लोहरदगा(LOHARDAGA): लोहरदगा जिला का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल आज अपने ही बदहाली का रोना रो रहा है. यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को प्रतिदिन सैकड़ों कॉकरोच का सामना करना पड़ता है. इन मरीजों का कहना है कि यह कॉकरोच कभी इनके खाने में तो कभी इनके शरीर पर रेंगने लगते हैं और इन्हें परेशानी पहुंचाने लगते हैं. रात को सोते समय यह कॉकरोच कभी इनके नाक में तो कभी कान में तो कभी इनके बदन में या फिर कभी कहीं अन्य अंगों पर पहुंचकर इन्हें परेशानी पहुंचाते हैं.
हाल ही में साफ-सफाई की व्यवस्था को बदलने का हुआ था काम
सदर अस्पताल की साफ-सफाई की व्यवस्था को अभी हाल के दिनों में बदलने का काम भी हुआ था. एक नई एजेंसी को सदर अस्पताल की साफ-सफाई की जिम्मेदारी दी गई है. एजेंसी ने जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल की साफ-सफाई और विधि व्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाला. लेकिन लोहरदगा सदर अस्पताल की साफ-सफाई की व्यवस्था बदलने का नाम नहीं ले रहा है. जिला का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल आज अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. कहा जाए तो इस अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को प्रतिदिन इन कॉकरोचों का सामना करना पड़ता है. दिन में ये कॉकरोच अपने स्थान में रहते हैं, लेकिन जैसे ही रात होती है, यह मरीजों के ऊपर रेंगने-चलने लगते हैं जिसकी वजह से मरीजों और उनके साथ आए परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोहरदगा सदर अस्पताल की साफ-सफाई और स्वच्छता व्यवस्था अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करती है. झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उरांव ने लोहरदगा सदर अस्पताल की विधि व्यवस्था को सुधारने के लिए कई बार पहल करने की बात कही, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है यह आप भी देख सकते हैं.
“जल्द सदर अस्पताल को बनाया जाएगा कॉकरोच मुक्त”
सिविल सर्जन डॉ संजय कुमार सुबोध के द्वारा कहा गया कि सदर अस्पताल में कॉकरोच की जो समस्या है, उसकी जानकारी इन्हें नहीं थी. पूरे मामले को लेकर इस दिशा में पहल किया जाएगा और सदर अस्पताल को कॉकरोच मुक्त बनाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था बेहतर है और इसका निरीक्षण इनके द्वारा निरंतर किया जाता है. लेकिन कॉकरोच की समस्या से ये वाकिफ नहीं थे. अब इनकी जानकारी में यह बात हमारे माध्यम से आई है तो इस दिशा में भी ये कदम उठाने का कार्य जल्द करेंगे.
सदर अस्पताल के मुखिया डॉ संजय कुमार सुबोध ने तो कहा है कि जल्द ही सदर अस्पताल को कॉकरोच मुक्त बना दिया जाएगा, लेकिन यह कदम कब से उठाया जाएगा और लोहरदगा सदर अस्पताल कॉकरोच मुक्त कब तक होगा, यह अब भी सवालों के घेरे में है, लेकिन यह तो जरूर है कि साफ-सफाई और बीमारियों से बचने के लिए आने वाले मरीजों को एक नई परेशानियों का सामना सदर अस्पताल के बेड और इस ड्रावर में छुपे सैकड़ों कॉकरोचों से करना पड़ता है. अब देखना है कि बीमारी का सामना करने वाले मरीजों को कब एक बेहतर व्यवस्था सदर अस्पताल में मिलती है.
रिपोर्ट: लोहरदगा ब्यूरो
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