दुमका (DUMKA): कहते हैं राजनीति की प्रारंभिक पाठशाला छात्र जीवन होता हैै. छात्रों की समस्या को लेकर लड़ाई लड़ने वाले छात्र नेता कब समाज, राज्य और देश की समस्या का समाधान करने लगे किसी को पता नहीं और यह तब संभव होता है जब छात्र नेता भारतीय संविधान में निहित चुनाव जीतकर सदन पहुंचतेे हैं. तभी तो अधिकांश राजनीतिक दलों में छात्रों की एक इकाई होती है जो संगठन का रीढ़ माना जाता है.
छात्र सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे
झारखंड की हालत बहुत कुछ वैसा ही है. अलग राज्य बनने के 2 दशक बाद भी राज्य में कोई स्पष्ट नियोजन नीति नहीं बन पाया है. जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. खतियान आधारित नियोजन नीति की मांग को लेकर छात्र सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं. दुमका के छात्र भी सड़कों पर उतर चुके है लेकिन ये छात्र किसी राजनीतिक दलों की अनुसांगिक इकाई के बैनर तले आंदोलन करने के बजाय छात्र समन्वय समिति के बैनर तले आंदोलनरत है.
खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने की मांग
छात्र समन्वय समिति के बैनर तले छात्रों ने एसपी कॉलेज मैदान से छात्र अधिकार महारैली निकाली. शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए छात्रों की टोली समाहरणालय पहुचीं और सीएम के नाम डीसी को ज्ञापन सौपा. छात्रों ने खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने की मांग की. छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि यहाँ 60:40 का नियोजन नीति नहीं चलेगा. अलग राज्य बनने के साथ ही 1932 के खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति की मांग की जा रही है. झामुमो ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र किया था. लेकिन सत्ता में आते ही अपना चुनावी वादा भूल गए. सीएम हेमंत सोरेन को बाहरी से ज्यादा प्रेम हो गया है. इसलिए 60:40 कि बातें करने लगे.
नियोजन नीति लागू नहीं हुई तो आने वाले चुनाव में भुगतना परेगा खामियाजा
श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि अगर सरकार शीघ्र ही 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति की घोषणा नहीं करती है तो आने वाले चुनाव में काफी संख्या में छात्र चुनाव लड़ेंगे. और जब छात्र चुनाव लड़ेंगे तो परिणाम क्या होगा यह सबको पता है. हाल ही में सम्पन्न रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के परिणाम से इसे साबित कर दिया है.
सड़क से सदन तक करेंगे आंदोलन
उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर छात्र अभी सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में छात्र सदन तक पहुच कर आंदोलन करेंगे. झारखंड के शिक्षित युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे.
युवा झारखंड को गति देने के लिए युवाओं की भागीदारी जरूरी
जिस तरह से दुमका के छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम, राजीव बास्की और राजेंद्र मुर्मू बार बार सड़कों पर उतर कर रामगढ़ उपचुनाव परिणाम की बात करते है और आगामी चुनाव में छात्रों के चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं उससे लगता है कि अब जिले के कई छात्र नेता छात्र राजनीति से आगे कदम बढ़ाने का मन बना चुके हैं. वैसे भी झारखंड बने 22 वर्ष बीत गए. युवा झारखंड को गति देने के लिए युवाओं की भागीदारी जरूरी है. इंतजार है तो बस उचित समय का. यह देखना दिलचस्प होगा कि ये छात्र नेता किसी ना किसी राजनीतिक दल के सहारे चुनावी वैतरणी पार करते है या फिर छात्र समन्वय समिति के बैनर तले अपना भविष्य संवारते है.
रिपोर्ट:पंचम झा
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