Tnp desk:- अभी कनकनाती ठंड से झारखंड के आवाम को थोड़ी राहत मिली है. बसंत पंचमी खत्म हो गयी और अभी गर्मी ने दस्तक देनी शुरु कर दी है. आसमान में खुशगवार धूप नहीं है, बल्कि इसका तीखापन महसूस होने लगा है. अभी बिजली के बल्ब से काम तो चल जा रहा है, क्योंकि पंखा चलाने की जरुरत नहीं पड़ती. लेकिन, गर्मी आने के बाद तस्वीर ही बदल जाती है. क्योंकि बिजली एक अहम जरुरत बन जायेगी. चिलचिलाती गर्मी आने से पहले ही बिजली की आंख मिचौली देखने को मिल रही है. अगर ये सिलसिला बढ़ गया तो फिर पावर कट के चलते बिजली का संकट राजधानी रांची समेत राज्य के दूर दराज इलाकों में गहरायेगा.
गर्मी में बिजली की बढ़ती खपत
यह सही बात है कि झारखंड में गर्मी के दिनों में बिजली की खपत बढ़ती है. इससे समस्या उत्पन्न होती है. हालांकि, प्रदेश में मौजूद पावर प्लांट के पास इतनी बिजली पैदा करने की क्षमता है कि बिजली संकट तो आयेगा ही नहीं. लेकिन, अड़चनों के चलते दिक्कत बन जाती है.
आईए जानते है कि क्या परेशानी होती है, जिसके चलते बिजली संकट की समस्या अक्सर जाती है. दरअसल, देखे तो झारखंड में स्थापित पावर प्लांट की क्षमता 6200 मेगावट है. जबकि आमतौर पर 1600 मैगावट की जगह मुश्किल से 1300 मेगावट ही बिजली मिल पाती है. हालांकि, बरसात के मौसम में ही 1600 मेगावट बिजली मिल पाती है. इसके पीछे वजह ये सामने आती है कि पूरी क्षमता से पावर प्लांट का उत्पदान नहीं हो पाता है.
गर्मी के दिनों में तो इसकी मांग 2500 से 3000 मेगावट तक हो जाती है. इतनी मांग के चलते बिजली खरीदनी पड़ती है. एनटीपीएस के राज्य के बाहर स्थित प्लांट से 700 मेगावट बिजली ली जाती है. वही हाइडल और सोलर से करीब 300 मेगावट तक बिजली मिल पाती है. बाकी बिजली पावार एक्सचेंज से खीरद कर आपूर्ति की जाती है. पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने पर जेबीवीएनएल को प्रति यूनिट 12 रुपए तक का भुगतान करना पड़ता है.
आखिर क्यो पूरी बिजली नहीं मिलती
राज्य को बिजली नहीं मिलने के पीछे कई कारण सामने आते रहे हैं. मैथन थर्मल पावर लिमिटेड यानि एमपीएल जो धनबाद में स्थापित है. जब इसे लेकर राज्य से कहा गया था कि वे पावर परचेज एग्रीमेंट करवा ले. लेकिन झारखंड ने इसे इंकार कर दिया . इसके चलते एमपीएल से उत्पादित बिजली दिल्ली, केरल और बंगाल भेज दी जाती है. गोड्डा में स्थित अडाणी पावर से 1600 मेगावट बिजली का उत्पादन होता . लेकिन, इससे उत्पादित बिजली बांग्लादेश भेज दी जाती है. हालांकि, शर्तो के अनुसार , अदाणी 400 मेगावट बिजली देने पर सहमत है. लेकिन, इसके लिए भी पीपीए की प्रक्रिया पूरी होनी बाकी है.
झारखंड में स्थित पावर प्लांट
झारखंड में मौजूद पावर प्लांट की संख्या दस से ज्यादा है. ललपनिया में स्थित टीटीपीएस 420 मेगावट बिजली उत्पादन करती है. जिससे राज्य को 300 मेगावट बिजली मिलती है. इनलैड पावर से 63, सिकिदरी हाइडल से 130 मेगावट बिजली मिलती है. लेकिन, ये बारिश के मौसम में ही चालू होती है. वही, आधुनिक पावर से 540 मेगावट बिजली उत्पादन होता है, जिससे 180 मेगावट बिजली मिलती है. वही डीवीसी के केटीपीएस से 1162 मेगावट बिजली पैदा होती है, जिससे राज्य को 600 मेगावट मिलती है. एनटीपीसी नॉर्थ कर्णपुरा 660 मेगावट बिजली में से 170 मेगावट प्रदेश को मिलती है. डवीसी के पंचेत हाइडल से 80, सीटीपीएस से 500, बीटीपीएस से 500 मेगावट बिजली उत्पादन होता है. लेकिन, यहां से झारखंड को बिजली नहीं मिलती है. जबकि धनबाद के एनपीएल से 1050 मेगावट बिजली उत्पादन होता है. जिसमे 150 मेगावट डीवीसी कमांड एरिया को मिलती है. जोजेबेड़ा पावर प्लांट में 469 मेगावट बिजली उत्पादन होता, जो टाटा स्टील के माध्यम से जमशेदपुर को मिलती है. गोड्डा में स्थित अदाणी पावर प्लांट में 1600 मेगावट बिजली उत्पादन होता है . लेकिन, यहां से बिजली नहीं मिलती है. जबकि सोलर के जरिए 80 मेगावट बिजली पैदा होती है, जो प्रदेश को मिलता है.
गर्मी के मौसम में अगर पावर सप्लाई आवाम को नहीं मिलती है, तो फिर राज्य सरकार पर उंगली उठेगी. क्योंकि इसे सुधारने की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर है . अगर इसे हल नहीं किया जाएगा तो आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी बिजली मुद्दा बनेगी .
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