धनबाद(DHANBAD): धनबाद में क्या पुलिस अधिकारी बिना चढ़ावा के काम नहीं करते. कम से कम आंकड़े तो यही बता रहे है. एसीबी की छापेमारी में पुलिस वाले ही अधिक गिरफ्तार हुए हैं और हो रहे है. बुधवार को महिला थाना में तैनात जमादार सत्येंद्र पासवान ₹4000 घूस लेते गिरफ्तार कर लिए गए. इसके पहले के आंकड़े पर गौर करें तो 12 फरवरी 2019 को भागा बांध के जमादार महेंद्र कुमार ₹7000 घूस लेते गिरफ्तार किए गए थे. 14 फरवरी 2019 को धनसर थाना के एएसआई लक्ष्मण बाण सिंह ₹5000 घूस लेते पकड़े गए थे. 26 फरवरी 2020 को गोविंदपुर के दारोगा मुनेश कुमार ₹50000 घूस लेते धरे गए थे. 25 अप्रैल 2021 को कालू बथान के ए एसआई हरि प्रकाश मिश्रा ₹10000 लेते पकड़े गए थे. 22 जून 2022 को लोयाबाद के दारोगा निलेश कुमार सिंह 50,000 घूस लेते पकड़े पकड़े गए थे. 22 नवंबर 2022 को लोयाबाद के एएसआई दशरथ साहू ₹10000 लेते पकड़े गए थे. 22 नवंबर 2022 को सरायढेला थाना के पीएसआई राजेंद्र उराव ₹6000 रिश्वत लेते पकड़े गए थे. 7 जून 2023 को महिला थाना में प्रतिनियुक्त जमादार ₹4000 घूस लेते पकड़े गए.
थानों के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा
यानी थानों के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा मोटा है. आरोप लगते रहे हैं कि बिना चढ़ावा के कोई काम नहीं होते. अगर मारपीट की शिकायत पर दोनों पक्ष थाना पहुंच जाएं तो फिर देखिए दोनों पक्षों को कैसे बरगला कर उनका दोहन किया जाता है. धनबाद की आबादी लगभग 28लाख है ,लेकिन इनमें से कितनों के पास हिम्मत और साहस है कि वह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बड़े अधिकारियों से शिकायत करें या निगरानी ब्यूरो में जाकर शिकायत दर्ज कराये. ऐसे तो लोग बहुत कम ही होंगे, जो निगरानी ब्यूरो तक पहुंच पाते होंगे. यह भी हो सकता है कि पुलिस अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आनेवाले ही निगरानी ब्यूरो तक पहुंचते होंगे. झारखंड में तो कम से कम हमेशा यह चर्चा होती रहती है कि पुलिस और पब्लिक में मित्रता बढ़े , दोनों एक दूसरे का भरोसा जीते. लेकिन इसके लिए थानों की व्यवस्था को भी दुरुस्त करनी होगी.
नए भवन तो बने लेकिन काम पुराने तरीके से
यह बात सच है कि धनबाद के कई थानों को नया भवन जरूर मिला है लेकिन वहां पहुंचे लोगों को किस ढंग से न्याय पुलिस देती है, इसके लिए औचक जांच की जरूरत है. राज्य स्तर पर अगर एक उड़नदस्ता दल का गठन किया जाए और थानों की जानकारी ली जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते है. थाना वाले दलालों के माध्यम से लोगों को कैसे- कैसे परेशान करते हैं, यह सुनकर कोई भी दांतो तले उंगली दबा लेगा. चौक- चौराहों पर किस तरह से दलालों को आगे कर पैसे की वसूली होती है, यह भी जगजाहिर है. किसी भी थाने के थानेदार की जिम्मेवारी होती है कि उनके थानों में सारी व्यवस्था दुरुस्त हो. लेकिन आंकड़े तो यही बता रहे हैं कि जब-जब एसीबी ने पुलिस अधिकारियों पर हाथ डाला है, उसकी सफलता के अंक बढ़ते गए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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