रांची(RANCHI)- जिले के तमाड़ स्थित मां दिउड़ी मंदिर को लेकर विवाद उत्पन्न करने का प्रयास किया गया है. दरअसल इसके पीछे कुछ शरारती तत्व का हाथ होने की बात सामने आ रही है. रविवार को तमाड़ में कई आदिवासी संगठन की बैठक हुई जिसमें यह कहा गया कि मंदिर की जमीन आदिवासियों की है. सर्वे सेटेलमेंट में मुंडा खुत खट्टीदार का बताया गया है जिसे षड्यंत्र कर आदिवासी ब्राह्मण पांडा के नाम से दर्ज कर दिया गया है. इसलिए यहां की जमीन मूल रैयत मुंडा परिवार को वापस किया जाए.
आदिवासी संगठनों के सम्मेलन में क्या हुआ
तमाड़ में आयोजित इस आदिवासी सम्मेलन में पांच सूत्री मांग रखी गई है. सरकार को यह चेतावनी दी गई है कि यदि 72 घंटे में सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो आंदोलन उग्र किया जाएगा. एक तो यह मांग रखी गई है कि मंदिर की जो जमीन है उसे मूल रैयत को लौटाया जाए. मंदिर संचालन के लिए जो ट्रस्ट बनाया गया है उसे तत्काल रद्द किया जाए. ऐसा बताया जा रहा है कि इसमें राजनीतिक दल के लोग सदस्य बनाए गए हैं. जब तक इस मामले का शांतिपूर्ण समाधान नहीं हो जाता है तब तक किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जाना चाहिए. मालूम हो कि झारखंड सरकार ने इस मंदिर परिसर के अंदर और बाहर सौंदर्यीकरण योजना बना रखी है. अगली मांग है कि आदिवासी क्षेत्र के लिए पांचवी अनुसूची के अनुरूप धार्मिक स्थल का संरक्षण किया जाए और इसके लिए धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन हो. अंतिम मांग लिया है कि पिछले दिनों दिऊडी मंदिर प्रकरण को लेकर हुए आंदोलन में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनके खिलाफ मुकदमा वापस लिया जाना चाहिए और जिन्हें जेल भेजा गया है उन्हें रिहा किया जाना चाहिए.
कई लोगों का कहना है कि चूंकि झारखंड विधानसभा का चुनाव आ रहा है. इसलिए कुछ संगठन पर्दे के पीछे से राजनीतिक दलों के इशारे पर काम कर रहे हैं. सनातन धर्म के लोगों का कहना है कि यहां पर सदियों से पूजा होती आ रही है. हजारों लोग प्रतिदिन यहां पर मां का दर्शन करने के लिए आते हैं.आगामी नवरात्रि में भी लाखों लोग यहां पूजा करने आएंगे.इसलिए प्रशासन को ऐसे अराजक तत्वों पर नजर रखनी चाहिए जो व्यवधान उत्पन्न करने की मंशा रखते हों.
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