टीएनपी डेस्क (TNP DESK): कहीं आपका लिवर भी तो नहीं दे रहा अपको धोखा. खट्टी डकार गैस और अपच जैसी समस्याएं आमतौर पर सबको होती है. लेकिन यदि ये समस्या लगातार आपको परेशान कर रही तो इसे साधारण गैस की समस्या न समझिए ये एक बड़ा संकेत हो सकता है आपके लीवर के खराब होने का आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे आपके लीवर को हेल्दी रखने की पूरी जानकारी . साथ ही इस आर्टिकल में आप जानेंगे की आपके लीवर को किन चीजों से है खतरा तथा क्या है उपचार .
लिवर : कितना है जरूरी ,क्या है इसका काम
लिवर का कार्य मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा जमा करना और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना. रक्त में से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करके बाहर निकालने में भी लिवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लीवर का मजबूत होना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पेट के दाहिने तरफ पसलियों के ठीक नीचे होता है. लिवर में किसी प्रकार की खराबी या बीमारी होने के कारण यह अंग कुशलतापूर्वक काम नहीं कर पाता और शरीर की कई सामान्य क्रियाएं प्रभावित हो जाती हैं. लिवर के कई अलग-अलग प्रकार के रोग होते हैं, जो आमतौर पर उनके विशिष्ट कारणों पर निर्भर करते हैं. ज्यादातर मामलों में लिवर संबंधी रोग अधिक शराब का सेवन करने, मोटापा या फिर संक्रमण के कारण होते हैं. वहीं कुछ अनुवांशिक रोग भी हैं, जो लिवर संबंधी कई रोगों के कारण बन सकते हैं. कुछ लिवर रोग धीरे-धीरे लिवर की परत पर स्थायी निशान बना देते हैं, जिससे गंभीर समस्याएं होने लगती हैं. हालांकि, समय पर इलाज और देखभाल की मदद से लिवर को खराब होने से बचाया जा सकता है.
जानिए लीवर रोग के प्रकार
लीवर रोग के कई अलग-अलग प्रकार हैं, जो अनुवांशिक, वातावरणीय और जीवनशैली समेत कई अन्य कारणों से विकसित होते हैं.
अल्कोहोलिक लिवर डिजीज- लंबे समय से शराब पीने का असर लिवर पर गंभीर रूप से पड़ता है. इससे लिवर की सभी कार्य प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है.
नॉन अल्कोहलिक लिवर डिजीज- यह रोग आमतौर पर उन्हें होता है, जो लोग शराब नहीं पीते हैं. ऐसे में मरीज के लिवर में वसा (फैट) जमा होने लग जाती है.
हेपेटाइटिस- लिवर में होने वाली सूजन को हेपेटाइटिस कहा जाता है और ज्यादातर मामलों में यह वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है. हेपेटाइटिस कई बार गंभीर भी हो सकता है, जो प्रमुख रूप से इसके कारण व व्यक्ति की स्वास्थ्य क्षमता पर निर्भर करता है.
नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस- यह आमतौर पर डायबिटीज व हाई कोलेस्टेरॉल के रोगियों में देखी जाती है. वहीं मोटापे से ग्रस्त लोगों को भी नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस हो सकता है.
ड्रग इंड्यूस्ड लिवर डिजीज- आप जो भी दवाएं लेते हैं उनका चयापचय लिवर में ही होता है. जब दवाओं के कारण लिवर में कॉपर और आयरन जैसे मिनरल जमा होने लग जाते हैं, जिससे लिवर में रक्त की सप्लाई नहीं हो पाती है. ऐसी स्थितियों में ड्रग इंड्यूस्ड लिवर डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है.
फैटी लिवर डिजीज- जब किसी कारण से लिवर फैट का मेटाबॉलिज्म ठीक से नहीं कर पाता है, तो अतिरिक्त मात्रा में फैट लिवर में जमा होने लगता है. यह रोग अक्सर अल्कोहोलिक लिवर डिजीज से भी संबंधित होता है.
जानिए लिवर रोग के क्या लक्षण है
कुछ प्रकार के लिवर रोगों में किसी प्रकार के लक्षण महसूस नहीं होते हैं या फिर विकसित होने वाले लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों का संकेत देते हैं. वहीं कुछ लिवर रोगों में गंभीर लक्षण भी देखे जा सकते है.
• त्वचा व आंखें पीली दिखाई देना (पीलिया)
• पेट में दर्द व सूजन आना
• टांग व टखनों में सूजन
• पेशाब का रंग गहरा होना
• मल का रंग पीला होना
• लंबे समय से थकान रहना
• त्वचा में खुजली
• उल्टी व मतली होना
• भूख न लगना (या बहुत कम भूख लगना)
• त्वचा पर आसानी से नील पड़ जाना
• शरीर का वजन कम होना
यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है या फिर किसी अन्य वजह से आपको लगता है कि आप किसी लिवर रोग से ग्रस्त हो सकते हैं, तो ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए. क्योंकि इसकी अनदेखी आपके स्वास्थ्य पर भारी पद सकता है.
जानिए लिवर रोगों के कारण
लंबे समय से शराब का सेवन करना लिवर रोग होने का प्रमुख कारण माना जाता है. हालांकि, इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जो लिवर रोगों का कारण बन सकती हैं. लिवर रोग के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है -
• डायबिटीज
• आहार में अधिक नमक लेना
• धूम्रपान करना
• मोटापा बढ़ना
• अधिक सप्लीमेंट्स लेना
• ज्यादा दवाएं लेना
• संक्रमण व अन्य बीमारियां
• कीमोथेरेपी (कैंसर के इलाज के लिए)
• असुरक्षित यौन तरीके अपनाना
• पहले से इस्तेमाल की गई इंजेक्शन सुई का इस्तेमाल करना
• शराब व अन्य नशीले पदार्थ लेना
• लंबे समय तक दवाएं खाना
हालांकि हर व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य के अनुसार उन्हें कुछ अन्य लक्षण भी महसूस हो सकते हैं.
लिवर रोग का निदान
लिवर संबंधी बीमारियों का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और साथ ही उसके स्वास्थ्य से जुड़ी पिछली जानकारियों (मेडिकल हिस्ट्री) के बारे में पूछा जाता है. इस दौरान यदि डॉक्टर को संदेह होता है, कि आप किसी लिवर रोग से ग्रस्त हो सकते हैं, तो उसकी पुष्टि करने के लिए आपको कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है.
सीरम बिलीरुबिन- लिवर संबंधी रोग होने पर शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगता है और टेस्ट की मदद से इसकी जांच करके लिवर रोगों की पुष्टि की जा सकती है.
एल्ब्यूमिन- यह एक प्रकार का प्रोटीन है, जो लिवर द्वारा संश्लेषित किया जाता है. जब लिवर प्रभावित हो जाता है, तो शरीर में इसकी मात्रा कम हो जाती है.
अल्कलाइन फॉस्फेटेज- यह कई एंजाइमों का एक समूह होता है, जो आंत, किडनी और हड्डियों समेत शरीर के कई हिस्सों द्वारा बनाया जाता है. एएलपी टेस्ट की मदद से भी लिवर संबंधी रोगों का पता लगाने में मदद मिल सकती है.
एलानिन ट्रांसमिनेज- यह एक विशेष प्रकार का एंजाइम है, जो हेपेटोसाइट्स नामक लिवर की कोशिकाओं द्वारा बनाया जाता है. जब किसी लिवर रोग के कारण हेपेटोसाइट्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो एलएलटी की मात्रा बढ़ने लगती है.
लिवर बायोप्सी- इसमें लिवर के ऊतकों से एक टुकड़ा सैंपल के रूप में ले लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है. लिवर के सैंपल पर परीक्षण करके भी लिवर रोगों का पता लगाने में मदद मिलती है.
इमेजिंग टेस्ट- लिवर में स्कार, ट्यूमर और आकार बढ़ने समेत लिवर संबंधी कई समस्याओं का पता लगाने के लिए कई इमेजिंग टेस्ट किए जा सकते हैं जैसे अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और सीटी स्कैन आदि.
कैसे हो लिवर रोग से बचाव
लिवर संबंधी कुछ रोग अनुवांशिक स्थितियों के कारण होते हैं, जिनकी पूरी तरह से रोकथाम करना संभव नहीं होता है. हालांकि, जीवनशैली व अन्य कारणों से होने वाले लिवर रोगों से बचाव किया जा सकता है. डॉक्टर आदर्श के अनुसार कुछ निम्न निर्देशों का पालन करके लिवर रोग होने से बचाव किया जा सकता है -
• शराब का सेवन न करें
• पूरी तरह से पका हुआ खाना ही खाएं
• पर्याप्त व स्वच्छ पानी पिएं
• हेपेटाइटिस एलर्जी और बी के लिए वैक्सीन लगवाएं
• डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाएं लें
• नियमित रूप से व्यायाम करें और शरीर का वजन न बढ़ने दें
• डायबिटीज को कंट्रोल रखें
• कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखें
जानिए कैसे हो लिवर रोग का इलाज
लिवर रोग का इलाज इसके कारण, प्रकार और मरीज को महसूस हो रहे लक्षणों के आधार पर किया जाता है. यदि लिवर संबंधी रोग गंभीर नहीं है, तो ज्यादातर मामलों में जीवनशैली में अच्छे बदलाव लाकर और आहार में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करके इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है. वहीं अल्कोहोलिक लिवर डिजीज का इलाज करने के लिए शराब व अन्य अल्कोहल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बंद किया जाता है और साथ ही मरीज की डाइट में कुछ जरूरी बदलाव कर दिए जाते हैं. शराब छुड़ाने के लिए मरीज को कई बार बिहेवियरल थेरेपी और काउंसलिंग आदि की आवश्यकता भी पड़ सकती है.
लिवर सिरोसिस इन 5 शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज किया तो जा सकती है जान
लिवर की सूजन को कम करने के लिए कोर्टिकोस्टेरोइड दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. अगर लंबे समय से बीमारी या अन्य किसी कारण से लिवर में स्कार (लिवर सिरोसिस) तो ऐसी स्थिति का इलाज करने के लिए डाइयुरेटिक्स, विटामिन के और एंटीबायोटिक्स आदि दवाओं की मदद से इलाज किया जाता है. साथ ही रोग का इलाज करने के लिए इनका कारण बनने वाले अंदरूनी रोगों का इलाज भी करना जरूरी होता है, इसलिए लिवर रोग का इलाज करने के लिए डायबिटीज व अन्य रोगों के लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है. बता दें अगर लिवर रोग अंतिम चरणों में आ चुका है, तो स्थिति से निपटने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ सकता है. बता दें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है लिवर. लिवर का काम है खून साफ करना. पित्त बनाना. फैट को पचाने और अवशोषित करने में मदद करना. शरीर से टॉक्सिन्स पदार्थ बाहर निकालने में मदद करता है. शरीर के अंगों को काम करने के लिए लिवर के जरिए ही ऊर्जा और प्रोटीन मिलता है. इसी प्रोटीन के जरिए ब्लड क्लॉट बनता है. लिवर एंजाइम्स बनाता है, जिससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है, शुगर को स्टोर करता है, इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है. जब आपका लिवर खराब होता है, तो एक साथ शरीर के कई कार्य बाधित हो सकते हैं. कई सारे लिवर से संबंधित रोग हो सकते हैं. लिवर में होने वाली एक बीमारी है लिवर सिरोसिस (Liver cirrhosis). यह लिवर में होने वाला एक प्रकार का फाइब्रोसिस है, जो लिवर में होने वाली कई तरह की समस्याओं जैसे हेपेटाइटिस, क्रोनिक एल्कोहलिज्म के कारण हो सकता है. लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis in Hindi) होने पर लिवर की स्वस्थ टिशूज को जख्मी ऊतक धीरे-धीरे बदल देते हैं, जिससे लिवर कम प्रभावी बनता है. लिवर सिरोसिस एक खतरनाक बीमारी है, जिसका समय रहते निदान और इलाज शुरू ना किया जाए, तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.
लिवर सिरोसिस के कारण
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अधिकतर लिवर सिरोसिस के मामले एल्कोहल के अधिक सेवन से होता है. कई बार अनहेल्दी ईटिंग हैबिट्स के कारण भी होता है. यह हेपेटाइटिस बी, सी के कारण भी हो सकती है, क्योंकि यह एक संक्रामक बीमारी है. लिवर सिरोसिस जब गंभीर रूप ले लेता है, तो इसका इलाज सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांट के जरिए ही संभव है.
किन्हें होता है लिवर सिरोसिस होने का खतरा
लिवर से संबंधित कोई भी रोग या समस्या होने के कारण लिवर सिरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है. लिवर की समस्याओं का इलाज ना करवाने से यह और भी ज्यादा बद से बदतर हो जाएगा और एक समय में लिवर सिरोसिस का रूप ले लेगा. बता दें लगातार एल्कोहल पीने वालों को होता है लिवर सिरोसिस का खतरा अधिक होता है।
लीवर सिरोसिस के कारण
वायरल हेपेटाइटिस
डायबिटीज का कंट्रोल में ना रहना
मोटापा
इस्तेमाल किए हुए इंजेक्शन से दवा या सुई लगवाना
लिवर डिजीज बीमारी
असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करना
लिवर सिरोसिस के शुरुआती लक्षण (Symptoms of Liver Cirrhosis in Hindi)
रक्तस्राव होना या शरीर पर चोट का निशान पड़ना
त्वचा और आंखों का पीला होना या फिर जॉन्डिस
पैरों, एड़ियों या फिर तलवों में सूजन होना
पेट में फ्लूड का जमा होना
वजन कम होना
लिवर को हेल्दी रखने के उपाय
1. अपने दिन की शुरुआत एक गिलास गर्म पानी में नींबू का रस डालकर करें. रोजाना इसके सेवन से आपका लिवर हेल्दी रहता है.
2. रोजाना कम से कम 6 से 8 गिलास पानी पीना और दो से तीन गिलास गुनगुने पानी को चाय की तरह पीना चाहिए. इससे ना सिर्फ लिवर की सफाई होगी बल्कि आपकी किडनी भी स्वस्थ रहेगी और वजन घटाने में भी मदद मिलेगी.
3. फ्रेश वेजिटेबल जूस भी लिवर को हेल्दी रखते हैं. आप रोजाना गाजर, चुकंदर और पालक को मिक्स करके जूस बना सकते हैं. इसमें व्हीटग्रास शामिल करना और भी फायदेमंद हो सकता है. यह सभी लिवर की सफाई करने में मदद करते हैं.
4. अपनी डाइट में कम से कम 40 परसेंट फल और सब्जियां शामिल करें, क्योंकि फल और सब्जियां एंजाइम से युक्त होते हैं जो डाइजेशन को बेहतर बनाते हैं, और लीवर की क्षमता को भी बढ़ाते हैं.
5. लिवर को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आप रिफाइंड शुगर और मैदे का सेवन ना करें क्योंकि यह ऐसे खाद्य पदार्थ हैं यह लीवर के लिए अच्छे नहीं माने जाते.
6. अंकुरित दालें जैसे मूंग, मटकी, काले चने, हरे चने और अंकुरित गेहूं खाएं क्योंकि ये लिवर की सफाई करने वाले गुणों को बढ़ाते हैं.
7. फुल क्रीम दूध, मटन, पोर्क, चिकन, प्रॉसेस्ड और तले हुए खाद्य पदार्थों में मौजूद संतृप्त वसा से बचें. क्योंकि जब नियमित रूप से और बड़े पैमाने पर इनका सेवन किया जाता है, तो संतृप्त वसा आपके लिवर पर असर डालती है.
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