दुमका(DUMKA):रत्नगर्भा झारखंड की उपराजधानी दुमका की धरती भी खनिज संपदा से परिपूर्ण है. दुमका जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड में कोयला का अकूत भंडार है, लेकिन यहां कोल ब्लॉक चालू करना प्रशासन और कार्यकारी एजेंसी के लिए आसान नहीं है.जब भी कोल ब्लॉक की सुगबुगाहट तेज होती है, ग्रामीण एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करने लगते हैं.इसी कड़ी में जामुगड़िया पंचायत के गन्द्रकपुर गांव में दर्जनों गांव के ग्रामीण एकत्रित हुए. ग्रामीण परंपरागत हथियार से लैस होकर कोल ब्लॉक के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में कोल ब्लॉक किसी भी हालत में खुलने नहीं देंगे, साथ ही बीजीआर कंपनी द्वारा हरिनसिंगा - पकदाहा स्टेशन पर कोल डंपिंग यार्ड शुरू करना चाहती है,उसे भी शुरू नहीं होने देंगे.ग्रामीणों ने परंपरागत हथियार के साथ जमकर नारेबाजी की.
ग्रामीणों ने इसी मुद्दे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया था
आपको बता दें कि एक सप्ताह पहले शिकारीपाड़ा के पकलूपाड़ा गांव के हटिया परिसर में भी ग्रामीणों ने इसी मुद्दे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया था. खास बात यह रही कि पकलूपाड़ा गांव की तरह गन्द्रकपुर गांव के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुन्नी हांसदा कर रही थी.ये वहीं मुन्नी हांसदा है जो 15 वर्ष पूर्व काठीकुंड के आमगाछी गांव में लगातार प्रदर्शन करते हुए कोयला कंपनी और जिंदल पावर प्लांट को वापस जाने पर मजबूर कर दिया था. उस वक्त जमकर बबाल हुआ था. प्रदर्शनकारियों के तरफ से तीर चलाई गई थी, जबाबी कार्रवाई में आत्मरक्षार्थ पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी. आज के विरोध प्रदर्शन में महिलाओं की संख्या काफी अधिक थी.
मुन्नी हांसदा ने कहा कि कोल ब्लॉक खोलना ग्रामीणों के हित में नहीं है
कार्यक्रम के बाद मुन्नी हांसदा ने कहा कि कोल ब्लॉक खोलना ग्रामीणों के हित में नहीं है. इससे हमारा भला नहीं होने वाला.यह हमारे लिए काफी नुकसानदायक है. इसीलिए कोल ब्लॉक नहीं खुलना चाहिए. उन्होंने कहा कि बीजीआर कंपनी जो कोयल का रैक पॉइन्ट खोलना चाह रही है हमलोग उसे भी नहीं खोलने देंगे.जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों की योजना कोल ब्लॉक और बीजीआर कम्पनी के विरोध में इस तरह का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा.शिकारीपाड़ा में जारी कोल ब्लॉक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में मुन्नी हांसदा के कूदने के बाद निश्चितरूप से प्रदर्शनकारियों के मनोबल बढ़ा होगा। अब इस विरोध प्रदर्शन से प्रसासन कैसे निपटती है देखना दिलचस्प होगा.
रिपोर्ट-पंचम झा
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