रांची(RANCHI): नियोजन नीति को आदिवासियों-मूलवासियों के विरोध का सामना कर रहे हेमंत सोरेन के लिए सरना धर्म कोड चुनावी हथियार बन सकता है, इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर झामुमो भाजपा को एक बार पीछे हटने को मजबूर कर सकती है.
यहां बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा राज्य सरकार की नियोजन नीति रद्द करने और 1932 खतियान पर आधारित स्थानीय नीति को राज्यपाल के द्वारा वापस करने के बाद हेमंत सरकार की काफी किरकिरी हो रही है.
40 फीसदी सीट गैर झारखंडियों के लिए खोलने पर युवाओं में आक्रोश
नयी नियोजन नीति में 40 फीसदी सीटों पर गैर झारखंडियों के लिए दरवाजा खोलने के बाद युवाओं में बवाल है, आक्रोशित युवाओं का कहना है कि 40 फीसदी सीटों के लिए गैर झारखंडियों का दरवाजा खोलकर, और स्थानीय भाषा-संस्कृति और परिवेश की जानकारी की बाध्यता को समाप्त कर सरकार ने आदिवासी-मूलवासियों की हकमारी की है.
युवाओं के आक्रोश को भुनाने में लगी थी भाजपा
युवाओं का आक्रोश अपनी जगह ठीक है, लेकिन इसकी कई पेचीदगियां है, सरकार के सामने विकल्प सीमित है. इधर युवाओं में नियोजन नीति को लेकर दिन पर दिन विरोध बढ़ता ही जा रहा है और यह असंतोष भाजपा के लिए सरकार के खिलाफ हमलावर होने का अवसर प्रदान कर रहा है.
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सरकार के हाथ बंधे हैं
भाजपा युवाओं के समर्थन में खड़ी हो गयी है, जबकि सरकार का हाथ हाईकोर्ट के निर्णय के बाद बंधा नजर आ रहा है, हालांकि सरकार 13 मार्च को बजट सत्र के दौरान अपना पक्ष भी रखने वाली है. जहां तक 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति की बात है तो माना जा रहा है कि सरकार इसे एक बार फिर से राज्यपाल को भेजने की तैयारी में है.
हेमंत ने किया ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल
लेकिन इस बीच हेमंत सरकार ने अपने तरकश से एक और तीर निकाल लिया है, वह ब्रह्मास्त्र है सरना धर्म कोड की मांग. सरना धर्म कोड के मुद्दे पर हेमंत सरकार बेहद सेफ जोन में है, क्योंकि उसने पहले ही इसे विधान सभा से पास कर केन्द्र चुका है. यदि यह मांग केन्द्र सरकार नहीं मानती है तो हेमंत सोरेन के पास भाजपा को घेरने के लिए एक अवसर मिल जायेगा और उसके पास आदिवासी-मूलवासियों को अपने पाले में बनाये रखने का तर्क भी रहेगा.
लाखों की संख्या में सरना धर्मलंबियों का राजधानी रांची में प्रदर्शन
यहां हम बता दें कि आज भी सरना धर्मावलंबियों ने बड़ी संख्या में राजधानी रांची में प्रर्दशन कर सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग की है, इस महारैली में सिर्फ झारखंड के ही नहीं बल्कि दावा किया जा रहा है कि झारखंड के पड़ोसी राज्य के साथ ही बड़ी संख्या में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश से सरना धर्मावलंबियों ने हिस्सा लिया है. माना जा रहा है कि सरनाधर्मियों की यह भीड़ हेमंत सरकार को राहत प्रदान कर सकती है, वह एक बार फिर से भाजपा पर हमलावर हो सकती है, क्योंकि भाजपा यह कहकर इस मामले को टाल नहीं सकती, कि उसने इसका समर्थन किया है, क्योंकि केन्द्र भी उसी की सरकार है, और इसे वहां से पास करवाना भी उसी की जिम्मेवारी है.
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