दुमका(DUMKA):झारखंड की राजनीति में कुछ ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जिन्हें पता है कि अपने बयानों के आधार पर कैसे चर्चा में बने रहना है. ऐसे नेताओं को बयानवीर कहा जाता है. झारखंड में बयानवीरों की कोई कमी नहीं है. खास कर संथाल परगना प्रमंडल की भूमि बयानवीरों से भरी पड़ी है. जब भी ऐसे बयानवीरों की सूची बनेगी उसमें एक नाम सूरज मंडल का जरूर रहेगा. सूरज मंडल कभी झारखंड की राजनीति का दैदीप्यमान सूरज था. जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के साथ अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में कदम से कदम मिला कर चलने वाले सूरज मंडल गोड्डा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधत्व कर चुके है,लेकिन कहते है, ना कि सब दिन होत ना एक समान. सूरज की तपिश जब मद्धिम पड़ने लगी तो अपने आप को जेएमएम में उपेक्षित महसूस करने लगे. समय देख कर लगभग 5 साल पहले तीर धनुष छोड़ कमल का दामन थाम लिया. उम्मीद थी कि कमल के सहारे एक बार फिर गोड्डा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका लगेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
लालू यादव के खिलाफ बयान देकर सूरज मंडल बुरी तरह घिर गए
सूरज मंडल अपने विवादित बयान की वजह से अभी भी सुर्खियों में बने रहते है. मंच कोई भी हो बड़ी बेबाकी से अपनी बातें रखते है. शिबू सोरेन और जेएमएम पर शब्द बाण चलाने वाले बीजेपी के कुछ नेताओं पर भी बाण चला देते हैं. ताजा मामला दुमका के इंडोर स्टेडियम का है. जहां राजद सुप्रीमो लालू यादव के खिलाफ बयान देकर सूरज मंडल बुरी तरह घिर गए. राजद समर्थकों के विरोध को देखते हुए सूरज मंडल को मंच से क्षमा याचना करनी पड़ी. दरअसल शुक्रवार को इंडोर स्टेडियम में गरीबों के मसीहा बीपी मंडल की जयंती के मौके पर ओबीसी पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा की ओर से पिछड़ा महासम्मलेन सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था. ओबीसी के आरक्षण सहित हक और अधिकार की मांग को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाने प्रमंडल के ओबीसी नेता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक मंच पर बैठे थे. आयोजक ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. मंच पर सूरज मंडल, संजय यादव, लाल चंद महतो, माधव चंद्र महतो सरीखे नेता एक साथ बैठे थे. संबोधन का दौर शुरू हुआ.
सूरज मंडल ने लालू यादव और सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया, जिसपर हंगामा शुरु हुआ
अपने सम्बोधन में बयानवीर सूरज मंडल ने राजद सुप्रीमो लालू यादव और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दे दिया. ओबीसी का मंच राजनीतिक मंच बनते ही विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया. झामुमो नेताओं ने दबी जुबान से तो राजद नेताओं ने खुलकर सूरज मंडल का विरोध कर दिया. राजद नेता संजय यादव मंच छोड़कर निकल गए. राजद समर्थकों ने सूरज मंडल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. एक दूसरे को देख लेने की धमकी दी गयी. सूरज मंडल को बार-बार अपने बयान पर माफी मांगने के लिए बाध्य किया गया. मौके की नजाकत को देखते हुए सूरज मंडल ने मंच से क्षमा याचना भी की. उन्होंने कहा कि बयान का मकशद किसी की भावना को ठेस पहुचाने का नहीं था, इसके बाबजूद अगर किसी की भावना को ठेस पहुचीं है, तो उसके लिए क्षमा याचना की. तब जाकर माहौल शांत हुआ.
कार्यक्रम तो समाप्त हो गया, लेकिन कई सवाल छोड़ गया
सूरज मंडल कार्यक्रम छोड़ निकल गए. किसी ने उन्हें मनाने की कोशिश भी नहीं की. राजद नेता संजय यादव को दोबारा मंच पर ले जाकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया. औपचारिकता के साथ कार्यक्रम को समाप्त किया गया.कार्यक्रम तो समाप्त हो गया लेकिन कई सवाल छोड़ गया. ओबीसी आरक्षण जैसे मूल सवाल यथावत रह गयी. सवाल यह भी उठा कि आखिर एक सामाजिक मंच राजनीतिक मंच कैसे बन गया. आवादी के अनुरूप ओबीसी को आरक्षण देने और दुमका सहित 7 जिलों में ओबीसी का आरक्षण शून्य किये जाने के विरोध में ओबीसी संघर्ष मोर्चा के गठन किया गया है. इस घटना के बाद हक और अधिकार की लड़ाई को लेकर संघर्ष मोर्चा का संघर्ष किस तरह जारी रहती है, यह देखना दिलचस्प होगा.
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