दुमका(DUMKA): आज 22 अप्रैल शनिवार के दिन भगवान विष्णु के छठें अवतार भगवान परशुराम की जयंती है. भगवान परशुराम भारद्वाज गोत्र के कुल गुरु भी माने जाते हैं. इसके साथ ही परशुराम भार्गव गोत्र के गॉड ब्राह्मण से संबंध रखते हैं. भगवान परशुरामजी की जयंती हर वर्ष वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसे अक्षय तृतीया का पावन पर्व भी कहते है. विधि विधान से भक्त भगवान परशुराम की पूजा अर्चना करते हैं.
अस्त्र और शस्त्र की पूजा की है परंपरा
आपको बता दें कि भगवान परशुराम को वीर और बल का स्वरुप माना जाता है. जिसमें लोग अस्त्र और शस्त्र की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करते हैं. आपको एक बात जानकर हैरानी होगी कि परशुरामजी ने 21 बार समस्त क्षत्रिय वंश का संहार कर भूमि को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. जिसका जिसका उल्लेख हमारे पुराणों में भी देखने को मिलता है.
पंडा पुरोहितों ने हर्षोल्लास के साथ भगवान परशुराम की जयंती मनाई
पूरे देश सहित बाबा बासुकीनाथ धाम में ब्राह्मण समाज और पंडा पुरोहितों ने हर्षोल्लास के साथ भगवान परशुराम की जयंती मनाई. मौके पर पंडा पुरोहितों ने कहा कि हम लोग भगवान परशुराम से पूरे विश्व की मंगल कामना करते हैं.
परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं
वैदिक पंडित राजू झा ने कहा कि परशुरामजी की जयंती वैशाख मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इस पावन दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. भगवान परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था.
रिपोर्ट: सुतिब्रो गोस्वामी
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