समय रहते संभाले अपने रिश्ते, कहीं देर न हो जाए, जानिए कैसे अपने रिश्तों की करें देखभाल

टीएनपी डेस्क (TNP DESK): रिश्ते बनाना आसान है पर रिश्ते निभाना उतना ही मुश्किल. जाने कितने जमाने से ये कहावत सुनते आ रहे हैं लेकिन कभी इसपर गौर नही किया की आखिर इस लाइन का मर्म क्या है. लेकिन आज के परिवेश को को देखे तो पाएंगे की वाकई रिश्तों के बीच प्रेम का आक्सीजन कम होता जा रहा है और इसमें घुटकर दम तोड़ रहा है रिश्ता. यदि आपके रिश्ते में भी ऐसी परेशानी है तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है. आज हम आपको बताएंगे की कैसे आप अपने निजी रिश्तों को पहचान सकते हैं और समय रहते ले सकते हैं निर्णय. जब भी कोई रिश्ता बनता है तो उसके साथ बनती हैं कई उम्मीदें और उम्मीदों के इस महल में वादों के ईंटों से सजा रिश्तों का नीव बस अपनी देखभाल चाहता है. एक वक्त था जब पति पत्नी का रिश्ता जन्म-जन्मांतर का साथ माना जाता था. लेकिन समय के साथ रिश्तों के मायने भी बदल रहे हैं. किसी भी रिश्ते को बनने में सालों साल लग जाते हैं लेकिन आपसी मनमुटाव और जल्दबाजी में अलग होने का निर्णय रिश्ते को बिखरा देता है और बिखर जाता है उससे जुड़ा हुआ जीवन. पति पत्नी के रिश्ते में सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है आपसी समझ और मैच्योरिटी की. वक्त रहते ही अगर कपल्स ये समझ जाएं तो रिश्तों में दरार आएगी ही नहीं. आइये जानते हैं कि किन वजहों से पड़ती है रिश्तों में दरारें
पार्टनर को जैसे वो हैं वैसा एक्सेप्ट न करना
अपने पार्टनर को उसके स्वभाव और रहन सहन के साथ अकसेप्ट ना करना रिश्तों के टूटने की बड़ी वजह बनती है. रिश्ते के शुरुआती दिनों में तो सब ठीक रहता है लेकिन धीरे धीरे मनमुटाव की स्थिति तब पनपने लगती है जब एक दूसरे में कई खामियां नजर आती हैं. एक परफेक्ट पार्टनर की आपकी कल्पना में जब आपका पार्टनर खरा नहीं उतरता तो यहां से शुरू होता है टकराव. रिश्ता वही सक्सेसफुल रहता है जहां आप अपने पार्टनर को बदलने के बजाय उन्हें वैसे ही एक्सेप्ट करें जैसे कि वह है. उनकी गलतियों का बखेड़ा खड़ा न करें बल्कि उनको प्रेम से समझाएं की आपको उनकी कौन सी आदतें नही पसंद है.
ज़रूरी फैसलों में है फासला
सहमति से बनाए योजना और बातचीत के द्वारा अपने सभी मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करें. रिश्ते में तकरार तो होती ही है लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन्हें वक्त में सुलझाना बहुत अहम हैं. शादी के बाद दोनों को कहां रहना है, बच्चे कब और कितने ,फाइनेंस यह सब ऐसे इश्यू हैं जिन पर अगर सहमति ना बने तो दूरियां आ जाती हैं. रिश्ते में अगर बातें खुल कर ना हो तो समस्याएं आना लाज़मी है. कहीं फासला ना आए इसलिए वक्त रहते सही और मिल के फैसले लीजिए.
मिसिंग कम्युनिकेशन
एक छत के नीचे रह कर भी कई बार एक दूसरे को क्यों नहीं समझ पाते हैं कपल्स? इस सवाल का जवाब है मिसिंग कम्युनिकेशन यानी कि वार्तालाप का अभाव. आप दोनों पूरा दिन अपने ऑफिस में बिजी रहते हैं. शाम की चाय से लेकर सोने तक या तो दोनों टीवी में मसरूफ रहते हैं या फिर फोन पर. डिनर पर बाहर जाने का प्लान भी बनता है तो वहां भी फोन है जो पीछा ही ना छोड़े. जब एक दूसरे के लिए आप वक्त ही नहीं निकालेंगे तो आपको पता ही नहीं चलेगा और रिश्तों में आए मतभेद मनभेद में बदल जाएंगे.
अपने रिश्ते को दूसरों से कम्पेयर करना
सोशल मीडिया के इस ज़माने में आपको भले ही अपने पार्टनर की हॉबी के बारे में पता हो या नहीं लेकिन अपने दोस्त के पार्टनर की लाइकिंग का ज़रूर पता होता है. दूसरा कपल छुट्टियों में कहाँ गया, एनीवर्सरी में आपकी दोस्त के हसबैंड ने उसे क्या गिफ्ट दिया या बेबी शाॅवर में आपकी दोस्त ने जैसी फोटो खिंचवाई, वैसा शूट आपने क्यों नहीं कराया, बस इन्हीं टॉपिक्स को मुद्दा बनाकर अगर आप अपने पार्टनर से लड़ने लगेंगी तो रिश्तों में तो खटास आएगी ही.
कॉम्प्रोमाइज की आदत नहीं
अगर आप चाहते हैं कि आपका रिश्ता सफल रहे तो कॉम्प्रोमाइज तो आपको करना ही पड़ेगा. इसका यह मतलब ज़रा भी नहीं है कि आप अपने पार्टनर की ज्यादतियों को सहें या बुरा व्यवहार चुपचाप सहते रहें. इसका मतलब है कि कई बार दूसरे की खुशियों को अपनी खुशियों से ज्यादा अहमियत देना, अपने ईगो को रिश्ते में ना आने देना और छोटे-छोटे एडजस्टमेंट करना. बस थोड़े से बदलाव और रिश्तों में बदलाव खुद महसूस करेंगे आप.
विश्वास की कमी
काम के सिलसिले में हज़बैंड-वाइफ दोनों ही घर से बाहर रहते हैं. ज़ाहिर है कि उनका सोशल सर्किल भी होगा. दोस्तों के साथ हंसना-बोलना भी होगा. अब अगर यह बात आपके पार्टनर को पसंद नहीं है तो वक्त रहते उन्हें यह समझना होगा कि यह नॉर्मल है. रिश्ते विश्वास पर टिके होते हैं. जहां एक तरफ यह जरूरी है कि आप अपने पार्टनर को समझाएं कि आप उनका विश्वास नहीं तोड़ेंगे वहीं इस कमिटमेंट को आप ईमानदारी से निभाएं भी.
रिस्पेक्ट ना देना
जब रिश्ते में एक दूसरे के लिए इज्जत ही नहीं है तो बातें समझना-समझाना तो बहुत दूर की बात हो जाती है. एग्रेसिव बिहेवियर, गुस्सा और बात बात पर ओवर रिएक्ट करना ये कुछ ऐसी आदतें हैं जो किसी भी हंसते खेलते रिश्ते में दरार ला सकती हैं.
फाइनेंस संबंधी दिक्कतें
फाइनेंस को लेकर कपल्स में तनातनी आम तो है लेकिन बेहतर यही है कि वक्त रहते और साफ साफ आप ये बातें अपने पार्टनर से क्लियर कर लें. घर के खर्चों में किसकी कितनी भागीदारी होगी, लोन किस के नाम पर होगा, बच्चों का खर्च कौन उठाएगा, इन बातों पर अगर आप दोनों मिल कर साफ बात कर लेंगे तो आने वाले समय में इन्हें लेकर होने वाले इश्यूज से आप बच सकते हैं.
नशे आदि की लत
कोई भी सेंसिबल पार्टनर अपने साथी की किसी भी गलत लत को बढ़ावा तो नहीं देगा. चाहे वो अल्कोहल की आदत हो या फिर सट्टेबाजी की . रिलेशनशिप में सेंसबली और रिस्पांसिबली अगर आप बिहेव नहीं करेंगे तो रोज़ रोज़ की तकरार कब रिश्ते को दी एंड की तरफ ले जाएगी आपको जब तक इस बात को एहसास होगा तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी.
अपने पार्टनर की दूसरों से तुलना करना
कभी भी अपने पार्टनर की तुलना दूसरों के पार्टनर से न करें. वो खुद को कितनी अच्छी तरह से कैरी करती हैं, उसका हसबैंड कितना फिट है इस तरह के कंपैरिजन आपके रिश्ते के लिए हेल्दी नहीं हैं. अगर किसी की तारीफ भी करनी है तो टोन और लहजे का ज़रूर ध्यान रखें ताकि आपके पार्टनर की फीलिंग्स हर्ट ना हों.
4+