धनबाद(DHANBAD) | मौत के कुएं का नाम तो आपने सुना ही होगा. अगर देखना चाहते हैं तो धनबाद के बरोरा क्षेत्र में आप इसे अपनी नंगी आंखों से देख भी सकते है. किस तरह अवैध ढंग से चोरी का कोयला काटने और ढोने के लिए मौत के कुएं में लोग जाते हैं और फिर कोयला निकालते है. सभी " रैट-होल" के जरिये प्रवेश करते है. "रैट-होल" माइनिंग में मजदूरों के प्रवेश और कोयला निकालने के लिए आमतौर पर 3-4 फीट ऊंची संकीर्ण सुरंगों की खुदाई शामिल होती है. इन हॉरिजॉन्टल सुरंगों को अक्सर 'चूहे का बिल' कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक सुरंग में सिर्फ एक व्यक्ति के लिए घुसने की जगह होती है. इन पतली सुरंगों के बीच ये लोग घंटों बैठकर खुदाई करते है. लेकिन धनबाद के बरोरा में तो केवल कोयले की कटाई की बात कौन करे ,बाइक और साइकिल लेकर "रैट-होल" से घुसते है और कोयला काटने के बाद बाइक और साइकिल से बाहर निकलते भी है.
दो किलोमीटर तक चले जाते है अंदर
आश्चर्य तो इस बात को लेकर होता है कि "रैट-होल" से बनाए गए कोयले के मुहानों के भीतर डेढ़ से 2 किलोमीटर तक बाइक और साइकिल से पहुंच जाते है. खदान के भीतर अस्थाई सपोर्ट लगाकर कोयले के चट्टान को रोक रखते है. जो की पूरी तरह से खतरनाक होता है. बरोरा में शनिवार को इस बात का जब खुलासा हुआ तो सब कोई आश्चर्य में पड़ गए. दरअसल, हुआ ऐसा कि शनिवार की दोपहर बाद अवैध कोयला खदानों के मुहानों की भराई का काम चल रहा था. एक के बाद एक मुहानों को बंद किया जा रहा था. इसी क्रम में बरोरा क्षेत्र की एएमपी कोलियरी की बंद 6 नंबर पैच की जब भराई की जा रही थी तो अंदर कोयला काटने वाले मौजूद थे. भराई करने वाली टीम को जरा भी भान नहीं था कि अंदर में कोयला काटने वाले मौजूद हो सकते है. हालांकि सतर्कता के तौर पर हल्ला किया गया कि कोई भीतर है तो बाहर आ जाए. खदान के मुहानों की भराई की जा रही है.
मुहानों पर बड़े-बड़े बोल्डर डाल किया जाया है बंद
मुहानों पर बड़े-बड़े बोल्डर डाले जाते है. बोल्डर डालकर मुंह को बंद कर दिया जाता है. यही काम शनिवार को हो रहा था. अंदर से जब टोर्च की रोशनी और आवाज आई तो डोजर ऑपरेटर को कुछ संदेह हुआ. फिर काम रोक दिया गया. भीतर फंसे चिल्ला रहे थे कि उन्हें निकलने का रास्ता दिया जाए. वह भीतर फंस गए है. जब बोल्डर हटाया गया तो साइकिल और बाइक से कोयला चोर एक के बाद एक निकलने लगे. यह टीम के लिए भी आश्चर्यजनक घटना थी. कोई भरोसा नहीं कर सकता है की " रैट होल" से बनाए गए मुहानों के भीतर कोयले की ढुलाई के लिए मोटरसाइकिल और साइकिल का भी प्रयोग होता होगा. अभी हाल ही में उत्तराखंड में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए जब बड़ी-बड़ी मशीन जवाब दे गई, तो "रैट होल" करने वालों को बुलाया गया और उन्होंने सुरक्षित फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया. कोयलांचल में कई ऐसे इलाके हैं ,जहां "रेट होल" के जरिए अवैध कोयले की कटाई और ढुलाई की जाती है. यह काम बड़े पैमाने पर किया जाता है.
"रैट होल" माइनर्स ने निकाला था फंसे मजदूरों को
आपको बता दे कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी कीसिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को "रैट होल" माइनर्स ने नया जीवन दिया था. " रैट-होल" माइनिंग में मजदूरों के प्रवेश और कोयला निकालने के लिए आमतौर पर 3-4 फीट ऊंची संकीर्ण सुरंगों की खुदाई शामिल होती है. इन हॉरिजॉन्टल सुरंगों को अक्सर 'चूहे का बिल' कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक सुरंग में सिर्फ एक व्यक्ति के लिए घुसने की जगह होती है. इन पतली सुरंगों के बीच ये लोग घंटों बैठकर खुदाई करते है. ये लोग सैकड़ों फीट संकरे गड्ढे में नीचे उतरते है. ऐसे में जान का खतरा बना रहता है. कई जगह तो ये बिल्कुल अमानवीय परिस्थितियों में काम करते है. इन जगहों पर हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है. ऐसे में कई बार अधिकतर दुर्घटनाएं और मौत से जुड़ी जानकारियां बाहर भी नहीं आ पाती है. कोयलांचल में तो घटनाओं की खबर भी नहीं लगती.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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