झारखंड के ऐसे नेता जिनसे कतराते है बड़े बड़े मंत्री, पढ़ें क्यों सरयू राय को कहा जाता है राजनीति का 'फिल्टर'

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): जब भी झारखंड के मजबूत और ईमानदार नेताओं की बात होती है तो विधायक सरयू राय का नाम सबसे पहले नंबर पर आता है. सरयू राय एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी नेता हैं, जो मुखर होकर बिना किसी भय के अपनी राय को सबके सामने रखते हैं. इनको राजनीति में एक ऐसे नेता के तौर पर देखा जाता है, जो बिना पक्ष और विपक्ष का भेदभाव किये सच बोलने की हिम्मत रखते हैं. आज हम झारखंड की राजनीति में 'फिल्टर' मानें जाने वाले एक ऐसे नेता की बात करेंगे,जो भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का सफाया कर देते हैं.
2019 में उन्हे सच बोलने की मिली सजा
आपको बताये कि सरयू राय शुरू से ही जनसंघ और आरएसएस से जुडे हुए थे, वहीं इसके बाद उन्होने बीजेपी का दामन थाम लिया. लेकिन अपने राजनीतिक करियर का सबसे पहला चुनाव लड़ने का मौका उन्हें 2005 में मिला. जब पूर्वी सिंहभूम से बीजेपी की टिकट पर उन्होने विधायक के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वहीं फिर जब 2009 में उन्हें बीजेपी से टिकट मिला तो उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन साल 2014 में उन्होंने फिर पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव जीता और रघुवर दास की सरकार में उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल भी किया गया, लेकिन अपने मुखर और साफ़-सुथरा छवि रखने की वजह से उन्हें इसका ख़मियाज़ा भी भुगतना पड़ा. सरकार में रहते हुए सरकार के खिलाफ मंत्रियों पर बोलने की सजा उन्हें मिली और 2019 में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया.
इस तरह सरयू राय ने सीटिंग मुख्यमंत्री को निर्दलीय लड़कर हराया
बीजेपी के इस रवैया से नाराज सरयू राय ने पश्चिमी की जगह पूर्वी सिंहभूम से चुनाव लड़ा, और रघुवर दास को हराने की ठान ली. बीजेपी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते हुए सरयू राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और साल 2019 में पूर्वी सिंहभूम विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रहे सीटिंग मुख्यमंत्री रघुवर दास को हरा दिया. इस तरह सरयू राय की राजनीतिक जीवन में काफी ज्यादा उतार चढ़ाव आए लेकिन उन्होने कभी भी अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ा और सच का साथ देते रहे.
इस वजह से बीजेपी से अपनाया बगावती तेवर
आपको बताये कि अपनी ही पार्टी के खिलाफ 2019 में रघुवर दास ने महज इस बात के गुस्से में चुनाव लड़ा कि उन्हें सच बोलने की वजह से पार्टी ने टिकट नहीं दिया. सरयू राय ने इस बात को उजागर भी किया था कि जब वे बीजेपी में थे तो उन्हें सच बोलने से मना किया जाता था, जिसकी वजह से उन्हे लगा कि उन्हे दबाया जा रहा है, जब साल 2019 में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होने रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़कर और जीत कर दिखाया.
सरयू राय ने अब तक कई बड़े घोटालों का भांड़ाफोड़ किया है
अब बात कर लेते हैं कि सरयू राय को आखिर क्यों झारखंड की राजनीति में 'फिल्टर' कहा जाता है तो आपको बताएं कि सरयू राय ने अब तक कई बड़े-बड़े घोटालों का भांडाफोड़ किया है, तो वहीं कई बड़े नेताओं को जेल की हवा भी खिलवाई है, जिसमे लालू यादव का नाम भी शामिल है. सरयू राय ने सबसे पहले साल 1994 में पशुपालन घोटाले का उद्बभेदन किया था, जिसके बाद मामले की सीबीआई जांच हुई, और सरयू राय ने पशुपालन घोटाले में दोषियों को सजा दिलाने के लिए उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच न्यायालय तक दौड़ भाग किया. जिसका परिणाम हुआ कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ कई बड़े नेताओं को जेल की हवा खानी पड़ी.
वहीं साल 1980 में किसान को दिये जाने वाली घटिया खाद, बीज वितरण करने वाली सहकारिता संस्थानों के खिलाफ भी सरयू राय ने आंदोलन किया. वहीं संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी उद्भेदन इन्होंने ने किया था. इसके अलावा झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करनेवाले भी सरयू राय ही है.
लोगों के बीच अच्छी पकड़ इनको सभी नेताओं से बनाती है अलग
आज भी झारखंड की राजनीति में सरयू राय की एक अलग पहचान है. भले वह निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन जनता के बीच उनकी अहमियत कम नहीं हुई. सरयू राय जमीन से जुड़े हुए नेता हैं, जो आये दिन आपको बस्ती के लोगों के साथ बैठे या फिर मिलते दिख जायेंगे. सरयू राय बहुत ही सहज स्वभाव के हैं, जो बहुत ही आसान से किसी भी व्यक्ति से मिल लेते हैं और उनकी बातें भी सुनते हैं. वहीं चाहे वह शहर की छोटी समस्या हो या बड़ी वह सभी बातों पर गौर करते हैं और उसका समाधान भी करते हैं, यही वजह है कि जनता के बीच उनकी छवि बहुत अच्छी है.
साल 2024 में जदयू की टिकट से लड़कर जीता चुनाव
वहीं इस साल 2024 में झारखंड विधानसभा से पहले सरयू राय ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का दामन थामा और एनडीए गठबंधन की ओर से पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रहे बन्ना गुप्ता को पटखनी दी. आपको बतायें कि इनकी छवि एक मजबूत नेता की है, जो किसी भी विषय पर खुलकर बोलते हैं और उस पर अमल भी करते हैं, यही वजह है कि सरयू राय के सामने बड़े-बड़े नेताओं और मंत्रियों को भी कुछ बोलने से पहले सोचना पड़ता है.
पढ़ें कैसे कवि कुमार विश्वास ने दिया इनको 'फिल्टर' का नाम
तो चलिए अब आपको बताते है कि सरयू राय को झारखंड की राजनीति का फिल्टर क्यों कहा जाता है ,क्योंकि सरयू राय हमेशा से सच और निडर होकर बोलते हैं. वही कई बड़े-बड़े घोटालों का उन्होने उजागर किया है, जिसकी वजह से उन्हें 'फिल्टर' कहा जाता है. यह नाम उन्हें देश के प्रसिद्ध कवि डॉ कुमार विश्वास ने दिया है. दरसअल मौका था झारखंड विधानसभा स्थापना दिवस के 22वें वर्षगांठ की. जहां सरयू राय भी शिरकत करने पहुंचे थे. वहीं कुमार विश्वास ने जब समा बांधा तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माहौल गूंज उठा. जब बात सरयू राय पर आई, तो कुमार विश्वास ने झारखंड की राजनीति का फिल्टर बता दिया. उन्होंने कहा कि सरयू राय ऐसा फिल्टर है जो अपने ही घर और पार्टी तक में सफाई कर देते हैं.
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