रैक्टिज उद्योग आज सबसे अधिक बुरे दौर से गुजर रहा है. साथ ही हार्ड कोक की इंडस्ट्री भी नहीं चल रही है. जो हार्ड भट्ठे चल रहे हैं, वो अपनी क्षमता से 25 परसेंट ही उत्पादन कर पा रहे हैं. धनबाद में लगभग 125 हार्ड कोक थे, जिनमें 50% तो बंद हो गए और जो चल भी रहे हैं, वो अपनी उत्पादन क्षमता से 25% से अधिक आउटपुट नहीं दे पा रहे है. इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीएन सिंह बताते हैं कि उद्योगों के प्रति सरकार का रवैया सही नहीं है. उर्दू का शेर याद आता है, वो दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था ,अब तो इत्र से भी खुशबू नहीं आती.
शुक्रवार को बीसीसीएल के सीएम डी के साथ हुई बैठक
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को बीसीसीएल के सीएमडी के साथ उद्योग मालिकों की बैठक हुई. फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट पर भी बात हुई , लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकला. हार्ड कोक उद्योग की हालत बिगड़ने का असर स्टील इंडस्ट्रीज पर पड़ेगा , क्योकि एक टन स्टील बनाए में 600 किलो हार्ड कोक की जरुरत होती है. आपको बता दें कि धनबाद के हार्ड कोक उद्योग का फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट पिछले 2 साल से खत्म हो गया है. यह अलग बात है कि इसके खिलाफ उद्योग माली मुकदमा किए हुए हैं लेकिन उन्हें फिलहाल कोयले के आवंटन में कोई राहत नहीं है. ई-ऑक्शन की जो व्यवस्था शुरू हुई है, उसमें सभी तरह के उद्योगों के लिए एक ही नीलामी की जाती है. जिसमें सभी तरह की उत्पादक कंपनियां हिस्सा लेती है.
पैसा देने पर भी नहीं मिलता कोयला
नतीजा होता है कि ऊंचे दाम पर कोयला खरीदना होता है. वह भी जरूरत के हिसाब से मिलता नहीं है. बी एन सिंह बताते हैं कि अभी कोयला उद्योग में विचित्र स्थिति पैदा हुई है. जिस नॉन कोकिंग कोल को तरजीह नहीं दी जाती थी, वह इंपॉर्टेंट नॉन कोकिंग कोल् आज देश में कोकिंग कोल से भी महंगा बिक रहा है. दाम में लगभग दोगुने का अंतर है. ऐसे में सबका ध्यान नन कोकिंग कोल पर गया है और कोयला कंपनियों को साफ हिदायत है कि अन्य की सप्लाई काटकर पावर प्लांटों को कोयला उपलब्ध कराया जाये. इस आदेश से लोकल उद्योग मारे जा रहे है.
अविभाजित बिहार और आज में बहुत हुआ है अंतर
आपको बता दें कि एक समय अविभाजित बिहार के समय कोयलांचल में 108 हार्डकोक इंडस्ट्रीज, 150 फायर ब्रिक्स यानी refractries उद्योग थे.आपको बता दें कि एक टन स्टील बनाने के लिए 600 किलो हार्ड कोक की जरूरत होती है, इसी तरह जहां भी ब्लास्ट फर्नेस में काम होते हैं, वहां refractries निर्मित ईटों की जरूरत पड़ती है. आपको यह भी बता दें कि हार्ड कोक इंडस्ट्री के मालिक वही हैं, जिनके परिवार के लोग कोयला खान मालिक हुआ करते थे. कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद रोजगार के लिए इन लोगों ने हार्ड कोक इंडस्ट्री स्थापित कर लिया और कोयलांचल में एक समय में यह इंडस्ट्री चल निकली थी लेकिन कालांतर में इसकी सेहत बिगड़ती गई और आज अधिकांश तो बंद हो गई है और जो चल रहे हैं ,उनकी भी क्षमता नगण्य कहीं जाएगी. किसी इंडस्ट्री की दो चिमनी चल रही है तो किसी की चार.
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